जर्मनी के पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के शोधकर्ताओं ने ‘अपरिवर्तनीय जलवायु संकट’ की चेतावनी दी है, क्योंकि 35 प्रमुख जलवायु संकेतकों में से 25 रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। चरम मौसम की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं और जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन अब तक के उच्चतम स्तर पर है।
धरती की सतह का तापमान, समुद्र की ऊष्मा, समुद्र का जलस्तर और मानव आबादी में तेजी से वृद्धि हो रही है। मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन भी अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है।
इस रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने बर्फ की चादर का पिघलना और जंगलों का नष्ट होना जैसे क्लाइमेट ‘टिपिंग पॉइंट्स’, या बड़े बदलाव के संकेतों को रेखांकित किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु संकट का ‘नया चरण’ शुरू हो रहा है और अत्यधिक खपत को रोकने और जनसंख्या में वृद्धि को कम करने के लिए परिवर्तनकारी उपायों की तत्काल आवश्यकता है। शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि 2024 में जलवायु परिवर्तन के कारण भारत समेत पूरे एशिया में विनाशकारी हीटवेव और अधिक गंभीर हो गई थी।
मेघालय में बाढ़ से कम से कम 15 लोगों की मौत, गारो हिल्स सबसे ज्यादा प्रभावित
भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय में पिछले सप्ताह भारी बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन में कम से कम 15 लोग मारे गए। इसकी सीमा उत्तरी बांग्लादेश से लगती है, जहाँ कम से कम छह लोग मारे गए।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, मेघालय में पीड़ितों में एक ही परिवार के सात सदस्य शामिल थे, जो दक्षिण गारो हिल्स जिले में जिंदा दफन हो गये। दो लोगों के वाहन बाढ़ के पानी में बह गए और एक व्यक्ति जो पेड़ गिरने से मारा गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाढ़ ने विशाल कृषि भूमि को जलमग्न कर दिया, जिससे फसलों को काफी नुकसान हुआ, हालांकि पूरी क्षति का आकलन अभी भी किया जा रहा है।
देश में इस साल मानसून के दौरान 934.8 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 2020 के बाद से सबसे अधिक है। सामान्य रूप से मानसून के दौरान 868.6 मिमी वर्षा होती है।
जून-सितंबर के मानसून सीज़न के दौरान दक्षिण एशिया के कई हिस्से बाढ़ से तबाह हो गए हैं। अक्टूबर की शुरुआत में, नेपाल में दो दिनों की लगातार बारिश के कारण घर, सड़कें, बिजली संयंत्र और पुल बह जाने के बाद भूस्खलन और बाढ़ में दर्जनों बच्चों सहित कम से कम 244 लोग मारे गए थे। थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी डायलॉग के एक अध्ययन के अनुसार, अगस्त में बांग्लादेश में बाढ़ से 70 से अधिक लोगों की मौत हो गई और अनुमानित 1.2 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।
‘परफेक्ट स्टॉर्म’ हेलेन के कारण अमेरिका में 232 मौतें, फ्लोरिडा में मिल्टन ने मचाई तबाही
अमेरिका के दक्षिण-पूर्व क्षेत्रों में आए चक्रवाती तूफ़ान हेलेन के कारण 200 से अधिक लोगों की मौत के कुछ दिनों बाद फ्लोरिडा में हरिकेन मिल्टन ने करीब 24 लोगों की जान ले ली। तूफान के कारण पूरे राज्य में 13 लाख से अधिक लोग बिना बिजली के रहे। द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, फ्लोरिडा के तट पर भारी बारिश जारी है और स्थानीय समुदाय तूफान और उसके बाद बाढ़ का सामना कर रहे हैं।
