केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के कोरबा में कोयला खनन के लिये वन भूमि लेना चाहती है और मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक में 712.072 हेक्टेयर के लिये एक नोटिफिकेशन जारी किया है। इसमें करीब 490 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि है। केंद्र सरकार यहां कोल बियरिंग एरिया क़ानून (1957) की मदद ले रही जिसके तहत कोयले वाले इलाकों का खनन के लिये लिया जा सकता है लेकिन राज्य के वन अधिकारी इस पर कुछ स्पष्ट नहीं बोल रहे। केंद्र के इस कदम से इसलिये भी विवाद हो रहा है क्योंकि छत्तीसगढ़ सरकार इस इलाके को हाथी रिज़र्व बनाने पर विचार कर रही है।
पश्चिमी घाट से रेल ट्रैक को वाइल्ड लाइफ बोर्ड की मंज़ूरी
नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ (NBWL) ने टिनाइघाट-कास्टरलॉक-कारन्ज़ॉल रेलवे ट्रैक को डबल करने वाले प्रोजेक्ट के लिये मंज़ूरी दे दी है। यह रेल ट्रैक संरक्षित पश्चिमी घाट के घने जंगलों से जाता है। इस प्रोजेक्ट के लिये कर्नाटक की 10.45 हेक्टेयर भूमि ली जायेगी जिस पर डंडेली वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी है। इस क्षेत्र में वर्तमान रेल लाइन के कारण कई वन्य जीवों की मौत हुई है और अभी कोयला ट्रांसपोर्ट के लिये इस ट्रैक को डबल किया जा रहा है।
उधर राजस्थान सरकार ने एक नई वन नीति का खाका तैयार किया है जिससे अंधाधुंध खनन पर लगाम लगने की संभावना है। देश के सबसे बड़े राज्य में अगले 10 साल तक जंगलों के प्रबंधन और संरक्षण के लिये यह नीति बनाई जा रही है। पर्यावरण से जुड़ी ख़बरों की जानकारी देने वाली वेबसाइट मोंगाबे इंडिया में छपी ख़बर के मुताबिक ड्राफ्ट पॉलिसी में संरक्षित वन क्षेत्र बढ़ाने, जैव विविधता और वन्य जीवों को बचाने के साथ खनन को नियंत्रित करने के उपाय किये गये हैं। इस ड्राफ्ट पॉलिसी के तहत राज्य में गैरकानूनी खनन की जानकारी देने वाले सतर्क नागरिकों (व्हिसिलब्लोवर) के लिये एक गुप्त फंड भी बनाया जायेगा। क्षेत्रफल के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य होने के बावजूद राजस्थान में वनभूमि केवल 4.86% है। सरकार ने अपनी इस ड्राफ्ट पॉलिसी में 15 जून तक सभी संबंधित पक्षों से सुझाव देने को कहा है।
कड़े क्लाइमेट लक्ष्य घोषित करने से चूके कई देश
जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभाव धरती पर लगातार दिख रहे हैं लेकिन ज़्यादातर देशों ने ग्लोबल वॉर्मिंग रोकने के लिये संयुक्त राष्ट्र में अपडेटेड प्लान जमा नहीं किया है। इस अपडेटेड प्लान के तहत तमाम देशों को 31 दिसंबर तक यह बताना था कि 2030 तक कार्बन इमीशन कम करने के घोषित कदमों को वो कैसे और कड़ा बनायेंगे। सभी देशों ने पेरिस संधि के तहत सदी के अंत तक धरती की तापमान वृद्धि 2 डिग्री से कम रखने और हो सके तो 1.5 डिग्री का संकल्प किया है। हालांकि यूके और यूरोपियन यूनियन के 27 देशों समेत कुल 70 देशों ने अपना प्लान जमा कर दिया है लेकिन चीन भारत, कनाडा, इंडोनेशिया और सऊदी अरब जैसे देशों ने अपना प्लान जमा नहीं किया है। रूस, मैक्सिको और ऑस्ट्रेलिया ने अपने वर्तमान संकल्प को ही दोहराया है। चीन, रूस, ऑस्ट्रेलिया और भारत दुनिया के उन देशों में हैं जो काफी कार्बन इमीशन करते हैं। अमेरिका को डोनाल्ड ट्म्प वे पेरिस डील से अलग कर लिया था और अब जो बाइडेन के सत्ता संभालने के बाद अमेरिका फिर से क्लाइमेट डील का हिस्सा बनेगा लेकिन उससे कितने ज़मीनी बदलाव होंगे इस पर सबकी नज़र है।
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