पर्यावरण कार्यकर्ताओं की कड़ी आलोचना के बाद दिल्ली हाइकोर्ट ने आदेश दिया है। इस आदेश से पर्यावरणीय प्रभाव आंकलन (EIA) को लेकर सरकार द्वारा जारी नये आदेश पर जनता के सुझावों की समय सीमा 30 जून से बढ़ाकर 11 अगस्त कर दी गई है। महत्वपूर्ण है कि ईआईए पर नया आदेश पर्यावरण नियमों को कमज़ोर करता है जिसकी जानकार और कार्यकर्ता आलोचना कर रहे हैं। विवाद तब और गहरा गया था जब सूचना अधिकार क़ानून के ज़रिये यह बात सामने आई कि खुद पर्यावरण मंत्री ने नये आदेश पर सुझाव देने की समय सीमा घटाई है।
हुबली-अंकोला रेल लाइन पर हाइकोर्ट की रोक
कर्नाटक हाइकोर्ट ने 168 किलोमीटर लम्बी हुबली-अंकोला रेल लाइन पर रोक लगा दी है। पश्चिमी घाट पर इस रेल लाइन के लिये 1,57,000 पेड़ काटे जाने हैं लेकिन वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने इसे मंजूरी दे दी थी। महत्वपूर्ण है कि वाइल्डलाइफ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्यों की ओर से आपत्ति किये जाने के बावजूद प्रोजेक्ट को इस साल मार्च में यह अनुमति दी गई। प्रस्तावित रेल प्रोजेक्ट का ज्यादातर हिस्सा वन भूमि पर ही है। काली टाइगर रिज़र्व के बफर ज़ोन से गुजरने के अलावा यह रेल लाइन बेडथी संरक्षित वन और हॉर्नबिल संरक्षित क्षेत्र से जाती है। केरल में विवादित थेल्लासिरी-मैसुरू लाइन एक बार फिर चर्चा में है क्योंकि अब सरकार ने बंदीपुर और नागरकोयल के बीच एक सुरंग प्रस्तावित की है।
कोल-ब्लॉक नीलामी पर अनिश्चितता बरकरार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 41 कोयला ब्लाकों की नीलामी की घोषणा के दो हफ्ते बाद यह स्पष्ट है कि इस विषय में केंद्र सरकार और राज्यों में सहमति नहीं है। झारखंड ने इस मामले में पहले ही सुप्रीम कोर्ट का रुख कर लिया है। उसके मुताबिक मोदी सरकार ने बिना राज्यों विश्वास में लिये बिना इस नीलामी का ऐलान कर दिया। इसी तरह महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों आदित्य ठाकरे और संजय राठौर ने संवेदनशील तड़ोबा-अंधेरी टाइगर रिज़र्व से लगे बांदेर कोल ब्लॉक को नीलामी लिस्ट से हटाने की मांग की है।
उधर छत्तीसगढ़ के हसदेव-अरण्य इलाके के 4 कोल ब्लॉक भी ऑक्शन( नीलामी) लिस्ट से हटाये जायेंगे। केंद्रीय कोयला और खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने राज्यों की ओर से किये जा रहे विरोध को तूल न देते हुये कहा है राज्यों के कहने पर केंद्र सरकार नीलामी में बदलाव करने को तैयार है।
एयरलाइंस ने इमीशन नियमों से किनारा किया
तमाम एयरलाइन कंपनियां कम से कम 2023 तक कार्बन इमीशन कम करने की उस बंदिश से मुक्त रहेंगी जिसका पालन उन्हें पेरिस क्लाइमेट डील के तहत करना था। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र की काउंसिल ऑफ इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन ने मंगलवार को इंडस्ट्री के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
जलवायु परिवर्तन से सुरक्षा को सुप्रीम कोर्ट ने माना मौलिक अधिकार
-
21 दिनों के अनशन के बाद अब ‘बॉर्डर मार्च’ करेंगे सोनम वांगचुक
-
भारत की मांग, हर साल $1 ट्रिलियन का क्लाइमेट फाइनेंस दें अमीर देश
-
सुप्रीम कोर्ट ने वन संरक्षण अधिनियम के संशोधनों पर लगाई रोक
-
कूनो के बाद अब गांधी सागर में बसाए जाएंगे अफ़्रीकी चीते