उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 लोगों को मंगलवार देर शाम निकाल लिया गया। ये मज़दूर 12 नवंबर की सुबह सुरंग में मलबा आ जाने के कारण फंस गये थे। यह सुरंग उत्तराखंड में बन रहे चारधाम यात्रा मार्ग का हिस्सा है और गंगोत्री और यमुनोत्री के बीच दूरी कम करने के लिये बनाया जा रहा था। कुल 400 घंटों से अधिक समय तक चले ऑपरेशन में सरकार की दर्जन भर से अधिक एजेंसियों ने काम किया और कई क्षेत्रों के विशेषज्ञ लगाये गये। मज़दूरों को निकालने के लिये पहले अमेरिकल ऑगर मशीन का सहारा लिया गया और फिर हाथों से खुदाई की गई।
इस घटना के बाद यह सवाल भी उठा है कि क्या इस प्रोजेक्ट में नियमों की अनदेखी की गई। केंद्र सरकार ने देश में 29 सुरंगों का सुरक्षा ऑडिट करने की भी घोषणा की। राज्य सरकार ने भी घटना के दिन कारणों की जांच के लिये एक समिति की घोषणा की थी। इन समितियों की रिपोर्ट का इंतज़ार है।
चीन ने कहा, सांस संबंधी नये संक्रमण की वजह कोई नया वायरस नहीं
चीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि उनके देश में सांस संबंधी बीमारियों में बढ़ोतरी किसी नये वायरस से नहीं है बल्कि ये फ्लू और ज्ञात रोगजनक कारणों से है। उत्तरी चीन में हाल में फेफेड़ों के संक्रमणों में तेज़ी से वृद्धि हुई और निमोनिया के लक्षणों के साथ लोगों का अस्पताल में भर्ती होना शुरु हुआ जिसमें बड़ी संख्या बच्चों की है। इस घटना से दुनिया में महामारी की संभावित आशंका को देखते हुये विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रिपोर्ट मांगी। भारत सरकार ने भी कहा है कि वह चीन में बढ़ते संक्रमणों पर नज़र रखे हुये है।
बेमौसमी बारिश से राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात में 25 मरे
गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश में हफ्ते की शुरुआत में हुई बेमौसमी बारिश ने कम से कम 25 लोगों की जान ले ली। सबसे अधिक 20 लोगों की जान गुजरात में गई। लगभग पूरे गुजरात में रविवार को बारिश हुई। सूरत, सुरेंद्रनगर, तापी, अमरेली, भरूच और खेड़ा ज़िलों में 50 से 117 मिमी तक बारिश हुई। उधर मध्यप्रदेश के 39 ज़िलों में बेमौसमी बारिश हुई और न्यूनतम तापमान 5.4 डिग्री तक गिर गया। राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर में हल्की बारिश हुआ जबकि जालौर में ओलावृष्टि हुई।
भारत में साल के पहले 9 महीने हर दिन दिखी चरम मौसमी घटना
भारत में इस साल के पहले 9 महीनों में तकरीबन हर दिन चरम मौसमी घटना दिखी जिस कारण करीब 3,000 लोगों की मृत्यु हुई। भारत में यह चरम मौसमी घटनायें हीटवेव (लू), शीतलहर, बाढ़, भूस्खलन या चक्रवात जैसी घटनाओं के रूप में दिखीं। पर्यावरण और वित्ज्ञान पर काम करने वाली दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वारेंमेंट का ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हर जगह यह चरम मौसमी घटनायें अनुभव की गईं जिनमें कुल 1.84 मिलियन हेक्टयर पर खड़ी फसल बर्बाद हुई, 2,923 लोगों की जान गई और 80,563 घर नष्ट हुये और 92,519 मवेशी मारे गये।