इससे पहले पिछले हफ्ते आए तूफ़ान हेलेन ने नार्थ कैरोलिना, साउथ कैरोलिना, जॉर्जिया, फ्लोरिडा, टेनेसी और वर्जीनिया में तबाही मचाई थी, जिसमें अबतक 232 मौतों की पुष्टि हो चुकी है। हेलेन पिछले 50 वर्षों में मेनलैंड अमेरिका से टकराने करने वाला दूसरा सबसे घातक तूफान साबित हुआ।
टेनेसी राज्य के जलवायु विज्ञानी एंड्रयू जॉयनर ने रॉयटर्स को बताया कि पश्चिमी नार्थ कैरोलिना के कुछ हिस्सों में शायद एक बेहद दुर्लभ घटना देखी गई, जो हर 5,000 साल में केवल एक बार होती है। हेलेन के आने से पहले एक और तूफान ने मैक्सिको की खाड़ी से नमी खींचकर जिससे माउंट मिशेल जैसे क्षेत्रों को भिगो दिया। माउंट मिशेल अप्लेशियन पर्वत का सबसे ऊंचा स्थान है। इसके तल पर स्थित स्वान्नानोआ और ब्लैक माउंटेन जैसे स्थान बुरी तरह प्रभावित हुए थे।
इसके बाद हेलेन तूफ़ान बिलकुल सटीक एंगल पर माउंट मिशेल के ऊपर आया जिससे और भी अधिक वर्षा हुई। जॉयनर के अनुसार यह “परफेक्ट स्टॉर्म” था।
पर्माफ्रॉस्ट आर्कटिक नदियों में तट के कटाव को लगभग आधा कम कर देता है
एक नए अध्ययन के अनुसार, पर्माफ्रॉस्ट की उपस्थिति आर्कटिक नदी में नदी तट के कटाव की दर को लगभग आधा कर देती है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि नदी तट के कटाव से वहां पर जमा हुआ संग्रहित कार्बन उत्सर्जित हो सकता है और आर्कटिक के बुनियादी ढांचे और वहां समुदायों को “संकट में” डाल सकता है।
उच्च-आवृत्ति उपग्रह अवलोकनों का उपयोग करके, अध्ययन में पाया गया कि पर्माफ्रॉस्ट-जमीन जो कम से कम दो वर्षों से जमी हुई है-मध्य अलास्का में कोयुकुक नदी के किनारे कटाव दर को 47% कम कर देती है। शोधकर्ताओं ने यह अनुमान लगाने के लिए मॉडलिंग का भी उपयोग किया कि “पर्माफ्रॉस्ट के पूरी तरह पिघलने से आर्कटिक नदियों के माइग्रेशन रेट (नदी का प्रवाह बदलने की दर) में 30-100% की वृद्धि हो सकती है।”
दुनिया भर में बढ़ रहा है जंगलों का कटान, वैश्विक आकलन में चेतावनी
अनुसंधान संगठनों के एक समूह की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 वन घोषणा आकलन के अनुसार, वनों की कटाई के कारण 91 लाख फुटबॉल मैदानों या 6.37 मिलियन हेक्टेयर के बराबर वन क्षेत्र धरती से गायब हो गये। यह हानि 140 से अधिक देशों द्वारा 2030 तक वनों की कटाई को खत्म करने के लिए निर्धारित लक्ष्य से 45% अधिक थी। डाउन टू अर्थ (डीटीई) द्वारा उद्धृत रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले एक दशक में वनों की कटाई और व्यापक हुई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले वर्ष यानी 2023 में प्राथमिक उष्णकटिबंधीय वनों – जो कार्बन भंडारण और जैव विविधता संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं – में 3.7 मिलियन हेक्टेयर भूमि नष्ट हो गई, जिससे इन वनों की रक्षा के प्रयासों में 38% की बाधा आई।
इसके अलावा, वन क्षरण – यानी जंगलों का पूर्ण विनाश हुए बिना उन्हें होने वाली क्षति जो वनों की कटाई से 10 गुना अधिक खराब है – से 2022 में 62.6 मिलियन हेक्टेयर प्रभावित हुआ है। रिपोर्ट में वैश्विक रुझानों का विश्लेषण किया गया है, जिसमें कहा गया है कि ब्राजील ने वनों की कटाई को कम करने में कुछ प्रगति की है, लेकिन समग्र रुझान नकारात्मक बने हुए हैं। बोलीविया में वनों की कटाई की दर में वृद्धि जारी है, और इंडोनेशिया में इन क्षेत्रों में पहले की सफलताओं को उलटते हुए तेज वृद्धि देखी गई है।
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