Newsletter - March 13, 2022
दुनिया के 360 करोड़ लोग जलवायु परिवर्तन से पैदा हुये ख़तरे में: आईपीसीसी रिपोर्ट
धरती के बढ़ते तापमान और मानव जनित जलवायु परिवर्तन का असर इंसान के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के वैज्ञानिकों के अंतरसरकारी पैनल (आईपीसीसी) की ताज़ा रिपोर्ट में यह बात कही गई है। आईपीसीसी के वैज्ञानिकों ने इस रिपोर्ट में क्लाइमेट के “व्यापक विपरीत प्रभावों और इस कारण संभावित विनाशलीला” की चेतावनी दी है। गैरबराबरी और “उपनिवेशवाद” के प्रभाव को रेखांकित करती यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे इस वजह से विकासशील देशों की जलवायु परिवर्तन प्रभावों से लड़ने की क्षमता बाधित हुई।
आईपीसीसी रिपोर्ट – जिसे दुनिया के 195 देशों ने रविवार को औपचारिक रूप से अनुमोदित किया – का अनुमान है कि दुनिया के 330 से 360 करोड़ लोग क्लाइमेट चेंज के अत्यधिक प्रभाव क्षेत्र में हैं। ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों, तटीय इलाकों और शहरों पर जलवायु परिवर्तन प्रभाव का सबसे अधिक खतरा है। इस रिपोर्ट की भारत के लिये काफी अहमियत है क्योंकि यहां हिमालयी क्षेत्र में करीब 10,000 छोटे बड़े ग्लेशियर हैं, कई एग्रो-क्लाइमेटिक ज़ोन हैं और 7500 किलोमीटर लम्बी समुद्र तट रेखा है जिस पर 20 करोड़ से अधिक लोग रोज़गार के लिये प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से निर्भर हैं।
आईपीसीसी रिपोर्ट: मानव जनित जलवायु परिवर्तन से ‘ख़तरनाक गड़बड़ियां’
सोमवार को जारी हुई आईपीसीसी रिपोर्ट के दूसरे हिस्से में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मानव जनित जलवायु परिवर्तन के कारण “बड़ी ख़तरनाक और व्यापक गड़बड़ियां” हो रही हैं। यह आईपीसीसी की छठी रिपोर्ट का दूसरा हिस्सा है जो क्लाइमेट चेंज के प्रभावों, इससे बचने के उपायों और संकट पर केंद्रित है। जल्दी ही इसका तीसरा और अंतिम भाग रिलीज़ होगा जिसके बाद इस साल आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट जारी की जायेगी।
रिपोर्ट के इस भाग में क्लाइमेट चेंज से लड़ने के लिये किये जा रहे उपायों को अपर्याप्त बताया गया है। साल 2050 तक जिन 20 तटीय शहरों को बाढ़ से सर्वाधिक ख़तरा है उनमें से 13 एशिया में हैं। इनमें भारत के मुंबई, कोलकाता और चेन्नई शामिल हैं।
ऑस्ट्रेलिया में अचानक बाढ़ से 9 मरे, 1,500 सुरक्षित निकाले गये
फरवरी के अंत में उत्तर-पूर्व ऑस्ट्रेलिया में आई एक अचानक बाढ़ (फ्लैश फ्लड) में कम से कम 9 लोग मारे गये हैं। क्वींसलैंड में सबसे अधिक नुकसान की ख़बर है। यहां ब्रिसबेन नदी का पानी रिहायशी इलाकों में फैल गया। सड़कों को नुकसान पहुंचा और 18,000 घरों को क्षति हुई है। अधिकारियों का कहना है कि 1,500 लोगों को निकाल कर सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया है।
बड़े स्तर पर ज़ीरो बजट फार्मिंग से उत्पादकता घटेगी: आईसीएआर
इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च या भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) की एक नई रिपोर्ट बताती है कि बड़े स्तर पर ज़ीरो-बजट नेचुरल फार्मिंग (ज़ेडबीएनएफ) – जिसे भारत सरकार बढ़ावा दे रही है – से उत्पादकता में कमी हो सकती है। भारत पहले ही खाद्य सुरक्षा को लेकर संकट में है और यह तरीका समस्या को बढ़ायेगा। परिषद का कहना है कि इस तरीके का प्रयोग पहले उन इलाकों में किया जाना चाहिये जहां कृषि वर्षा जल पर निर्भर है और जहां सिंचाई की सुविधा नहीं है और जहां सिंचिंत इलाकों के मुकाबले कम फसल उत्पादन हो पाता है।
