भारी बारिश और बाढ़ की मार उत्तर भारत के कई राज्यों पर पड़ी है। राजस्थान, पंजाब और यूपी में तो बाढ़ ने कहर बरपा किया ही लेकिन मध्य प्रदेश में तो कम से कम 220 लोगों की जान चली गई और करीब 10,000 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ। केंद्र सरकार की टीम अभी मध्य प्रदेश औऱ दूसरे राज्यों में हालात का मुआयना कर रही हैं। गृह मंत्रालय का कहना है कि इस बाढ़ में कम से कम 1400 लोगों की जान जा चुकी है और करीब 1 करोड़ लोग प्रभावित हुये हैं।
भारत: चरागाह 10 साल में 31% घटे
साल 2005 और 2015 के बीच भारत में ग्रासलैंड (चरागाहों) के क्षेत्रफल में 31% गिरावट आई है। क्षेत्रफल में यह कमी करीब 56.5 लाख हेक्टेयर के बराबर है। भारत ने अभी हाल में मरुस्थलीकरण पर हुये संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में यह जानकारी दी। सबसे अधिक हानि राजस्थान के अरावली रेंज में हुई है। इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में घास स्थलों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है।
घास स्थलों में होने वाली इस कमी के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कारण हैं। प्रत्यक्ष कारणों में चरागाहों में अत्यधिक चरान, जंगलों का कटान और ख़राब प्रबंधन शामिल है। अप्रत्यक्ष कारणों में चरागाहों में अतिक्रमण कर उसे कृषि भूमि में तब्दील करना और उस पर आबादी का बसना शामिल है।
जलवायु परिवर्तन खत्म कर देगा क्रिकेट का खेल: रिपोर्ट
जलवायु परिवर्तन की मार भारत के सबसे पसंदीदा खेल पर पड़ सकती है। जी हां, एक नई रिपोर्ट क्रिकेट के भविष्य पर सवालिया निशान खड़े करती है और वजह है जलवायु परिवर्तन। लगातार मूसलाधार बरसात से लबालब होते मैदान पिच से लेकर पैवेलियन और ड्रेसिंग रूम सब कुछ डुबा रहे हैं। इंग्लैंड में हाल में इस मौसम का असर साफ दिखा। इसी तरह असामान्य गर्मी, बढ़ती नमी और हीट वेव खिलाड़ियों की जान के लिये ख़तरा बन सकती हैं। ‘हिट फॉर सिक्स’ नाम से लिखी गई इस रिपोर्ट के बारे में वर्ल्ड क्रिकेट कमेटी को बता दिया गया है औऱ कुछ सुझाव दिये गये हैं ताकि खिलाड़ियों की जान पर आफत न आये। मिसाल के तौर पर प्लेयर्स को अब नमी वाले हालात में पतलून की जगह शॉर्ट्स में खेलने की इजाज़त और ड्रिंक्स इंटरवल बढ़ाना जैसे कदम सुझाये गये हैं।
क्लाइमेट एडाप्टेशन में निवेश बचायेगा खरबों रुपये: रिपोर्ट
जलवायु परिवर्तन को लेकर तैयार की गई एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक अनुकूलन यानी एडाप्टेशन पर निवेश किया गया तो इसके कई आर्थिक फायदे हो सकते हैं। ग्लोबल कमीशन ऑफ एडाप्टेशन द्वारा लिखी गई यह रिपोर्ट बताती है कि 2020 और 2030 के बीच क्लाइमेट चेंज के असर से लड़ने के लिये अगर 1.8 ट्रिलियन डॉलर का निवेश किया गया तो यह करीब 7.1 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक फायदा होगा या इतना नुकसान होने से बचेगा। इस रिपोर्ट में जो कदम उठाने के लिये कहा गया है उनमें बाढ़ और चक्रवाती तूफान जैसे खतरों से आगाह करने के लिये चेतावनी (अर्ली वॉर्निंग सिस्टम), जलवायु परिवर्तन के असर को झेल सकते वाले भवन और मूलभूत ढांचा, जल स्रोत और बंजर ज़मीन पर खेती के साधन के साथ मैंग्रोव को बचाने की सिफारिश है। रिपोर्ट कहती है कि अगर ये कदम नहीं उठाये गये तो साल 2030 तक करीब 10 करोड़ लोग गरीबी की रेखा के नीचे जा सकते हैं।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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