Vol 1, August 2022 | जलवायु संकट की मार, भारत ने अपडेट किये अपने राष्ट्रीय लक्ष्य

Newsletter - August 10, 2022

फसल चौपट: रबी और खरीफ दोनों फसलों पर असर से साफ है कि जलवायु संकट का सर्वाधिक प्रभाव कृषि और खाद्य सुरक्षा पर पड़ेगा।

कई राज्यों में बरसात की आंखमिचौली से धान की फसल पर चोट

देश के कई राज्यों में अनियमित बारिश के कारण धान की फसल पर असर पड़ा है। कुछ हफ्ते पहले पूरे देश में हीटवेव के कारण गेहूं का उत्पादन घटा था। यूपी, बंगाल और बिहार देश के सबसे बड़े धान उत्पादकों में हैं जहां कई हिस्सों में बारिश कम हुई। दूसरी ओर एक अन्य बड़े धान उत्पादक राज्य असम की ज़्यादातर ज़मीन बाढ़ में डूबी रही।     जानकार बताते हैं कि ऐसे हालात में धान का उत्पादन 1.5 करोड़ टन घट सकता है। 

हीटवेव से 9 राज्यों के कृषि उत्पादन पर प्रभाव: रिपोर्ट 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की एक रिपोर्ट के मुताबिक  मार्च और अप्रैल में तेज़ हीटवेव के कारण देश के 9 राज्यों  के कृषि उत्पादन पर असर पड़ा है। यह राज्य हैं पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, यूपी, एमपी और महाराष्ट्र। गेहूं के उत्पादन पर तो असर पड़ा ही हीटवेव के कारण कीड़ों की मार भी बढ़ी, ज़मीन पर हरियाली कम हुई। इसके अलाना फसलों और पशुओं पर वाइरल संक्रमण हुआ।

मौसम विभाग ने बताया था कि जुलाई में 85% ज़िले किसी न किसी स्तर पर शुष्क हालात झेल रहे  हैं। रिपोर्ट में पाया गया कि 756 में से 63 ज़िले शुष्क नहीं (नॉन-एरिड) की श्रेणी में थे जबकि 660 ज़िलों में मौजूदा दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के बावजूद कम, मध्यम या अधिक शुष्कता थी। बचे 33 ज़िलों के डाटा उपलब्ध नहीं थे। कुल 660 में से जो 196 ज़िले बहुत अधिक शुष्कता झेल रहे हैं उनमें से 65 यूपी में हैं।   

बाढ़ जैसी क्लाइमेट आपदाओं ने संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ाया 

क्लाइमेट चेंज से बिगड़ते बाढ़ के हालात, हीटवेव और सूखे के कारण मलेरिया, हैजा और हंतावाइरस जैसी बीमारियों का खतरा 58% बढ़ा है। यह बात एक नई स्टडी में सामने आयी है। नेचर क्लाइमेट चेंज नाम के जर्नल में छपी इस स्टडी में स्थापित मामलों के अध्ययन के बाद पाया गया कि मानवों को होने वाली ज्ञात 375 संक्रामक बीमारियों में से 218 का फैलाव बढ़ा है और क्लाइमेट चेंज से जुड़े 10 तरह की एक्सट्रीम वेदर में से किसी न किसी से इस फैलाव का रिश्ता है।  

सभी महाद्वीपों में हीटवेव के कारण टूट रहे तापमान के रिकॉर्ड 
चीन में भयानक हीटवेव चल रही है और अभी वहां के 70 शहरों में 40 डिग्री से अधिक का तापमान है। अधिकारियों का कहना है कि  373 अन्य शहरों में तापमान के 35 डिग्री से अधिक जाने की संभावना है। जुलाई के महीने में ये चीन में दूसरी हीटवेव है। उधर यूरोप में यूके, स्पेन, हंगरी, क्रोशिया फ्रांस सहित कई देशों में हीटवेव चल रही है। फ्रांस के 5 क्षेत्रों में ‘ऑरेंज अलर्ट’ किया गया है जहां तापमान लगातार 35 डिग्री होने के बाद अब  40 डिग्री से ऊपर होने की संभावना है। स्पेन के सिविले में तापमान 43 डिग्री से ऊपर होने के बाद यहां दुनिया में पहली बार हीटवेव का नामकरण किया गया – जोइये।  उत्तरी अमेरिका में दो हीटवेव दर्ज की गई। पहली ओक्लाहामा और कन्हास और दूसरी ओरेगोन और वॉशिंगटन के बीच। 