यह तकनीक पद्म पुरस्कार से सम्मानित महाराष्ट्र के सुभाष पालेकर ने सुझाई। इसका मकसद रसायनों के बिना प्राकृतिक पोषण पर आधारित कृषि को बढ़ावा देना था। खेती के जानकारों का कहना है कि रसायन बनाने वाली कंपनियों के हित ज़ीरो बजट नेचुरल फार्मिंग से प्रभावित होते हैं। इसलिय वह इसके खिलाफ दुष्प्रचार करती हैं। जानकारों के मुताबिक इस तरीके से खेती में शुरू के कुछ सालों में किसानों की उत्पादकता पर असर पड़ सकता है लेकिन उसके बाद उन्हें महंगी खाद और हानिकारक और खर्चीले रसायनों से मुक्ति मिल जाती है और वह लगभग बिना किसी खर्च के सेहतमंद फसल उगा सकते हैं।
नये अध्ययन में 1 लाख यूरोपीय शहरों का CO2 इमीशन डाटाबेस
अर्थ सिस्टम साइंस डाटा नाम के विज्ञान पत्र में प्रकाशित एक नये अध्ययन में यूरोप के 1 लाख से अधिक शहरों से हो रहे कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन का डाटा बेस है। इस अध्ययन में बड़े समुद्री कारोबार और गतिविधियों वाले तटीय नीदरलैंड में भारी मात्रा में उत्सर्जन पाया गया है। एक ऐसा ही अन्य क्षेत्र है बाल्टिक सागर का गॉटलैंड द्वीप जहां पर सीमेंट निर्माण का काम चलता है। फ्रांस के ज़्यादातर उत्सर्जन कुछ तटीय शहरों के आसपास ही केंद्रित हैं।
मणिपुर सरकार ने झील के किनारे प्रोजेक्ट्स के लिये पर्यावरण कानून तोड़ा
मणिपुर में बीजेपी सरकार ने लोकटक झील पर और उसके आसपास 2,000 करोड़ के प्रोजेक्ट को पास कराने के लिये पर्यावरण (सुरक्षा) कानून 1986 का उल्लंघन किया। लोकटक भारत की सबसे बड़ी झीलों में से एक है। वेबसाइट द वायर में छपी ख़बर के मुताबिक सरकार यहां इको टूरिज्म और इनलैंड-वॉटरवेज़ के नाम पर नेगा प्रोजेक्ट लाने की कोशिश कर रही है। विशेषज्ञों ने इन प्रोजेक्ट के खिलाफ राय दी है जिससे न केवल इकोसिस्टम को ख़तरा है बल्कि 3 लाख लोगों की रोज़ी रोटी पर भी असर पड़ेगा जिनमें से अधिकांश आदिवासी हैं। मणिपुर में अभी हाल ही में दो चरण में मतदान हुआ है और इसी दौरान यह बात पता चली है।
ऑइल पाम को बढ़ावा देने के लिये सरकार मलेशिया से टेक्नोलॉजी सपोर्ट लेगी
भारत देश में पाम ऑइल की खेती को बढ़ाने के लिये मलेशिया से टेक्निकल मदद लेगी। भारत ताड़ के तेल के आयात को घटाने की कोशिश कर रहा है। इंडोनेशिया के बाद दुनिया में मलेशिया इस तेल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। केंद्र सरकार ने ताड़ के तेल के लिये – नेशनल मिशन फॉर एडिबल ऑइल – ऑइल पाम (एनएमईओ -ओपी) – कार्यक्रम शुरु किया है। विशेषज्ञों ने पर्यावरण के लिये नुकसानदेह बताते हुये इस कदम की आलोचना की है।
जीएसटी काउंसिल की तर्ज पर राज्यों ने की पर्यावरण काउंसिल की मांग
भारत में राज्य सरकारें जीएसटी काउंसिल की तरह ही अब एक इन्वायरेंमेंट काउंसिल बनाने की मांग कर रही हैं ताकि हर स्तर पर पर्यावरण कार्रवाई (इन्वायरेंमेंट एक्शन) का पता लगाया जा सके। राज्यों ने यह विचार वर्ल्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट के दौरान रखा। उनका कहना था कि क्लाइमेट एक्शन को लागू करने का जिम्मा राज्यों पर आता है इसलिये एक ऐसी कमेटी का होना ज़रूरी है जिसमें केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारी भी हों। महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि इस तरह से केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित नीति को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा।
फेसबुक क्लाइमेट चेंज को न मानने वालों की पोस्ट को लेबल करने में हुआ असफल