दुबई में 28वीं क्लाइमेट वार्ता की शुरुआत विवादों के साथ हुई है। पहले बीबीसी ने ख़बर प्रकाशित की कि मेजबान देश यूएई दुबई वार्ता को गैस और तेल से जुड़ी डील के लिये इस्तेमाल करेगा । दुबई के सुलतान अल जबेर जो कि इस कांफ्रेंस के प्रमुख भी है बीबीसी में प्रकाशित ख़बर का खंडन किया कि इस वार्ता फोरम का इस्तेमाल जीवाश्म ईंधन से संबंधित सौदों के लिये किया जायेगा लेकिन जबेर जो कि आबू धाबी नेशनल ऑइल कंपनी एडनॉक (ADNOC) के प्रमुख हैं, के कॉप अध्यक्ष बनने के बाद से यह सवाल लगातार उठा है तेल कंपनी का प्रमुख के मंच पर रहते जीनाश्म ईंधन को रोकने की मुहिम कैसे चलेगी।
बीबीसी ने दस्तावेज़ों का हवाला देकर ख़बर प्रकाशित की है कि क्लाइमेट वार्ता के दौरान यूएई की टीम दुनिया के 15 देशों के साथ जीवाश्म ईंधन सौदों के लिये बातचीत करेगी। इस वार्ता से पहले यूएई ने दुनिया के 27 देशों के साथ मिलकर चर्चा बिन्दु (टॉकिंग पॉइंट) तैयार किये हैं। बीसीसी के मुताबिक जब यूएई की टीम से संपर्क किया गया तो उन्होंने बिजनेस मीटिंग से इनकार नहीं किया और कहा कि “निजी वार्ता निजी हैं”।
उधर जबेर ने जवाब में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा उनका ध्यान केवल वार्ता के एजेंडे पर केंद्रित है। उन्होंने पूछा कि क्या आपको लगता है कि यूएई को या मुझे व्यापारिक सौदे या वाणिज्यिक संबंध स्थापित करने के लिये इस कांफ्रेंस के अध्यक्ष पद की ज़रूरत होगी?
कॉप28: भारत को क्लाइमेट फाइनेंस पर स्पष्ट रोडमैप की उम्मीद
भारत को उम्मीद है कि दुबई में चल रहे कॉप28 में क्लाइमेट फाइनेंस के एक स्पष्ट रोडमैप पर सहमति बनेगी, विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दुबई में ग्लोबल क्लाइमेट एक्शन समिट में भाग लेंगे और तीन अन्य उच्च-स्तरीय कार्यक्रमों में भी शामिल होंगे।
कॉप28 के दौरान इस बात पर गहन चर्चा होने की उम्मीद है कि अमीर देश विकासशील देशों को क्लाइमेट इम्पैक्ट से निपटने, जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से अनुकूलन के लिए कितनी वित्तीय सहायता प्रदान करेंगे। इस जलवायु शिखर सम्मलेन के दौरान लॉस एंड डैमेज फंड पर भी कोई निर्णय होने की उम्मीद है। पिछले साल मिस्र के शर्म अल-शेख में कॉप27 के दौरान अमीर देशों ने लॉस एंड डैमेज फंड स्थापित करने पर सहमति जताई थी। हालांकि, देशों के बीच मतभेदों के कारण इन मुद्दों को हल करने के लिए अतिरिक्त बैठकों की जरूरत पड़ी।
इन बैठकों के दौरान हुए हुए समझौतों के आधार पर एक मसौदा तैयार किया गया है जिसे सम्मलेन में अंतिम मंजूरी के लिए रखा जाएगा। माना जा रहा है कि भारत विकासशील देशों के लिए क्षतिपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु लॉस एंड डैमेज फंड के दायरे को बढ़ाने की वकालत कर सकता है।
कॉप28 में शामिल नहीं होंगे बाइडेन, कमला हैरिस लेंगीं उनकी जगह
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन दुबई में चल रहे जलवायु महासम्मेलन में शामिल नहीं होंगे। उनकी जगह उपराष्ट्रपति कमला हैरिस अमेरिका का प्रतिनिधित्व करेंगी। पिछले हफ्ते वाइट हाउस ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा था कि राष्ट्रपति बाइडेन कॉप28 में शामिल नहीं होंगे और उनकी जगह विशेष राजदूत जॉन केरी और राष्ट्रीय जलवायु सलाहकार अली जैदी सम्मलेन में हिस्सा लेंगे।
हालांकि इस खबर के बाद सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा था, जिसके कारण यह निर्णय लिया गया कि उपराष्ट्रपति हैरिस जलवायु वार्ता में शामिल होंगी। बाइडेन पिछले दो सालों से कॉप में शामिल होते रहे हैं और इस साल उनकी अनुपस्थिति को लेकर क्लाइमेट एक्टिविस्ट और विशेषज्ञों ने रोष जताया था।