विवादित बिल अटका : सरकार ने बिजली वितरण क्षेत्र में बदलाव वाला बिल पास कराने की कोशिश की लेकिन विपक्ष और मज़दूर संगठनों के दबाव में यह अटक गया है।

बिजली क्षेत्र का विवादित बिल संसदीय समिति को भेजा गया

केंद्र सरकार ने बिजली क्षेत्र के एक विवादित बिल – इलैक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2021 – को लोकसभा में पेश करने के बाद संसद की स्थायी समिति (स्टैंडिंग कमेटी) को भेज दिया। इस बिल में वितरण क्षेत्र में बड़े बदलाव सुझाये गये हैं लेकिन मज़दूर संगठनों और विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार बिल के बहाने निजीकरण का रास्ता खोल रही है। विपक्ष ने कहा कि बिल संघीय ढांचे के खिलाफ है और बिजली का विषय समवर्ती सूची में होने के बावजूद केंद्र सरकार राज्यों की शक्तियों को कम करके सारी ताकत अपने हाथ ले लेना चाहती है।  

कैबिनेट ने नये एनडीसी को स्वीकृति दी

कैबिनेट ने पेरिस समझौते के तहत भारत के नये एनडीसी (जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिये तय लक्ष्य) का अनुमोदन कर दिया है। भारत ने ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने के लिये तय एनडीसी अपडेट किये हैं जिनके मुताबिक 2030 तक भारत अपनी कार्बन उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से 45% कम करेगा। पहले यह लक्ष्य 33-35% कम करने का था। 

भारत ने यह भी घोषणा की है वह 2030 तक अपनी कुल बिजली उत्पादन का 50% गैर-जीवाश्म ईंधन से बनाने की क्षमता हासिल कर लेगा। पहले के एनडीसी में यह लक्ष्य 40% रखा गया था। महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल ग्लोसगो सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन से लड़ने के दिशा में जिन पांच लक्ष्यों को ऐलान किया था उनमें यह दो टारगेट भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने 2030 तक 500 गीगावॉट साफ ऊर्जा का क्षमता स्थापित करने के लक्ष्य और 1 बिलियन टन कार्बन उत्सर्जन कम करने की बात भी कही थी जिसे आधिकारिक लक्ष्यों में शामिल नहीं किया गया है। साल 2070 तक नेट ज़ीरो इमीशन का लक्ष्य पाना भी आधिकारिक एनडीसी टार्गेट में नहीं  है।    

नेट-ज़ीरो के लिये अगले 50 साल में चाहिये 20 लाख करोड़ डॉलर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक जिस नेट ज़ीरो क्लाइमेट लक्ष्य को हासिल करने की घोषणा पिछले साल ग्लोसगो सम्मेलन के दौरान  की उसके लिये आर्थिक मोर्चे पर भारत को भारी कीमत अदा करनी होगी। रिसर्च फर्म यूबीएस के मुताबिक भारत को अगले 50 साल में 20 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के बराबर रकम खर्च करनी होगी यानी करीब 1,600 लाख करोड़ रुपये।  

रिपोर्ट में सोलर सेल, बैटरी और इलैक्ट्रोलाइज़र उत्पादन को लेकर भारत की क्षमता पर सकारात्मक अनुमान है।  रिपोर्ट में भारत में 4 जी के फैलाव की मिसाल दी गई है और कहा गया है कि चीन से काफी देर में रिन्यूएबल के बाज़ार में आने के बाद भी भारत ने अपनी स्वावलम्बी  क्षमता दिखाई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेक्टर को सही नीतियें, आर्थिक प्रोत्साहन और कॉर्पोरेट बैंकिग के सहयोग की ज़रूरत होगी। 

अमेरिका क्लाइमेट और एनर्जी क्षेत्र में $369 बिलियन के लिये बनायेगा कानून  

अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन और साफ ऊर्जा के लिये 36900 करोड़ डॉलर (369 बिलयन) खर्च करने के लिये कानून बनाने का फैसला किया है। डेमोग्रेट सांसदों का कहना है कि इससे 2030 के लिये तय क्लाइमेट टार्गेट का 80% काम पूरा करने में मदद मिलेगी। सीनेटर जो मेंचिन (जो कि कोयला प्रचुर राज्य पश्चिम वर्जीनिया के हैं) के यू-टर्न के बाद अब इस कानून का पास होना तय माना जा रहा है। 