हालांकि फेसबुक ने झूठे दावों से निपटने और लोगों को शिक्षित करने के लिये एक सेक्शन डिज़ाइन किया है फिर भी एक नये अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि फेसबुक बड़ी संख्या में ऐसी हाई प्रोफाइल अकांउट्स से की गई पोस्ट को लेबल करने में नाकाम रहा जो क्लाइमेट चेंज को लेकर संशय पैदा करने वाली थी। सेंटर फॉर काउंटरिंग डिजिटल हेट (सीसीडीएच) ने ऐसे 184 लेखों का आंकलन किया जो जलवायु परिवर्तन को लेकर संशय पैदा करने वाले थे और सोशल मीडिया में जिन पर करीब 10 लाख से अधिक लाइक, कमेंट और शेयर किये गये।
नए मानदंडों ने ईंट भट्टों के लिए निर्धारित किए प्रौद्योगिकी और ईंधन मानक
सरकार ने सात साल के विचार-विमर्श के बाद ईंट भट्टों के लिए नए मानदंड जारी किए हैं, जिसके अंतर्गत अब ज़िग-ज़ैग तकनीक या वर्टिकल शाफ्ट या ईंट बनाने की प्रक्रिया में ईंधन के रूप में पाइप्ड नैचुरल गैस (पीएनजी) का उपयोग अनिवार्य है। डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार कई गैर-प्राप्ति शहरों में ईंट भट्टे वायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत हैं। नई अधिसूचना में पीएम उत्सर्जन का मानक 250 मिलीग्राम प्रति सामान्य घन मीटर (mg/nM3) निर्धारित किया गया है।
स्वीकृत ईंधनों में पीएनजी, कोयला, जलाऊ लकड़ी और/या कृषि अवशेष शामिल हैं। पेट कोक, टायर, प्लास्टिक, खतरनाक कचरे के उपयोग की अनुमति नहीं है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मानदंडों के अनुसार पोर्ट होल और प्लेटफॉर्म के लिए एक स्थायी सुविधा होना अनिवार्य है।
ईट भट्टों को धूल-मिट्टी के आशुलोपी उत्सर्जन नियंत्रण (फ्यूजिटिव डस्ट इमीशन) के लिये राज्य के दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा और मालिकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कच्चे माल या ईंटों के परिवहन के लिए उपयोग की जाने वाली सड़कें पक्की हों।
गैर-अनुपालन पर दिसंबर 2021 से 392 इकाइयां बंद कर चुका है वायु गुणवत्ता आयोग
भारत के वायु गुणवत्ता पैनल वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने एनसीआर और आस-पास के क्षेत्रों में दिसंबर 2021 से 4,800 साइटों का निरीक्षण किया है। आउटलुक ने बताया कि उड़ाका दलों (फ्लाइंग स्कॉवॉड) ने 407 साइटों को बंद करने के नोटिस जारी किए हैं, जिनमें से 392 साइटों को बंद करने की पुष्टि की गई है। कुल बंद साइटों में से 264 उद्योग, 99 निर्माण और विध्वंस स्थल और 44 डीजी सेट हैं। जिन 407 साइटों के लिए क्लोजर नोटिस जारी किए गए हैं उनमें 94 दिल्ली में, 92 हरियाणा के एनसीआर में, 173 साइटें यूपी में और 48 साइटें एनसीआर क्षेत्र राजस्थान में हैं।
वायु प्रदूषण, गर्मी से कम होती है संज्ञानात्मक क्षमता; ग्रामीण भारत, चीन में बुरा प्रभाव: अध्ययन
एक नए अध्ययन के अनुसार, प्रदूषित हवा और अत्यधिक गर्मी का प्रभाव बचपन के दौरान केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में होने वाली प्राकृतिक विकास प्रक्रियाओं पर होता है। यह प्रभाव बाद के जीवन में संज्ञानात्मक क्षमता पर भी दिखाई देता है। ऐसा आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के एक शोध पत्र में कहा गया है। ओईसीडी एक अंतर सरकारी एजेंसी है जो मूल रूप से अमेरिकी और कनाडाई सहायता की व्यवस्था के लिए बनाई गई थी।
