कोयले की कमी के कारण देश में “ब्लैक-आउट” की ख़बरों के बाद कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि देश में पावर प्लांट्स की ज़रूरत के हिसाब से पर्याप्त कोयला है। कोयला मंत्री ने कहा है कि कोल इंडिया के पास 4 करोड़ टन कोयले का भंडार है जो हर रोज़ बिजलीघरों को करीब 72 लाख टन सप्लाई देने के लिये इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे पहले मीडिया में यह ख़बर आई थी कि आधे से अधिक बिजलीघरों में 3 दिन से कम का कोयला बचा है। इसके अलावा भारत की स्टील और सीमेंट कंपनियां ऑस्ट्रेलिया से (10-15 डॉलर प्रति टन कम कीमत पर) जो कोयला खरीदती हैं वह राजनीतिक विवादों के कारण चीन के गोदामों में पड़ा है।
इसके बावजूद आयातित कोयले की कीमत बढ़ी है। देश की करीब 65 प्रतिशत बिजली कोयला बिजलीघरों से आती है और दो तिहाई कोयले का प्रयोग बिजली बनाने के लिये होता है।
केलिफोर्निया में तेल रिसने से मछलियां मरीं, दलदली भूमि नष्ट
दक्षिण केलिफोर्नियां के समुद्र तट पर बड़ी मात्रा में तेल रिसाव से मछलियों की मौत हो गई है और वेटलैंड के प्रदूषित होने से पक्षी दलदल में फंस गये हैं। ऐसा अनुमान है कि तेल पाइप लाइन में हुये लीक के कारण सवा लाख गैलन यानी 3000 बैरल से अधिक तेल करीब 13 वर्ग मील इलाके में फैला है जिसे स्थानीय अधिकारी “पर्यावरणीय विनाशलीला” बता रहे हैं। पता चला है कि तेल पाइपलाइन में 13 इंच की दरार एक या कई जहाजों द्वारा समुद्र के भीतर कई टन के लंगर डालने और पूरी पाइप लाइन को घसीटने के कारण हुआ है। अमेरिकी तटरक्षक स्थानीय सरकार के साथ हालात को संभालने की कोशिश में लगे हैं और उन्होंने 5500 गैलन कच्चे तेल के गोले साफ किये हैं।
नेट ज़ीरो की प्रतिबद्धता से ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री का इनकार
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीशन ने साफ कहा है कि उनका देश 2050 तक नेट-ज़ीरो का लक्ष्य हासिल करने का संकल्प नहीं करेगा क्योंकि रोज़गार और आमदनी के लिये जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल और गैस) का प्रयोग ज़रूरी है। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने यह बात अगले महीने ग्लासगो में हो रहे जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से ठीक पहले कही है जबकि यह चेतावनी दे दी गई है कि अगर समयबद्ध तरीके से नेट-ज़ीरो के लिये कदम न उठाये गये तो उनके देश के लिये अंतरराष्ट्रीय कर्ज़ महंगा हो जायेगा। मॉरीशन कहते रहे हैं कि उनकी सरकार “ट्रांजिशनल टेक्नोलॉजी” पर काम कर रही है लेकिन 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन के मुकाबले ऑस्ट्रेलिया का प्रति व्यक्ति इमीशन 9 गुना है और अमेरिका से 4 गुना है। भारत की तुलना में ऑस्ट्रेलिया का प्रति व्यक्ति कार्बन इमीशन 37 गुना है।
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