इस कानून के तहत कॉर्पोरेशन टैक्स के ज़रिये पैसा इकट्ठा किया जायेगा। इससे स्कूलों, बंदरगाहों और कूड़ा निस्तारण कंपनियों को ज़ीरो इमीशन वाहन के लिये कर्ज़ और ग्रांट  मिलेगी। कार निर्माताओं को क्लीन कार फैक्ट्रियां स्थापित करने के लिये 20 बिलयन डॉलर तक के कर्ज़ मिलेंगी। 

शहरी समस्या?: केंद्र सरकार संसद में कहा है कि वायु प्रदूषण मूल रूप से शहरी समस्या है | फोटो : WikimediaCommons_Ministry of Environment, Forest and Climate Change

सरकार ने संसद में कहा, वायु प्रदूषण शहरी समस्या

कोयला पावर प्लांट, प्रदूषित करने वाले उद्योग और ईंट भट्टे भले ही ग्रामीण क्षेत्रों में लगते हों पर सरकार को लगता है कि वायु प्रदूषण शहरी मुद्दा है और वह शहरी क्षेत्र में इसकी मॉनिटरिंग पर ध्यान केंद्रित कर रही है। जानकारों ने सरकार की इस समझ को गलत बताया है। पूरे देश में 465 शहरों में लगाये गये 1,243 एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों में से केवल 26 ही ग्रामीण इलाकों में हैं। कुल 24 पंजाब में हैं और दो दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव में प्रयोग के तौर पर लगाये गये हैं। सरकार का कहना है कि उसने हिमाचल प्रदेश (5), केरल (2), मिज़ोरम (5), ओडिशा (2), त्रिपुरा (1) और उत्तर प्रदेश (2) के लिये 17 मॉनिटरिंग स्टेशन मंज़ूर किये है। 

जानकार कहते हैं कि सरकार अगर ग्रामीण इलाकों को मॉनिटर नहीं कर रही तो इसका मतलब यह नहीं है कि वहां प्रदूषण नहीं है। सैटेलाइट तस्वीरें और डाटा बताते हैं कि गांवों में भी प्रदूषण शहरों जैसी ही समस्या है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वायु प्रदूषण एक क्षेत्रीय मुद्दा है और गांव व शहर दोनों ही इससे प्रभावित होते हैं। 

नया ग्रेडेड एक्शन प्लान दिल्ली-एनसीआर में 1 अक्टूबर से लागू होगा

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण के लिये नया ग्रेडेड एक्शन प्लान 1 अक्टूबर से लागू होगा। परिवर्तित एक्शन प्लान एयर क्वॉलिटी (पूर्वानुमान के आधार पर ) एक स्तर से अधिक खराब होने के 3 दिन पहले ही लागू कर दिया जायेगा। पहले यह एक्शन प्लान वायु गुणवत्ता के एक स्तर पर पहुंच जाने पर लगाया जाता था।  

नये प्लान के तहत एयर क्वॉलिटी बहुत खराब (सीवियर) होने पर  निर्माण कार्य पर रोक (रेलवे, राष्ट्रीय सुरक्षा, अस्पताल, मेट्रो और सड़क जैसे रेखीय प्रोजेक्ट्स को छोड़कर)  लगेगी। पहले यह रोक वायु गुणवत्ता ‘सीवियर +’ श्रेणी में होने पर लगती थी। निर्माण कार्य में हाइवे, रोड, फ्लाईओवर आदि पर रोक हवा के ‘सीवियर +’ होने पर लगेगी। 

फसल ना जलने के लिए 2,500 नकद रुपये प्रति एकड़ देने का प्रस्ताव

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के मुताबिक, पंजाब सरकार ने पराली यानी फसल अवशेष नहीं जलाने पर पंजाब के किसानों को 2,500 रुपये प्रति एकड़ नकद प्रोत्साहन देने का प्रस्ताव किया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि नकद प्रोत्साहन का योगदान पंजाब, दिल्ली और केंद्र सरकार द्वारा मिलकर किया जाएगा। केजरीवाल के अनुसार पंजाब सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि वह 500 रुपये देगी, दिल्ली सरकार 500 रुपये देगी और केंद्र सरकार 1,500 रुपये देगी।

