फ्लोटिंग एनर्जी: ताप बिजली क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी एनटीपीसी अब देश का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट लगा रही है। फोटो - Saur Energy

एनटीपीसी आंध्र प्रदेश में लगायेगा 15 मेगावॉट का फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट

भारत की सबसे बड़ी सरकारी ताप बिजली कंपनी नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) ने घोषणा की है वह आंध्र प्रदेश के सिम्हाद्रि में 15 मेगावॉट क्षमता का फ्लोटिंग सोलर पावर प्रोजेक्ट लगायेगा। इसके बाद सिम्हाद्रि की कुल फ्लोटिंग सोलर पावर क्षमता 25 मेगावॉट हो जायेगी और वह देश का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट होगा। सरकार का कहना है कि एनटीपीसी अपने सिम्हाद्रि पावर स्टेशन में प्रयोग के तौर पर (पायलट बेसिस) एक हाइड्रोजन आधारित माइक्रो ग्रिड सिस्टम भी लगायेगी। 

इस फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट के लगने के बाद एनटीपीसी ग्रुप की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता (इन्स्टॉल्ड कैपेसिटी) 66,900 मेगा वॉट हो जायेगी। अभी कंपनी के कुल 71 पावर प्रोजेक्ट हैं जिनमें से 29 साफ ऊर्जा वाले हैं। कंपनी ने साल 2032 तक कुल 60,000 मेगावॉट क्षमता के साफ ऊर्जा संयंत्र लगाने का लक्ष्य रखा है।  

भारत की एनर्जी स्टोरेज क्षमता अगले 30 साल में 800 गीगावॉट होने की संभावना: NREL 

नेशनल रिन्यूएबल एनर्जी लेबोरेट्री (NREL)  ने दक्षिण एशिया में एनर्जी स्टोरेज पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसमें इस पहलू पर चर्चा की गई है कि कैसे ग्रिड से जुड़ी एनर्जी स्टोरेज साउथ एशिया के पावर सेक्टर में बदलाव ला सकती है।  एनर्जी स्टोरेज तकनीकों की कीमत पिछले कुल सालों में कम हुई हैं और अगले 10 साल में यह और किफायती हो जायेगा। इस अध्ययन में यह पता लगाने की कोशिश की गई है कि 2050 में भारत में इस लिहाज से किया हालात होंगे। 

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के ब्यूरो ऑफ एनर्जी रिसोर्सेज ने इस शोध के लिये वित्तीय मदद की है। यह रिसर्च कहती है कि भारत के बिजली क्षेत्र में एनर्जी स्टोरेज का रोल बढ़ता रहेगा। किसी भी स्थिति में 2050 तक भारत का एनर्जी स्टोरेज क्षमता 180 से 800 गीगावॉट तक पहुंच जायेगी। 

नये नियमों के तहत ग्रीन हाइड्रोजन की खरीद साफ ऊर्जा मानी जायेगी

भारत ने साफ ऊर्जा क्षेत्र के नियमों में कुछ बदलाव किये हैं जिनमें ग्रीन हाइड्रोजन की खरीद को रिन्यूएबल क्रय में शामिल किया है। केंद्र सरकार ने कूड़े से बिजली उत्पादन (वेस्ट-टु-एनर्जी) को भी अक्षय ऊर्जा में शामिल किया है हालांकि कई जानकार इसे साफ ऊर्जा की श्रेणी में नहीं रखते। 

नये नियम अब 100 किलोवॉट लोड वाले उपभोक्ताओं (जिनमें सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्योग तथा व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स शामिल हैं) को ओपन एक्सेस के ज़रिये खरीद की इजाज़त देते हैं। अब तक 1 मेगावॉट से अधिक लोड वाले उद्योगों ही ऐसी खरीद कर सकते थे।  जानकारों ने प्रस्तावित नियमों का स्वागत किया है और कहा है कि अगर यह नियम सही तरीके से लागू हुये तो अक्षय ऊर्जा सेक्टर में अच्छी वृद्धि होगी। 

साफ ऊर्जा: नये वित्त वर्ष की पहली तिमाही में $ 660 करोड़ का निवेश 

इंस्टिट्यूट ऑफ एनर्जी इकोनोमिक्स एंड फाइनेंसियल एनालिसिस (ईफा) के मुताबिक चालू वित्त वर्ष (2021-22) में साफ ऊर्जा क्षेत्र में फंडिंग पटरी पर आ गई है और पहली तिमाही में कुल 660 करोड़ डालर का निवेश हुआ। इस अध्ययन में कहा गया है कि इस वित्त वर्ष में कुल निवेश  पिछले साल  (2020-21) के 840 करोड़ डालर के निवेश को “आसानी से” पार कर जायेगा। 

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