लापरवाही की कीमत: सिंगरौली में एश डेम से ज़हरीली राख के रिसाव के बाद मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एस्सार पावर पर 10 करोड़ का जुर्माना लगाया है लेकिन क्या यह पैसा उन किसानों तक पहुंचेगा जिनकी फसल और ज़मीन बर्बाद हुई है। फोटो – IamRenew

सिंगरौली: ज़हरीली राख रिसाव मामले में एस्सार को देने होंने ₹ 10 करोड़

कंपनी एस्सार के प्लांट से हुये रिसाव के बाद अब सरकार ने आदेश दिये हैं कि कंपनी प्रभावित किसानों को मुआवज़ा दे।  पिछली 7 अगस्त को एस्सार के कोयला बिजलीघर के ऐश डैम से रिसकर ज़हरीली राख कई किसानों के खेतों में फैल गई थी। अधिकारियों का कहना है कि 490 किसानों ने अपनी फसल को हुये नुकसान की शिकायत की थी। स्थानीय प्रशासन ने पहले कंपनी पर ₹ 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया फिर प्रदूषण बोर्ड ने हालात का मुआयना कर एस्सार को ₹ 10 करोड़ रुपये जमा करने को कहा है।

 कोयला बिजलीघर से निकलने वाली राख में आर्सेनिक और मरकरी समेत कई हानिकारक तत्व होते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के रिसाव कृषि और कृषि भूमि के साथ भूजल के लिये ख़तरनाक हैं। इस बारे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी याचिका दायर कर किसानों और स्थानीय लोगों ने मांग की कि कंपनी उस इलाके से ज़हरीली राख और कचरे को हटाये ताकि उसे लोगों के घरों और वहां बने जलाशयों और कुंओं में जाने से रोका जा सके।

इंडोनेशिया में अब जंगल काटने के नये आदेश नहीं,  ग्रीनपीस ने कदम को अपर्याप्त कहा

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने आदेश दिया है कि किसी प्रोजेक्ट के लिये कोई नई फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं दी जायेगी। यानी जंगल काटने का कोई और आदेश जारी नहीं होगा। इससे करीब 6.6 करोड़ हेक्टेयर में फैले वनों को संरक्षण  मिलेगा और जंगलों में लगने वाली आग से होने वाले प्रदूषण रुक सकेगा।

हालांकि ग्रीनपीस का कहना है कि इंडोनेशिया में कड़े नियमों और सज़ा के प्रावधानों की गैरमौजूदगी के चलते राष्ट्रपति विडोडो की यह घोषणा अपर्याप्त होगी। इंडोनेशिया दुनिया के उन देशों में है जहां जंगल बहुत तेज़ी से कट रहे हैं।  पिछले 50 सालों में इंडोनेशिया के भीतर करीब 7.4 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले रेनफॉरेस्ट या तो काट दिये गये हैं या जला दिये गये हैं।

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