हर साल अक्टूबर के महीने में पराली जलाने से हवा में प्रदूषण काफी बढ़ जाता है। इसी समय दीपावली के कारण एयर क्वॉलिटी काफी ख़राब होती है। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के अनुसार, पिछले साल दिल्ली में मिले PM2.5 में पराली जलाने का योगदान 48 फीसदी था |

बच्चों को वायु प्रदूषण का ख़तरा वयस्कों से अधिक
एक अमेरिकी शोध में पाया गया है कि अधिक वायु प्रदूषण वाले क्षेत्र में वयस्कों के मुकाबले बच्चों पर अधिक प्रभाव पड़ता है। यह बात ख़ून के नमूनों की जांच के आधार पर कही गई है। इस जांच में बच्चों के शरीर में सूजन और जलन के बढ़े हुये संकेत पाये गये।  वैज्ञानिकों का कहना था कि जंगलों में आग के दौरान फैले प्रदूषण का निश्चित प्रभाव बच्चों में पड़ा जिनके शरीर के हृदय, गुर्दा और फेफड़े जैसे महत्वपूर्ण ऑर्गन वयस्कों की तुलना में छोटे होते हैं और दमा, फेफड़ों में संक्रमण और रक्त चाप से लड़ने की कम शक्ति होती है।  इसका असर स्कूल में बच्चों के प्रदर्शन और उनकी स्मरण शक्ति पर भी पड़ता है। 

नये बदलाव: सरकार ने 500 गीगावॉट साफ ऊर्जा के लक्ष्य को आधिकारिक रूप से नहीं माना पर नये बिल में क्लीन एनर्जी को बढ़ाने और कार्बन क्रेडिट का प्रावधान रखा है।

अपडेटेड लक्ष्य में नहीं है 500 गीगावॉट का वादा, नये एनर्जी बिल में कार्बन क्रेडिट की बात

भारत ने पेरिस संधि के तहत ग्लोबल वॉर्मिंग से निपटने के लिये अपने किये गये अपने वादों (एनडीसी) को अपडेट किया लेकिन उसमें साल 2030 तक 500 गीगावॉट साफ ऊर्जा क्षमता को स्थापित करने का वादा नहीं है। महत्वपूर्ण है कि पिछले साल ग्लासगो सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने जो इरादे ज़ाहिर किये थे उनमें 500 गीगावॉट का यह लक्ष्य भी था। वैसे भारत सरकार के ऊर्जा मंत्री ने हाल में कहा कि देश में बिजली की मांग बढ़ी है और कुल ऊर्जा का 29% साफ ऊर्जा संयंत्रों से आ रहा है।  

इस बीच सरकार ने लोकसभा में एनर्जी कंजरवेशन अमेंडमेंट बिल पास करा लिया। जिसमें उद्योगों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और रिहायशी बिल्डिंग में भी ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल को अनिवार्य करने का प्रावधान है। इस बिल में कार्बन क्रेडिट सर्टिफिकेट के भी प्रावधान हैं जिसके तहत साफ ऊर्जा इस्तेमाल करने वाली यूनिट्स क्रेडिट कमा कर उन कंपनियों से पैसा ले सकती हैं जो ग्रीन एनर्जी का पर्याप्त इस्तेमाल नहीं कर पाई हों।  

हालांकि विपक्ष के कुछ सांसदों ने बिल में कार्बन क्रेडिट की “अस्पष्ट” परिभाषा को लेकर संदेह प्रकट किया। आरएसपी के एक विपक्षी सांसद  ने बहस के दौरान कहा कि कार्बन ट्रेडिंग की परिभाषा सपष्ट नहीं है और बिल कार्बन ट्रेडिंग को बढ़ावा देने वाला है जिसे कुछ गिन चुने उद्योगपतियों को फायदा लाने के लिये पास कराया जा रहा है।  

