ऊर्जा मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) में बैटरी स्वैपिंग को बढ़ावा देने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इस नीति के तहत ऑपरेटरों और उपयोगकर्ताओं दोनों के लिए बैटरी स्वैपिंग की लागत को कम करने का प्रयास किया गया है। नए नियमों के अनुसार स्वैपिंग स्टेशनों को दी जाने वाली बिजली का टैरिफ, आपूर्ति की औसत लागत से अधिक नहीं होना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए हर राज्य को एक नोडल एजेंसी नियुक्त करना आवश्यक है।
नई नीति में राज्यों को स्वैपिंग और चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए अनुमोदन प्रक्रियाओं को सरल बनाने का निर्देश दिया गया है, लेकिन यह सुनिश्चित करना आवश्यक है वह नए सुरक्षा और तकनीकी मानकों का अनुपालन करें। स्वैपिंग उद्योग से जुड़ी कुछ कंपनियों ने नए दिशानिर्शों का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई है कि इनसे भारत के बैटरी-स्वैपिंग इकोसिस्टम में त्वरित विकास होगा और ईवी अडॉप्टेशन को बढ़ावा मिलेगा।
2030 तक पब्लिक चार्जिंग की मांग को पूरा करने के लिए चाहिए 16,000 करोड़ का निवेश: फिक्की
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पब्लिक ईवी चार्जिंग की बढ़ती मांग को पूरा करने और 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत बढ़ाने के लिए भारत को 16,000 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश की आवश्यकता है। फिलहाल पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों का केवल 2 प्रतिशत उपयोग होता है और कई राज्यों में निश्चित बिजली दरों के अधिक होने के कारण यह उतने लाभकारी नहीं हैं।
रिपोर्ट में चार्जिंग स्टेशनों का 8-10% उपयोग सुनिश्चित करने, ईवी चार्जिंग पर जीएसटी को 18% से घटाकर 5% करने, अतिरिक्त फिक्स्ड टैरिफ हटाने और तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने जैसे नीतिगत बदलाव करने के सुझाव दिए गए हैं।
अर्जेंटीना में लिथियम ब्राइन के भंडार खोजेगी कोल इंडिया
बैटरी निर्माण की प्रमुख सामग्री लिथियम से समृद्ध लिथियम ब्राइन के भंडार का पता लगाने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) अर्जेंटीना का रुख करने जा रही है। लिथियम ब्राइन एक नमकीन द्रव है जिसमें लिथियम और अन्य खनिज होते हैं, जिसका उपयोग मुख्य रूप से लिथियम-आयन बैटरी बनाने के लिए किया जाता है।
सीआईएल लिथियम, निकल और कोबाल्ट जैसे महत्वपूर्ण खनिजों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जो स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आवश्यक हैं। कंपनी का लक्ष्य कोयले पर निर्भरता कम करके और इन महत्वपूर्ण खनिजों में निवेश करना है, जो नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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