महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) ने एक चौंकाने वाले प्रस्ताव में कहा है कि सिस्टम ऑफ़ एयर क्वालिटी रिसर्च एंड फोरकास्टिंग (सफर) द्वारा संचालित नौ वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग स्टेशनों को स्थानांतरित किया जाए।
एचटी की एक रिपोर्ट के अनुसार एमपीसीबी का कहना है कि सफर की एक्यूआई रीडिंग मुंबई की परिवेशी वायु गुणवत्ता को सटीक रूप से प्रतिबिंबित नहीं करती है।
पिछले कुछ हफ्तों में मुंबई के एक्यूआई का स्तर लगातार ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहा है।
एचटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया गया है कि सफर के नौ मॉनिटरिंग स्टेशनों के अलावा, एमपीसीबी खुद मुंबई में कम से कम 11 निरंतर परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन (सीएएक्यूएमएस) संचालित करता है, जो आमतौर पर सफर के उपकरणों की तुलना में प्रदूषण का कम स्तर रिकॉर्ड करते हैं।
वहीं इसी से जुड़ी एक अन्य खबर में विशेषज्ञों ने मुंबई में प्रदूषण से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत अधिक मॉनिटरिंग स्टेशन बनाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि 20 सक्रिय और पांच आगामी स्टेशनों के बावजूद, मुंबई महानगरीय क्षेत्र के विस्तार को देखते हुए यह संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।
दिल्ली-एनसीआर समेत देश के 34 शहरों में ख़राब रही वायु गुणवत्ता
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 27 जनवरी को जारी रिपोर्ट में देश के 190 में से तीन शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर ‘बेहद खराब’ रहा।
केवल आठ शहरों में हवा ‘बेहतर’ रही, जबकि 34 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर “खराब” दर्ज किया गया। 53 शहरों की श्रेणी ‘संतोषजनक’ और 92 में ‘मध्यम’ रही।
दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में रही। दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 229 दर्ज किया गया जबकि फरीदाबाद में 272, गाजियाबाद में 155, गुरुग्राम में 210, नोएडा में 172, और ग्रेटर नोएडा में 194।
देश के अन्य प्रमुख शहरों में मुंबई का वायु गुणवत्ता सूचकांक 254 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘खराब’ स्तर को दर्शाता है।
जबकि कोलकाता में यह इंडेक्स 189, चेन्नई में 105, बैंगलोर में 160, हैदराबाद में 103, जयपुर में 125 और पटना में 204 दर्ज किया गया।
‘वन पर्सन, वन कार’ की मांग करनेवाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराया
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को लेकर दायर की गई एक याचिका को ख़ारिज कर दिया जिसमें “वन पर्सन, वन कार” के मानदंड को लागू करने की मांग की गई थी। इस जनहित याचिका में यह भी मांग की गई थी कि यदि एक व्यक्ति एक से अधिक कार खरीदे तो हर कार पर उससे पर्यावरण टैक्स वसूला जाए।
शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि अदालत ऐसे मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। भारत में वायु प्रदूषण में वाहनों से होनेवाले उत्सर्जन का एक बड़ा योगदान है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा, “हम इस तरह के निर्देश जारी नहीं कर सकते। यह नीति का विषय है।”
याचिकाकर्ता ने कहा था कि 2021 में देश में 30 लाख से अधिक कारें बिकीं, जो देश में करदाताओं की संख्या के साथ मेल नहीं खाता है।
न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा ने याचिकाकर्ता से कहा, “हम पर्यावरण नीति से संबंधित मुद्दों का संज्ञान नहीं ले सकते।”
बेंच ने कहा कि करदाताओं की गिनती का काम सरकार पर छोड़ देना चाहिए।
केवल 2 घंटे वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से भी प्रभावित होता है दिमाग: अध्ययन
एक नए अध्ययन के अनुसार केवल दो घंटे के लिए डीजल निकास के संपर्क में आने मात्र से मस्तिष्क की कार्यात्मक क्षमता में कमी आती है और दिमाग के अलग-अलग हिस्सों का एक दूसरे के साथ संचार प्रभावित होता है।
एनवायरनमेंटल हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में पहली बार वायु प्रदूषण के कारण मनुष्यों के दिमाग में नेटवर्क कनेक्टिविटी प्रभावित होने के सबूत दिए हैं।
यह अध्ययन करने वाले वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बतया कि कई दशकों तक वैज्ञानिकों का मानना था कि मस्तिष्क वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों से बचा रह सकता है। उन्होंने कहा कि हालांकि वर्तमान अध्ययन केवल यातायात से उतन्न प्रदूषण के दिमाग पर पड़ने वाले प्रभावों से संबंधित है, दहन के दूसरे उपकरण भी चिंता का विषय हैं।
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