मध्य प्रदेश बनायेगा 2030 तक 20,000 मेगावॉट अतिरिक्त साफ ऊर्जा 

मध्य प्रदेश सरकार ने 2030 तक 20 हज़ार मेगावॉट अतिरिक्त क्लीन एनर्जी के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की घोषणा की है। राज्य अभी 5,500 मेगावॉट साफ ऊर्जा बनाता है। नये लक्ष्य को हासिल करने के लिये कभी दस्युओं के लिये कुख्यात रहे चंबल क्षेत्र में  एक सोलर प्लांट लगाया जायेगा। भारत ने  अपने अपडेटेट एनडीसी (जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिये निर्धारित लक्ष्य) में आधिकारिक रूप से कहा है कि वह 2030 तक अपनी कुल बिजली उत्पादन का 50% गैर-जीवाश्म ईंधन से बनाने की क्षमता हासिल कर लेगा।  हालांकि अभी भारत की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 403000 गीगावॉट में से 41% गैर जीवाश्म ईंधन है। इनमें 28% स्थापित ऊर्जा के संयंत्र  सौर, पवन और अन्य स्रोतों से है जबकि 11% हाइड्रो पावर है।

गांवों में रूफटॉप सोलर को बढ़ावा देने के लिये नेट मीटरिंग का प्रस्ताव 

केंद्र सरकार ने ग्रामीण इलाकों में छतों पर सोलर पैनल के ज़रिये साफ ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाने के लिये वर्चुअल नेट मीटरिंग और ग्रुप नेट मीटरिंग का प्रस्ताव रखा है। सरकार का कहना है कि ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में रूफटॉप सोलर अधिक है क्योंकि गांव में बने घर पैनल का भार नहीं झेल सकते। इस समस्या के हल के लिये गांव के लोग इकट्ठा एक जगह पर सौर पैनल लगा सकते हैं जिससे वितरण और ट्रांसमिशन में होने वाला नुकसान भी घटेगा। सरकार ने इलैक्ट्रिसिटी रेग्युलेटरी कमीशन  से पूरे देश में वर्चुअल और ग्रुप नेट मीटरिंग के लिये गाइडलाइन और नोटिफिकेशन जारी करने का कहा है। 

बत्ती गुल होने से परेशान दक्षिण अफ्रीका ने पकड़ा रिन्यूएबल, गैस और बैटरी का रास्ता

बार-बार  बत्ती गुल हो जाने से परेशान दक्षिण अफ्रीका ने रिन्यूएबल और बैटरी को बढ़ावा देने का फैसला किया है लेकिन साफ ही यहां गैस संयंत्रों का प्रयोग भी होगा। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल का कहना है कि दशकों से चली आ रही पावर कट की समस्या से नागरिकों का गुस्सा होना जायज़ है। उन्होंने कोयले से मिलने वाली अविश्वसनीय बिजली और दो नये ताप बिजलीघरों के त्रुटिपूर्ण डिज़ाइन को समस्या के लिये ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि अब उनका देश रिन्यूएबल के साथ-साथ गैस आधारित जेनरेटरों और बैटरी स्टोरेज की मदद से पावर कट की समस्या को खत्म करेगा।    

15 अगस्त को पता चलेगा कि ओला इलैक्ट्रिक बाज़ार में कौन सा नया प्रोडक्ट उतारने की योजना बना रही है।

ओला इलैक्ट्रिक 15 अगस्त को नये उत्पाद की करेगी घोषणा

ओला इलैक्ट्रिक 15 अगस्त को अपने नये प्रोडक्ट का ऐलान करेगी। ऐसा अनुमान है कि अब तक बैटरी चालित दुपहिया बनाती रही कंपनी देश में पहली इलैक्ट्रिक कार की घोषणा कर सकती है। कंपनी के सीईओ के ट्वीट के बाद यह कयास लगाये जा रहे हैं। ओला ने पिछले साल इसी दिन अपने एस-1 सीरीज़ इलैक्ट्रिक स्कूटर को लॉन्च किया था। देश में इलैक्ट्रिक कार की संभावनाओं के साथ चुनौतियां भी बहुत हैं और अगर ओला ईवी कार की घोषणा करती है तो उसे मार्केट में टाटा, ह्युन्दाई और एमजी जैसे ब्रान्ड्स के साथ टक्कर लेनी होगी।   