अध्ययन में कहा गया है कि उच्च तापमान का प्रभाव चीन और भारत के गांवों में अधिक है, खासकर उन गांवों में जहां गर्मी-प्रतिरोधक फसलें नहीं होती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और भारत में पर्यावरणीय जोखिमों के कारण संज्ञानात्मक क्षमता को नुकसान अधिक होता है, जो आंशिक रूप से आय प्रभाव के माध्यम से होता है। यह गरीब किसान परिवारों को ‘गंभीर रूप से प्रभावित’ करता है।
अध्ययन: चीन में CO2 उत्सर्जन के पहले ही चरम पर पहुंचने से वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में आ सकती है पांच लाख से अधिक की कमी
साइंस जर्नल नेचर में प्रकाशित एक नए अध्ययन ने अनुमान लगाया है कि चीन में कार्बन उत्सर्जन 2030 से पहले ही चरम पर पहुंचने की संभावना है। और 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य के अनुरूप 2030 से पहले शिखर पर पहुंचने से शेयर्ड सोशियोइकोनॉमिक पाथवे 1 के अंतर्गत, क्रमशः 2030 और 2050 में PM2.5 के कारण होने वाली ~ 118,000 और ~ 614,000 मौतों से बचा जा सकता है। अध्ययन से पता चलता है कि अधिक महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों के परिणामस्वरूप इसी तरह के लाभ अन्य देशों में भी हो सकते हैं।
अध्ययन में कहा गया है कि 2 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य के तहत, 2050 में होने वाले स्वास्थ्य लाभ कार्बन शमन की लागत से कहीं अधिक हो सकते हैं, जिससे $393- $ 3,017 बिलियन (2017 के विनिमय दरों पर) का शुद्ध लाभ होगा।
सीईआरसी के नए मसौदे में नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र योजना में बदलाव का प्रस्ताव
केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) ने नए मानदंडों का मसौदा जारी किया है जिसके तहत अब नवीकरणीय ऊर्जा जनरेटर, वितरण कंपनियां, कैप्टिव बिजली परियोजनाएं और खुली पहुंच वाले उपभोक्ता अक्षय ऊर्जा प्रमाण पत्र जारी कर सकते हैं। सीईआरसी 15 मार्च तक इस मसौदे पर टिप्पणियां स्वीकार करेगा।
योग्य पात्रों को प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए राज्य और केंद्रीय एजेंसियों से मान्यता प्राप्त करनी होगी। प्रमाण पत्र इस आधार पर जारी किया जाएगा कि कितनी बिजली उत्पन्न हुई और ग्रिड तक पहुंची। जारी किए गए प्रमाणपत्र रिडीम होने तक वैध रहेंगे।
भारत ने 2021 में स्थापित की 10GW नई सौर क्षमता
मरकॉम के अनुसार, भारत ने 2021 में रिकॉर्ड 10 गीगावाट सौर क्षमता स्थापित की, जो 2020 में स्थापित 3.2 गीगावाट की तुलना में 201% अधिक है। भारत की संचयी सौर क्षमता 49.3 गीगावाट है, जबकि 53 गीगावाट क्षमता और बढ़ने वाली है, मेरकॉम ने बताया। अध्ययन के अनुसार देश के बड़े सौर प्रतिष्ठानों में 83% यूटिलिटी-स्केल परियोजनाएं हैं और शेष 17% रूफटॉप सोलर हैं।
4.5 गीगावाट के साथ राजस्थान ने उच्चतम यूटिलिटी-स्केल सौर क्षमता बढ़ाई। गुजरात ने 1.2 गीगावाट और उत्तर प्रदेश 885 मेगावाट बढ़ाई।
जर्मनी 2035 तक अक्षय स्रोतों से प्राप्त करेगा सारी ऊर्जा
रॉयटर्स ने एक ड्राफ्ट पेपर का हवाला देते हुए बताया है कि जर्मनी 2035 तक बिजली की सभी जरूरतों को अक्षय स्रोतों से पूरा करने की योजना बना रहा है। यूरोप की सबसे अमीर अर्थव्यवस्था पर अन्य पश्चिमी देश रूसी गैस पर निर्भरता कम करने का दबाव बना रहे हैं।
मसौदे के अनुसार, जर्मन सरकार देश के अक्षय ऊर्जा स्रोत अधिनियम (ईईजी) में संशोधन करने को तैयार है और 2030 तक पवन या सौर ऊर्जा का हिस्सा 80% तक पहुंचने की उम्मीद है। तब तक जर्मनी की तटवर्ती पवन ऊर्जा क्षमता दोगुनी होकर 110 गीगावाट (GW) तक हो जानी चाहिए। शोध का अनुमान है कि अपतटीय पवन ऊर्जा 10 परमाणु संयंत्रों की क्षमता के बराबर 30 GW तक पहुंच जाएगी और सौर ऊर्जा तीन गुना से अधिक होकर 200 GW तक पहुंच जाएगी।