बेंगलुरु ने तैयार किया क्लाइमेट एक्शन प्लान, 2050 तक नेट-जीरो हासिल करने का लक्ष्य
बेंगलुरु महानगरपालिका (बीबीएमपी) ने 2050 तक नेट-जीरो हासिल करने के उद्देश्य से बेंगलुरु क्लाइमेट एक्शन एंड रेज़िलिएंस प्लान (बीसीएपी) तैयार किया है। बेंगलुरु शहर की C40 सिटीज़ प्रतिबद्धता के तहत यह डेटा-संचालित, समावेशी और कोलैबोरेटिव क्लाइमेट एक्शन प्लान तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य है ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन को कम करना और स्वस्थ, न्यायसंगत और रेज़िलिएंट समुदायों का निर्माण करना। C40 दुनिया के प्रमुख शहरों के लगभग 100 मेयरों का एक वैश्विक नेटवर्क है जो जलवायु संकट का सामना करने के लिए एकजुट हुए हैं।
बीबीएमपी ने कहा कि इस पहल के साथ बेंगलुरु दुनिया के उन कुछ चुनिंदा शहरों में से एक और भारत का तीसरा ऐसा शहर बन जाएगा जिसके पास एक ग्लोबल स्टैंडर्ड क्लाइमेट एक्शन प्लान है।
इस योजना के तहत बीबीएमपी एक क्लाइमेट एक्शन सेल का भी निर्माण करेगी।
हवा में खतरनाक धुंध और यमुना की सतह पर जहरीले झाग से जूझ रही दिल्ली
सर्दियों के वायु प्रदूषण और धुंध के बीच, दिल्ली में यमुना नदी पर तैरता सफेद जहरीला झाग कैमरे में कैद हुआ। नदी पर झाग उस कचरे से आता है जिसे ट्रीट किये बिना ही नदी में छोड़ दिया गया हो। एक रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों के सीवेज और औद्योगिक कचरे के मिश्रण में सफेद झाग में अमोनिया और फॉस्फेट का उच्च स्तर होता है, जो सांस और त्वचा से जुड़ी बीमारियां पैदा कर सकता है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक यमुना की सतह पर तैरते जहरीले झाग से निपटने के लिए दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) द्वारा खाद्य-ग्रेड एंजाइमों से भरी विशेष नावें तैनात की गई हैं। इस बीच दिल्ली में वायु प्रदूषण के स्तर डब्लूएचओ द्वारा तय सुरक्षित स्तर से 50 से 70 गुना अधिक रिकॉर्ड किये गये।
नैनोप्लास्टिक्स प्रदूषण से हो सकता है पार्किंसंस और डिमेंशिया
साइंस एडवांसेज की रिपोर्ट के अनुसार, एक नए शोधपत्र में नैनोप्लास्टिक्स, पार्किंसंस रोग और संबंधित डिमेंशिया के बीच एक संभावित लिंक पाया गया है। अध्ययनों ने पर्यावरण में नैनोप्लास्टिक प्रदूषण के बढ़ते स्तर की पहचान की है। शोधकर्ताओं ने कहा कि नैनोप्लास्टिक्स क्लैथ्रिन-निर्भर एंडोसाइटोसिस के माध्यम से न्यूरॉन्स में आंतरिक रूप से प्रवेश कर सकता है, जिससे हल्की लाइसोसोमल हानि हो सकती है जो एकत्रित α-सिन्यूक्लिन के क्षरण को धीमा कर देती है।
चूहों में, नैनोप्लास्टिक्स α-सिन्यूक्लिन फाइब्रिल्स के साथ मिलकर परस्पर कमजोर मस्तिष्क क्षेत्रों में α-सिन्यूक्लिन विकृति का फैलाव बढ़ा देता है। ये परिणाम नैनोप्लास्टिक प्रदूषण और पार्किंसंस रोग और संबंधित मनोभ्रंश से जुड़े α-सिन्यूक्लिन एकत्रीकरण के बीच आगे की खोज के लिए एक संभावित लिंक को उजागर करते हैं।
दिल्ली, मुंबई में 10 में से छह निवासी वायु प्रदूषण के कारण छोड़ना चाहते हैं शहर: सर्वेक्षण
एक नए सर्वेक्षण में कहा गया है कि नई दिल्ली और मुंबई में रहने वाले 60% लोग दोनों शहरों में बिगड़ते वायु प्रदूषण के कारण स्थानांतरण पर विचार कर रहे हैं। स्वास्थ्य सेवा प्रदाता प्रिस्टिन केयर द्वारा दिल्ली, मुंबई और आसपास के 4,000 लोगों का सर्वेक्षण किया गया था। इसमें यह भी दर्ज किया गया कि 10 में से नौ उत्तरदाताओं को बिगड़ते वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के सबसे आम लक्षणों का अनुभव हो रहा है, जैसे लगातार खांसी, सांस लेने में तकलीफ, घरघराहट, गले में खराश और आंखों में खुजली और पानी आने की समस्या।
