जानकारों ने DRDO के एक शीर्ष अधिकारी के बयान की आलोचना की, जिसने कहा गया था कि मानवीय गतिविधि उत्तराखंड के चमोली जिले में पिछले महीने हिमस्खलन और घातक बाढ़ के लिए “तत्काल कारण नहीं” थी। डीआरडीओ के तहत काम करने वाली रिसर्च बॉडी जियो इन्फोर्मेटिक्स रिसर्च इस्बॉटेबलिशमेंट (जीआरई) के निदेशक लोकेश कुमार सिन्हा ने कहा था की त्रासदी एक मानव प्रेरित आपदा नहीं थी।ग्लोबल वार्मिंग और हिमालय में बढ़ता तापमान, चमोली आपदा का मुख्य कारण हो सकते हैं।
कई जानकार इस बात से बिलकुल सहमत नहीं हैं। उनका मानना है की त्रासदी इसलिए हुई क्योंकि 200 से अधिक लोग दो बांधों में काम कर रहे थे जो कि हिमनदों के काफी करीब हैं। अगर ये बांध यहां नहीं होते, तो बाढ़ से जान-माल को कोई नुकसान नहीं होता।
विशेषज्ञों का ये भी मानना है की आपदा पर कोई भी निष्कर्ष निकालने करने से पहले इस मुद्दे का गंभीरता से अध्ययन करना चाहिये। उनका कहना है कि उत्तराखंड पर कोई भी अनियोजित निर्माण या मानव जनित दबाव आत्मघाती हो सकता है ।
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