एलजी ने सौर पैनल निर्माण कारोबार छोड़ा
इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद क्षेत्र की दिग्गज कंपनी दक्षिण कोरिया की एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स सामग्री और लॉजिस्टिक्स की बढ़ती लागत और आपूर्ति श्रृंखला की बाधाओं के मुद्दों पर वैश्विक सौर पैनल व्यवसाय छोड़ रही है। चीनी प्रतिद्वंद्वियों की कम कीमतों के साथ प्रतिस्पर्धा ने एलजी के लिए बाजार में बने रहना मुश्किल बना दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार एलजी के सोलर मैन्युफैक्चरिंग बंद करने से अलबामा के हंट्सविले में कंपनी के कॉरपोरेट कैंपस में करीब 160 कर्मचारियों और 60 कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स पर असर पड़ेगा। वहां 2018 से कंपनी के सोलर पैनल असेंबल हो रहे हैं। पीवी यूनिट में काम करने वाले कर्मचारियों को, जो कंपनी के बिजनेस सॉल्यूशंस (बीएस) डिवीजन का हिस्सा हैं, कंपनी के साथ उनके कार्यकाल के अनुरूप ट्रांजिशन सपोर्ट और पृथक्करण वेतन मुहैया कराया जाएगा।
चीन को मिला माउंट एवरेस्ट के पास भारी मात्रा में लिथियम, हो सकता है देश का तीसरा सबसे बड़ा भंडार
चीनी वैज्ञानिकों ने बताया है कि उन्होंने माउंट एवरेस्ट के पास लिथियम ऑक्साइड का एक विशाल भंडार खोजा है, जिसकी मात्रा 1.0125 मिलियन टन लिथियम ऑक्साइड का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त हो सकती है। चीनी विज्ञान अकादमी (सीएएस) द्वारा खोजा गया चीन का यह तीसरा सबसे बड़ा अयस्क का भंडार हो सकता है और यहां से लिथियम निकालना अपेक्षाकृत आसान हो सकता है — जिसकी मांग में हाल के वर्षों में बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती तादाद के कारण बढ़ी है। यह भी कहा जा रहा है कि यह भंडार स्पोड्यूमिन का है, जो एक चट्टान है जिसमें लिथियम पाया जाता है, और यह उस खनिज के समान है जो ऑस्ट्रेलिया हर साल भारी मात्रा में निर्यात करता है — जिसकी 96% खपत चीन में ही होती है।
भारत: महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री ने मुंबई के लिए विशेष ईवी सेल लांच किया
महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने ‘मुंबई ईवी सेल’ लांच किया है, जिसके तहत सरकार राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या को तेजी से बढ़ाने की दिशा में काम करेगी। ठाकरे ने वैश्विक ‘जलवायु आपातकाल’ को माना है इसलिए यह योजना शुरू की गई है। यह ईवी चार्जिंग स्टेशनों की तेजी से स्थापना और मुंबई सिटी बस नेटवर्क (बेस्ट) के विद्युतीकरण में भी सहायता करेगा। वर्तमान में बेस्ट के पास (~ 2,000 में से) 386 ई-बसें हैं, लेकिन 2027 तक इनके 100% विद्युतीकरण की संभावना है।
दुनिया के पहले इलेक्ट्रिक, पूरी तरह से स्वायत्त मालवाहक जहाज ने की पहली यात्रा
सस्टेनेबल कमर्शियल शिपिंग की दिशा में एक कदम आगे बढ़ते हुए दुनिया के पहले ऑल-इलेक्ट्रिक, पूरी तरह से स्वायत्त कार्गो जहाज ने नॉर्वे में (हॉर्टन से ओस्लो तक) अपनी पहली यात्रा पूरी की है। यारा बिर्कलैंड नाम का यह जहाज 7 मेगावाट ऑवर की क्षमता वाली लिथियम-आयन बैटरी द्वारा संचालित होता है। 80 मीटर लंबे इस जहाज का वजन 3,200 टन है और इसे ऑन-बोर्ड कम्प्यूटर्स और सेंसर्स के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा सुदूर संचालन के कारण इसकी कर्मचारी लागत कम है और कार्गो के लिए जगह अधिक है। इस जहाज का ऑटो-डॉकिंग के लिए भी परीक्षण किया गया है जो अविश्वसनीय रूप से जटिल प्रक्रिया है।