विद्युत वाहन: टाटा की सहयोगी कंपनी ने फोर्ड के प्लांट को खरीदा

टाटा मोटर्स की जूनियर कंपनी – टाटा पैसेंजर इलैक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड – ने गुजरात के साणंद में फोर्ड के प्लांट को खरीद लिया है। टाटा की ईवी कंपनी ने 726 करोड़ रुपये में फोर्ड का प्लांट खरीदा। टाटा ईवी के क्षेत्र में विस्तार कर रहा है तो फोर्ड ने पिछले साल सितंबर में घोषणा की थी को वह दो चरणों में भारत में वाहन बनाना बंद कर देगी।  टाटा ने कहा है कि वह फोर्ड के सभी  ‘योग्य’ कर्मचारियों को अपनी यूनिट में नौकरी देगा जहां करीब 3,00,000 यूनिट प्रतिवर्ष बनाने की योजना है। 

सप्लाई पर असर: यूरोपीय देशों की आक्रामक खरीद से भारत की गैस सप्लाई पर असर पड़ा है।

यूरोप में बढ़ती गैस की खपत से भारत की सप्लाई प्रभावित

रूस-यूक्रेन संकट के बाद यूरोप अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में उपलब्ध ज़्यादा से ज़्यादा  गैस आयात कर रहा है जिससे भारत को यह ईंधन हासिल करने में   दिक्कत हो रही है। सर्दियों से पहले यूरोपीय देश गैस जमा कर किसी भी संकट से बचना चाहते हैं वहीं सूत्र बताते हैं कि भारतीय कंपनी इंडियन ऑइल ने एलएनजी के लिये जो निविदा निकाली उस पर उन्हें कोई सप्लायर नहीं मिल पाया है। ख़बर है कि इन हालात में गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया (गेल) ने खाद, बिजली और पेट्रोकैमिकल प्लांट्स को सप्लाई में कटौती कर दी है। 

ग्रीनपीस ने नॉर्थ सी में गैस प्रोजेक्ट के लिये यूके सरकार को अदालत में घसीटा  

यू के में इस साल रिकॉर्ड तापमान दर्ज किया गया और इसके हफ्ते भर बाद अब यूके सरकार कानूनी कार्रवाई का सामना कर रही है। आरोप है कि नॉर्थ सी में जो गैस प्रोजेक्ट मंज़ूर करते हुये यूके सरकार ने इस बात को नहीं आंका कि इससे क्लाइमेट पर कुप्रभाव डालने वाला कितना  ग्रीन हाउस गैस इमीशन होगा अब ग्रीनपीस ने सरकार को कोर्ट में घसीटा है। ग्रीनपीस का दावा है कि मल्टीनेशनल कंपनी शेल के जैकडॉ गैस फील्ड प्रोजेक्ट से क्लाइमेट संकट बढ़ेगा और सरकार ने इसे नज़रअंदाज़ किया है। यह प्रोजेक्ट नॉर्थ सी में सरकार द्वारा मंज़ूर किये गये 6 में से एक है जिनके बारे में कहा जा रहा है कि इनसे यूके के जलवायु संकट से लड़ने के सभी प्रयास बेकार हो जायेंगे। ग्रीनपीस का कहना है कि इस प्रोजेक्ट से जितनी गैस निकाली जायेगी उसके जलने से इतनी कार्बन डाइ ऑक्साइड निकलेगी जितनी घाना पूरे एक साल में पैदा करता है। 

तेल और गैस क्षेत्र में पिछले 50 साल में हर रोज़ हुआ 300 करोड़ डॉलर का प्रतिदिन मुनाफा 
विश्व बैंक के आंकड़ों पर आधारित विश्लेषण के हिसाब से ऑइल और गैस सेक्टर ने पिछले 50 साल में हर रोज़ औसतन 300 करोड़ ( 3 बिलियन) अमेरिकी डॉलर के बराबर मुनाफा कमाया। पिछले 5 दशकों में इन विशाल कंपनियों ने कुल 52 लाख करोड़ (ट्रिलियन) अमेरिकी डॉलर कमाये। इस स्टडी को अभी किसी साइंस पत्रिका में प्रकाशित होना बाकी है गार्डियन ने अपनी ख़बर में बताया है कि अकूल दौलत और मुनाफा कमाने वाली कंपनियों ने नीतिगत फैसले लेना वाली सरकारों और महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों को भी प्रभावित किया। विशेषज्ञ कहते हैं कि इस धन से इन कंपनियों के पास “हर राजनेता को खरीदने” और क्लाइमेट संकट से निपटने की कोशिशों को सुस्त करने की ताकत मिली।

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