उत्तर प्रदेश के 10 शहर व हरियाणा के दो शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) अब भी गंभीर श्रेणी में बना हुआ है।
पटाखों के प्रदूषण का संकट एनसीआर में अब तक बरकरार है। वहीं, इस बीच पंजाब-हरियाणा में इस बार देरी से की जा रही धान की कटाई के बाद सघन तरीके से पराली जलाने का काम जारी है। 3 नवंबर, 2021 को दिल्ली की हवा में पराली प्रदूषण जहां 10 फीसदी था वहीं, 7 नवंबर तक यह 46 फीसदी पहुंच गया।
पराली संकट को लेकर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने नजदीकी राज्यों से बातचीत की गुहार लगाई है। इस मुद्दे ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ लिया है। हालांकि, जैसा मौसम की केंद्रीय एजेंसियां अनुमान लगा रही थीं कि तेज हवाएं 7 तारीख के बाद प्रदूषकों के बिखरने का मौका दे सकती हैं, वैसा परिणाम मिलना शुरू हुआ है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक 24 घंटे के औसत एक्यूआई के तहत 7 नवंबर, 2021 तक दिल्ली का एक्यूआई गंभीर श्रेणी (428) में था। जबकि 8 नवंबर की सुबह 7 बजे तक एक्यूआई में सुधार दर्ज किया गया है।
दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) गंभीर श्रेणी से लुढ़ककर बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गया है। वहीं, उत्तर प्रदेश के 10 शहर व हरियाणा के दो शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) अब भी गंभीर श्रेणी में बना हुआ है।
यूपी के 10 और हरियाणा के 2 शहर गंभीर श्रेणी में मौजूद : –
सीपीसीबी के मुताबिक 8 नवंबर, 2021 की सुबह एक्यूआई
शहर | एक्यूआई | श्रेणी |
आगरा | 451 | गंभीर |
बागपत | 415 | गंभीर |
बल्लभगढ़ (हरियाणा) | 403 | गंभीर |
बुलंदशहर | 402 | गंभीर |
फिरोजाबाद | 462 | गंभीर |
गाजियाबाद | 431 | गंभीर |
हापुड़ | 422 | गंभीर |
जींद (हरियाणा) | 418 | गंभीर |
कानपुर | 426 | गंभीर |
मेरठ | 405 | गंभीर |
नोएडा | 404 | गंभीर |
वृंदावन | 464 | गंभीर |
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के वायु गुणवत्ता सूचकांक की चार अहम श्रेणियां हैं। इसके मुताबिक 1-50 का एक्यूआई अच्छा, 51 से 100 का एक्यूआई संतोषजनक, 101 से 200 का एक्यूआई मध्यम (मॉडरेट), 201-300 का एक्यूआई खराब, 301 से 400 का एक्यूआई बहुत खराब और 401-500 का एक्यूआई गंभीर श्रेणी की वायु गुणवत्ता को दर्शाता है। जबकि 501 से अधिक इमरजेंसी वायु गुणवत्ता को दर्शाता है।
40 घंटे तक पीएम 2.5 रहा आपात स्तर पर
दिल्ली-एनसीआर की हवा में 4 नवंबर, 2021 की सुबह 11.30 बजे से लेकर 6 नवंबर की रात 2.30 बजे तक करीब 40 घंटे तक खतरनाक पार्टिकुलेट मैटर 2.5 आपात स्तर (300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा) पर बना रहा। हालांकि, 35 घंटे के बाद 5 नवंबर की रात 9.30 से पार्टिकुलेट मैटर की सतत निगरानी का अपडेट बंद हो गया था। यह अपडेट अब भी बहुत धीमा है, इसी मॉनिटरिंग के आधार पर सीपीसीबी को ग्रेप के तहत एक्शन लेना होता है।
8 नवंबर, 2021 की सुबह सात बजे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के केंद्रीय नियंत्रण कक्ष के मुताबिक हवा में पार्टिकुलेट मैटर की स्थिति 7 नवंबर की शाम 6.30 बजे तक का ही उपलब्ध है। दिल्ली-एनसीआर की हवा में पीएम 10 और पीएम 2.5 की स्थिति (7 नवंबर, शाम 6.30 बजे) अपने सामान्य मानकों से करीब 3 गुना ज्यादा है।
कोविड जैसी संवेदनशील स्थितियों में भी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के कड़े कदम नहीं उठाए जा सके और पूरे स्मॉग एपिसोड में श्वास से जुड़ी बीमारियों के लिए लोगों को अस्पतालों के चक्कर काटने पड़े।
यह रिपोर्ट डाउन टु अर्थ हिन्दी से साभार ली गई है।
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