रिपोर्ट के अनुसार, 40% उत्तरदाताओं ने सर्दियों के मौसम के दौरान अपने प्रियजनों में अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसी पहले से मौजूद श्वसन संबंधी समस्याओं में गिरावट देखी है। जब वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अपनी जीवनशैली को समायोजित करने के बारे में सवाल किया गया, तो 35% ने बताया कि उन्होंने व्यायाम और दौड़ने जैसी बाहरी गतिविधियाँ बंद कर दी हैं, जबकि 30% ने बाहर मास्क पहनना शुरू कर दिया है।
भारत में संभव है 2030 तक तिगुनी अक्षय ऊर्जा, लेकिन फाइनेंस है रोड़ा: रिपोर्ट
भारत ने अपनी 14वें नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान (एनईपी) में नवीकरणीय ऊर्जा में वृद्धि की जो योजना बनाई है, वह 2030 तक देश की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना से अधिक बढ़ाने के लिए पर्याप्त है, लेकिन इसके लिए भारत को 293 अरब डॉलर की जरूरत होगी, वैश्विक ऊर्जा थिंकटैंक एम्बर की एक रिपोर्ट में कहा गया है।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए दुनिया को 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना और ऊर्जा दक्षता को दोगुना करना होगा। एम्बर के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत को अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का और विस्तार करने और आईईए द्वारा प्रस्तावित लक्ष्य पूरे करने के लिए 101 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अतिरिक्त फाइनेंस की जरूरत है।
आईईए के लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारत को 2030 तक अपनी ऊर्जा का लगभग 32 प्रतिशत सौर ऊर्जा से और 12 प्रतिशत पवन ऊर्जा से उत्पन्न करने की जरूरत होगी। जिसके लिए भारत को एनईपी14 में नियोजित वृद्धि के अतिरिक्त 2030 तक 115 गीगावॉट सौर और 9 गीगावॉट पवन ऊर्जा क्षमता जोड़नी होगी।
इससे 2030 तक भारत की सौर क्षमता 448 गीगावॉट और पवन क्षमता 122 गीगावॉट तक बढ़ जाएगी। भारत का वर्तमान लक्ष्य 2030 तक 500 गीगावॉट क्षमता स्थापित करना है। एम्बर की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 और 2030 के बीच, देश को सौर और पवन ऊर्जा के अपने मौजूदा लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 293 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जरूरत है। वहीं आईईए के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 101 बिलियन डॉलर चाहिए होंगे।
भारत में इस साल सौर क्षमता स्थापना में 47% की गिरावट: रिपोर्ट
भारत में इस साल जनवरी से सितंबर के दौरान सोलर इंस्टॉलेशन में 47 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। मेरकॉम इंडिया के अनुसार, इस दौरान देश में 5.6 गीगावॉट सौर ऊर्जा इंस्टॉल की जा सकी, जिसकी वजह परियोजनाओं के निष्पादन में देरी बताई जा रही है।
मेरकॉम की रिपोर्ट में कहा गया कि जुलाई-सितंबर की तिमाही के दौरान 1.9 गीगावाट सौर क्षमता स्थापित की गई, जो पिछले साल इसी दौरान हुई स्थपना से 34 प्रतिशत कम है। हालांकि पिछली तिमाही के मुकाबले इंस्टॉलेशन 6 प्रतिशत बढ़ा है।
