बिना जांचे मंज़ूरी: तेल और गैस के क्षेत्र में आने वाली नई कंपनियों को सेल्फ सर्टिफिकेशन की जो छूट दी जा रही है उसे लेकर गंभीर सवाल हैं। फोटो: India Public Sector

तेल और गैस निकालने के लिये कंपनियों को नियमों में ढील

सरकार ने तेल और गैस के क्षेत्र में आ रही नई कंपनियों को नियमों में ढील दी है। अगर ये कंपनियां तेल और गैस के नये भंडार ढूंढती हैं और उनके प्रयोग के नतीजे उस खोज को सत्यापित करते हैं तो वे सेल्फ सर्टिफिकेशन कर पायेंगी। सरकार का कहना है कि यह कदम बिजनेस को आसान करने के लिये है। सभी दस्तावेज़ जमा करने के 30 दिन के भीतर ये कंपनियां काम शुरू कर पायेंगी।

वैसे यह हैरान करने वाली बात है कि सेल्फ सर्टिफिकेशन के तहत बैंक गारंटी और इन्वारेंमेंटल इम्पेक्ट असेसमेंट (EIA) और आपदा प्लान को भी शामिल कर लिया गया है। यह फैसला ऐसे वक्त में किया गया है जब पूरे देश का ध्यान गंभीर महामारी से जूझने में लगा है। महत्वपूर्ण है कि इससे पहले कोयला खनन के लिये भी नियमों में इसी तरह ढील  दी गई थी जिनमें नये खिलाड़ियों पर कोई इस क्षेत्र में पूर्व अनुभव की शर्त नहीं थी।

ऑस्ट्रिया और स्वीडन ने बन्द किये कोयला बिजलीघर, जर्मनी की नज़र जियोथर्मल पर

ऑस्ट्रिया और जर्मनी यूरोपियन यूनियन के उन देशों में शामिल हो गये हैं जिन्होंने सभी कोयला बिजलीघर बन्द कर दिये हैं। ऑस्ट्रिया ने जीवाश्म ईंधन से पूरी तरह हटने की नीति के तहत 34 साल पुराना मेलाख (Mellach) पावर प्लांट बन्द किया जबकि इसका गैस पावर प्लांट जल्दी ही बन्द होगा।  स्वीडन ने भी अपना 31 साल पुराना वाख्तावर्क्या (Värtaverket) कोयला बिजलीघर बन्द कर दिया। इसे तय समय से 2 साल पहले बन्द किया गया है। इसकी जगह साफ ऊर्जा  या रिसाइकिल्ड एनर्जी का इस्तेमाल किया जायेगा।

उधर जर्मनी कोयले का प्रयोग पूरी तरह बन्द करने की कोशिश कर रहा है और उसने नये  “कोल एक्ज़िट लॉ” का खाका जारी किया है। हीटिंग के लिये जर्मनी की नज़र अब जियो थर्मल एनर्जी पर है जिसमें धरती के सतह के भीतर मौजूद ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है।

तेल भंडारण उच्चतम स्तर पर, मांग न होने से LNG का बाज़ार तबाह

तेल का मांग कम और घटी कीमतों के कारण कई देशों ने सस्ता तेल खरीद कर भंडार बना लिया है। नई रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह जमा किया गया भंडार भी 3 महीने में इस्तेमाल हो जायेगा। अभी भी करीब 16 करोड़ टन के सुपरटेंकर समंदर में इंतज़ार कर रहे हैं जिनकी बिक्री नहीं हुई है और तेल की कीमतें अब भी औंधे मुंह गिरी हुई हैं। उधर एनएनजी (लिक्विफाइड नेचुरल गैस) का बाज़ार भी ठंडा है और कीमतें उठने का नाम नहीं ले रही। अब शेल टोटल, शेवरॉन और एक्सॉन मोबिल जैसी बड़ी बड़ी कंपनियों के सामने खुद को खड़ा रखने का सवाल है जिन्होंने इस धंधे में अरबों डॉलर निवेश किये हैं।

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