जानलेवा खिलवाड़: निवेली थर्मल प्लांट में दो धमाकों के बाद उसके विस्तारीकरण की योजना पर सवाल खड़े हो गये हैं | Photo: One India

निवेली थर्मल प्लांट में दूसरा धमाका, प्लानिंग पर उठे सवाल

तमिलनाडु के निवेली थर्मल पावर स्टेशन में पिछले हफ्ते दो महीने के भीतर दूसरा धमाका हुआ। इस धमाके में 6 लोगों की जान चली गई और 17 लोग घायल हो गये। माना जा रहा है कि यह धमाका ओवरहीटिंग और बॉयलर में अत्यधिक प्रेशर के कारण हुआ।  इसके अलावा प्लांट के रखरखाव में कमी की भी जांच हो रही है। देश में हर ताप बिजलीघर को 20 साल बाद जांच की प्रक्रिया से गुजरना होता है और उसके बाद ही उसके अगले 5 सालों के लिये एक्सटेंशन मिलता है।

इस थर्मल प्लांट की चारों यूनिट – जिन्हें दूसरे चरण के लिये एक्सटेंशन मिला था – अब मुआयने के लिये बन्द कर दी गई है। अब इन्हें फिट पाये जाने पर ही अगले 15-20 सालों के लिये एक्सटेंशन दिया जा सकता है। 

कोयला खत्म करने के लिये जर्मनी का क़ानून, हम्बक का जंगल बचा

जर्मनी ने 2038 से कोयला खनन और कोल पावर का इस्तेमाल बन्द करने के लिये कानून पास किया है। इसके लिये प्रभावित इलाकों को 4000 करोड़ यूरो का मुआवज़ा दिया जायेगा। कोयले से छुटकारे की दिशा में उठाये जा रहे इन कदमों को 2026, 2029 और 2032 में रिव्यू किया जायेगा और यह देखा जायेगा कि क्या पूरी तरह से 2035 तक कोल पावर का इस्तेमाल बन्द हो सकता है।

जर्मनी के इस कदम से बोन के पास स्थित हम्बक के जंगलों को बचाया जा सकता है जहां दुनिया की सबसे बड़ी थर्मल पावर कंपनियों में से एक RWE खनन की कोशिश में है। RWE को 2029 तक अपने प्लांट बन्द करने के लिये 260 करोड़ यूरो का मुआवजा दिया जा रहा है।

स्पेन ने बन्द किये आधे कोल प्लांट, 2025 तक हो सकता है कोयला मुक्त

यूरोपीय कोल पावर कंपनियों को नये उत्सर्जन नियमों का पालन करना कठिन और कोयले से बिजली बनना महंगा पड़ रहा है। इसीलिये स्पेन में 15 में से 7 कोयला बिजलीघरों को बन्द कर दिया है और कंपनियां सस्ते विकल्पों को अपना रही हैं। इन बिजलीघरों का कुल क्षमता 4,630 मेगावॉट थी और कुल 1,100 लोगों का रोज़गार इससे जुड़ा था। अब ये कंपनियां बिजली बनाने के लिये गैस या साफ ऊर्जा विकल्प अपनायेंगी। जापान भी 2030 तक अपने करीब 100 ऐसे बिजलीघरों को बन्द कर सकता है जो पुराने हैं और अच्छा काम नहीं कर रहे। जापान का यह कदम पेरिस क्लाइमेट डील के तहत होगा जिसमें उसने वादा किया है कि वह 2030 तक – 2013 के स्तर पर-  अपने इमीशन 26% कम करेगा।

+ posts

दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.