मुख्य रूप से कई बड़ी सोलर और हाइब्रिड बिजली परियोजनाओं को मिले एक्सटेंशन और भूमि तथा ट्रांसमिशन मुद्दों के कारण देरी का सामना कर रही परियोजनाओं के चलते जनवरी-सितंबर 2023 के दौरान इंस्टॉलेशन प्रभावित हुआ।
चीन में अधिक आपूर्ति ने सौर मॉड्यूल की औसत बिक्री कीमतों को और कम कर दिया है, जो पिछली चार तिमाहियों से लगातार गिर रही हैं।
इरेडा के शेयरों की कीमत 74% तक बढ़ी
भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा) ने बुधवार को शेयर बाजार में शानदार शुरुआत की। कंपनी के शेयर जिनका इशू प्राइस 32 रुपए था, उनकी लिस्टिंग 56 प्रतिशत से अधिक के प्रीमियम के साथ 50 रुपए पर हुई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) दोनों पर कंपनी के शेयर 50 रुपए पर लिस्ट हुए थे और ट्रेडिंग के दौरान इनकी कीमत 74% बढ़कर 55.70 रुपए पहुंच गई।
बुधवार को सुबह के कारोबार के दौरान कंपनी की मार्केट वैल्यू 14,460.17 करोड़ रुपए रही। इरेडा की इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) की मांग 38.80 गुना अधिक थी। इस आईपीओ में 40,31,64,706 नए शेयर और 26,87,76,471 मौजूदा शेयरों की बिक्री प्रस्तावित थी। एक शेयर के लिए 30-32 रुपए की मूल्य सीमा तय की गई थी।
पिछले साल मई में एलआईसी के आईपीओ के बाद किसी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम द्वारा यह पहला पब्लिक इशू था। इससे प्राप्त आय का उपयोग इरेडा की पूंजी को बढ़ाने के लिए किया जाएगा।
भूकंप पीड़ितों को नवीकरणीय ऊर्जा मुहैया कराएगी नेपाल सरकार
नेपाल सरकार ने कहा है कि वह 3 नवंबर के भूकंप के पीड़ितों को नवीकरणीय स्रोतों, विशेष रूप से सौर फोटोवोल्टिक प्रणाली, के ज़रिए बिजली प्रदान करने की योजना बना रही है। 3 नवंबर को जजरकोट और रुकुम पश्चिम जिलों में 6.4 तीव्रता का भूकंप आया, जिसके परिणामस्वरूप 154 लोगों की मौत हो गई और 346 घायल हो गए। ऊर्जा, सिंचाई और जल संसाधन मंत्री शक्ति बस्नेत ने एक कार्यक्रम में कहा कि भूकंप के कारण 26,500 से अधिक घर पूरी तरह से नष्ट हो गए और कम से कम 62,000 घरों को आंशिक क्षति हुई।
वैकल्पिक ऊर्जा संवर्धन केंद्र (एईपीसी) द्वारा आयोजित कार्यशाला में बस्नेत ने कहा कि सरकार भूकंप पीड़ितों को नवीकरणीय स्रोतों के ज़रिए ऊर्जा मुहैया करने की योजना बना रही है। एईपीसी एक सरकारी निकाय है जो पूरे नेपाल में ऊर्जा दक्षता और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहा है।
इलेक्ट्रिक वाहनों में आईं 79% अधिक समस्याएं, विश्वसनीयता पर सवाल: सर्वे
एक प्रभावशाली अमेरिकी गैर-लाभकारी संगठन के सर्वे में पाया गया है कि चार्जिंग और बैटरी की समस्याओं के कारण इलेक्ट्रिक वाहन अंतर्दहन इंजन (आईसीई) वाहनों के मुकाबले कम विश्वसनीय होते हैं। हालांकि उपभोक्ता बहुत तेजी से इलेक्ट्रिक वाहन खरीद रहे हैं।
कंस्यूमर रिपोर्ट्स के वार्षिक ऑटो विश्वसनीयता सर्वेक्षण 2023 से पता चला कि नए इलेक्ट्रिक वाहनों में औसतन 79% अधिक समस्याएं आईं। हाइब्रिड वाहनों में आईसीई वाहनों की तुलना में कम समस्याएं आईं, जबकि प्लग-इन हाइब्रिड में 146% अधिक समस्याएं आईं।
19 श्रेणियों की रैंकिंग में इलेक्ट्रिक पिकअप सबसे कम विश्वसनीय पाए गए जबकि कॉम्पैक्ट कार, स्पोर्ट्स कार और छोटी पिकअप की सबसे विश्वसनीयता सबसे अधिक रही।
दिल्ली सरकार की ईवी योजना को मिली उपराजयपाल की मंजूरी