उम्मीद है कि यारा बिर्कलैंड कुछ वर्षों के भीतर वाणिज्यिक सेवा के लिए तैयार होगा। इससे हर साल डीजल ट्रकों के लगभग 40,000 यात्राओं के बराबर उत्सर्जन में कटौती होने की संभावना है।
यूक्रेन संकट: जर्मनी ने रूस से बिछ रही गैस पाइप लाइन पर रोक लगाई
एक कूटनीतिक कदम के तहत जर्मनी ने रूस से आ रही नॉर्ड – 2 गैस पाइप लाइन को हरी झंडी देने की प्रक्रिया को रोक दिया है। जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ ने बीते मंगलवार को कहा कि यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद उनकी सरकार ने यह कदम उठाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जर्मनी के कदम का स्वागत किया। अमेरिका ने भी गैस पाइप लाइन को बिछा रही रूसी कंपनी के खिलाफ प्रतिबंध लगा दिये हैं। 1100 करोड़ अमेरिकी डॉलर की यह गैस पाइप लाइन जर्मनी में सप्लाई को दोगुना करने वाली थी लेकिन अब रूस-यूक्रेन संकट के कारण यह लटक गई है।
क्लाइमेट पर शोध प्रकाशित करने वाला प्रकाशक कर रहा तेल-गैस कंपनियों की मदद!
क्लाइमेट से जुड़े शोधपत्र प्रकाशित करने वाली एक बड़ी कंपनी के साथ काम कर रहे वैज्ञानिकों का आरोप है कि यह प्रकाशक तेल और गैस उत्पादकों की भी मदद कर रहा है जिससे वह आक्रोशित हैं। न्यूज़-वेबसाइट गार्डियन ने यह ख़बर प्रकाशित की है। वैज्ञानिकों का कहना है कि डच कंपनी एल्सवियर – जो कि प्रतिष्ठित लांसेट और ग्लोबल इन्वायरेंमेंटल चेंज जैसे पत्र प्रकाशित करती है – जीवाश्म ईंधन (तेल और गैस) उत्पादन से जुड़ी पुस्तकें भी प्रकाशित कर रही है। गार्डियन ने इस पब्लिशिंग हाउस से जुड़े कर्मचारियों से बात की जिनका कहना था कि कंपनी से लगातार तेल गैस उत्पादकों से रिश्ते तोड़ने के लिये दबाव बनाया गया लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ।
कोयला खनन पर चीन का व्यापक कार्यक्रम जारी रहेगा
चीन में योजना बनाने वाली सबसे बड़ी संस्था नेशनल डेवलपमेंट एंड रिफॉर्म कमीशन (एनआरडीसी) ने 350 करोड़ डॉलर से अधिक लागत के कोयला खनन प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी दी है। चीन ने सोमवार को (आधिकारिक बयान में मंगलवार और बुधवार के दस्तखत हैं) तीन खनन योजनाओं को हरी झंडी दी जिनमें से दो शां-झी प्रान्त में हैं और एक भीतरी मंगोलिया में है। इसमें 380 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश होगा और हर साल 19 मिलियन टन कोयले का उत्पादन होगा। चीन दुनिया में सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन करने वाला देश है और उसने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब आईपीसीसी की ताज़ा रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर कड़ी चेतावनियां दी गई हैं।
रुस-यूक्रेन संकट के बावजूद ओपेक देश धीरे-धीरे बढ़ायेंगे तेल की सप्लाई
रुस-यूक्रेन संकट के कारण कच्चे तेल की कीमत 119 डॉलर तक पहुंच गई है। वैश्विक बाज़ार में तेल की कमी के बावजूद ओपेक देशों ने घोषणा की है कि वह कच्चे तेल की सप्लाई धीरे-धीरे बढ़ायेंगे। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद उसके तेल और गैस निर्यात पर पाबंदी की आशंका है जिससे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में 8-10% की कमी हो सकती है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के सदस्यों ने प्रतिदिन 6 करोड़ बैरल तक सप्लाई बढ़ाने का फैसला किया है जिसमें ज़्यादातर हिस्सा अमेरिका सप्लाई करेगा।