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया कि उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने ‘दिल्ली मोटर वाहन एग्रीगेटर और डिलीवरी सेवा प्रदाता योजना 2023’ को मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत एग्रीगेटर्स, डिलीवरी सेवाओं और ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए 2030 के बाद उनके वाणिज्यिक वाहनों को जीरो-उत्सर्जन इलेक्ट्रिक वाहनों में तेजी से बदलना अनिवार्य है।
यह योजना दिल्ली में 25 या अधिक वाहनों वाले एग्रीगेटर्स, डिलीवरी सेवाओं और ई-कॉमर्स कंपनियों पर लागू होती है। इसमें उन सेवाओं को शामिल किया गया है जो उपभोक्ताओं से जुड़ने के लिए ऐप या वेबसाइट जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं। इसके अतिरिक्त, इस योजना से दिल्ली में इलेक्ट्रिक बाइक टैक्सी सेवाओं की शुरुआत का रास्ता साफ़ हुआ है। इस पहल के लिए आधिकारिक अधिसूचना बाद में जारी होने की उम्मीद है।
घरेलू ईवी बाजार में चीन की भूमिका कम करेगा अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का प्रशासन नए टैक्स-क्रेडिट नियम जारी कर सकता है, जिससे अमेरिका में इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार को नया आकार मिलेगा, मामले से परिचित लोगों ने बताया। अमेरिका ने पिछले साल नई ईवी खरीदने वाले लोगों को 7,500 डॉलर की टैक्स सब्सिडी देने वाली योजना में सुधार किया था। इन नए नियमों में से एक में कहा गया है कि यदि उपभोक्ता ऐसी कारें खरीदते हैं जिनमें प्रयुक्त बैटरी मैटेरियल ‘फॉरेन एंटिटी ऑफ़ कंसर्न’ से आया है, तो वह टैक्स सब्सिडी का दावा नहीं कर पाएंगे।
इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट में इस नियम को रखने का उद्देश्य था कि घरेलू निर्माता चीनी सामान पर निर्भरता कम करें।
चीन अपने यहां निर्मित इलेक्ट्रिक वाहनों पर इतनी सब्सिडी दे देता है कि विदेशों में वह बहुत सस्ती मिलती हैं। लेकिन अमेरिका की ईवी नीति शुरू से ही ऐसी रही है जहां चीन की सब्सिडी काम नहीं आती। हालांकि, जानकारों का कहना है कि चीन अमेरिका के बाजारों में अपने वाहनों को लोकप्रिय बनाने के लिए नई योजनाएं बना रहा है, और अमेरिका की वर्तमान नीतियां इससे निपटने में सक्षम नहीं होंगी। इसलिए नियमों में संशोधन की जरूरत है।
क्या पुराने टायरों से बन सकती है ईवी बैटरी?
इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग के बीच, एक स्टार्ट-अप कंपनी इस्तेमाल किए गए टायरों को बैटरी में बदलकर कारों को और भी अधिक टिकाऊ बनाने पर विचार कर रही है। अधिकांश इलेक्ट्रिक वाहन लिथियम-आयन बैटरी पर चलते हैं। लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह बैटरियां पर्यावरण के लिए अनुकूल और टिकाऊ होने से कोसों दूर हैं। इसी कारण से चिली स्थित टी-फ़ाइट नाम की कंपनी का कहना है कि वह पुराने टायरों को बैटरी में बदल सकती है।
इस प्रक्रिया में इस्तेमाल किए गए टायरों को पायरोलिसिस नामक प्रोसेस से गुज़ारा जाता है, जिसमें अत्यधिक गर्मी के कारण टायरों छोटे अणुओं में टूट जाते हैं। इन अणुओं से तीन प्राथमिक बाइप्रोडक्ट बनते हैं — पायरोलाइटिक ऑइल, स्टील और कार्बन ब्लैक, जो एक ऐसा पदार्थ जिसमें ग्रेफाइट होता है। बैटरी के भीतर ग्रेफाइट की आवश्यक होती है।
कॉप28: भारत के जीवाश्म ईंधन कटौती पर प्रतिबद्ध होने की संभावना कम
संयुक्त राष्ट्र क्लाइमेट वार्ता के दौरान भारत ‘क्लाइमेट जस्टिस’ और ‘इक्विटी’ के सिद्धांतों पर जोर देते हुए ग्लोबल साउथ को फायदा पहुंचाने का समर्थन करेगा; और अपने जी20 के एजेंडे को लेकर आगे बढ़ेगा।
जीवाश्म ईंधन का वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 75 प्रतिशत से अधिक योगदान है, और पूरी दुनिया में इसे फेजआउट करने का दबाव बढ़ रहा है। उम्मीद की जा रही है कि इस सम्मलेन में फेजआउट को लेकर चर्चा होगी। हालांकि खबरों के अनुसार भारत नहीं चाहता कि इस तरह की कोई घोषणा को कॉप की प्रस्तावना में सम्मिलित किया जाए। भारत की 70% बिजली अभी भी कोयले से उत्पन्न होती है और इसका उत्सर्जन अभी अपनी चरम सीमा पर नहीं पहुंचा है।
हालांकि भारत वैश्विक अक्षय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना बढ़ाने का समर्थन करता है, लेकिन इसका मानना है कि नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े घोषणापत्र में जीवाश्म ईंधन का उल्लेख नहीं होना चाहिए। भारत कॉप28 के लिए प्रस्तावित ग्लोबल कूलिंग प्लेज पर भी हस्ताक्षर करने का इच्छुक नहीं है। इस प्रतिज्ञा के अनुसार, 2050 तक सभी क्षेत्रों में कूलिंग से संबंधित उत्सर्जन को (2022 के स्तर की तुलना में) 68% तक कम करना होगा।
जीवाश्म ईंधन का “अंधाधुंध” प्रयोग बंद करने का अमेरिका करेगा समर्थन
अमेरिकी जलवायु दूत जॉन केरी ने कहा है कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन (कॉप28) के दस्तावेज़ में जीवाश्म ईंधन के “अंधाधुंध” प्रयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की भाषा का समर्थन करेगा। केरी ने कहा कि 2050 तक नेट-जीरो प्राप्त करने के लिए जीवाश्म ईंधन के “अंधाधुंध” प्रयोग में तेजी से कटौती की जाएगी। हालांकि उन्होंने इस फेजआउट के लिए कोई समयसीमा नहीं बताई।
केरी ने कहा, “हमने पहले भी जीवाश्म ईंधन के अंधाधुंध प्रयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का समर्थन किया है है, और इसका समर्थन करना जारी रखेंगे। हमने जी7 में इसका समर्थन किया था और हम अब भी इसका समर्थन करते हैं। हमारे लिए यह समझना कठिन है कि हम जिस दुनिया में रह रहे हैं, वहां जीवाश्म ईंधन के बेरोकटोक प्रयोग की इजाजत कैसे दी जा सकती है, जबकि हम खतरों के बारे में जानते हैं।”
इस साल जीवाश्म ईंधन से मिली दुनिया की 60% बिजली
दुनिया की सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ाने के प्रयासों के बीच, ताजा आंकड़े बताते हैं कि इस साल अब तक दुनिया भर में 60% बिजली का उत्पादन जीवाश्म ईंधन द्वारा किया गया था। थिंकटैंक एम्बर के आंकड़ों के अनुसार, इस साल कई प्रमुख देशों ने अपनी आधी से अधिक बिजली जीवाश्म ईंधन से प्राप्त की है, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका (59%), चीन (65%), भारत (75%), जापान (63%), पोलैंड (73%) और तुर्की (57%) प्रमुख हैं।
एम्बर के डेटा से पता चलता है कि पिछले आठ महीनों में पूरी दुनिया में किसी भी अन्य स्रोत की तुलना में कोयले से अधिक बिजली पैदा की गई। अगस्त के दौरान दुनिया भर में लगभग 36% बिजली कोयला संयंत्रों से प्राप्त की गई, जो 2022 की इसी अवधि की तुलना में थोड़ा ही कम है।
कुल बिजली उत्पादन मिश्रण में कोयले की हिस्सेदारी 2019 में यूरोप में लगभग 16% और उत्तरी अमेरिका में 21% थी, जो इस साल घटकर यूरोप और उत्तरी अमेरिका दोनों में लगभग 14% हो गई है। एशिया में कोयले की हिस्सेदारी लगभग 56% थी, जो काफी हद तक अपरिवर्तित रही है।