वैश्विक बिजली उत्पादन में स्वच्छ ऊर्जा की हिस्सेदारी 40%: रिपोर्ट

थिंक-टैंक एम्बर की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में दुनिया की 40 प्रतिशत से अधिक बिजली सौर, पवन, हाइड्रो और परमाणु ऊर्जा जैसे स्वच्छ स्रोतों से उत्पादित की गई। खासकर चीन और भारत में सौर ऊर्जा का विकास सबसे तेज गति से हुआ। इसके बावजूद, बढ़ती गर्मी के कारण बिजली की मांग में भी वृद्धि हुई, जिससे जीवाश्म ईंधन का अधिक उपयोग हुआ और ग्लोबल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया।

साल 2012 के बाद से हर तीन साल में सौर ऊर्जा क्षमता दोगुनी हुई है, लेकिन अभी भी इससे वैश्विक बिजली का 7 प्रतिशत से भी कम प्राप्त होता है। फ़िलहाल हाइड्रोपावर सबसे बड़ा स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है, जिसके बाद पवन और परमाणु आते हैं। इस प्रगति के बावजूद, ऊर्जा की बढ़ती जरूरतें उत्सर्जन में कटौती के प्रयासों के लिए चुनौती बनी हुई हैं।

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत जर्मनी को पछाड़ कर पवन और सौर ऊर्जा से बिजली का उत्पादन करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।

भारत की स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता 11% बढ़ी

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के अनुसार भारत ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में मजबूत प्रगति की है। पिछले साल 29.52 गीगावाट की रिकॉर्ड वार्षिक क्षमता जोड़ने के साथ, देश में कुल स्थापित अक्षय ऊर्जा (आरई) क्षमता 31 मार्च 2025 तक 220.10 गीगावाट तक पहुंच गई है, जो पिछले वित्तीय वर्ष तक 198.75 गीगावाट थी।

जो 10.74 प्रतिशत की वृद्धि है। इस वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान सोलर एनर्जी का रहा, जिसकी क्षमता में 23.83 गीगावाट की वृद्धि हुई। यह पिछले वर्ष में 15.03 गीगावाट से की वृद्धि से उल्लेखनीय रूप से अधिक है। देश में कुल स्थापित सौर क्षमता अब 105.65 गीगावाट तक पहुंच गई है। इसमें ग्राउंड-माउंटेड इंस्टॉलेशन की हिस्सेदारी 81.01 गीगावाट, रूफटॉप सोलर की 17.02 गीगावाट, हाइब्रिड प्रोजेक्ट्स के सौर घटकों की 2.87 गीगावाट और ऑफ-ग्रिड सिस्टम की 4.74 गीगावाट है।

भारत की सौर पैनल निर्माण क्षमता पहुंची 25.3 गीगावाट

मेरकॉम द्वारा हाल ही में जारी स्टेट ऑफ सोलर पीवी मैनुफैक्चरिंग इन इंडिया 2025 रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में भारत की सोलर मॉड्यूल बनाने की क्षमता बढ़कर 25.3 गीगावाट और सोलर सेल बनाने की क्षमता 11.6 गीगावाट हो गई। रिपोर्ट के अनुसार इस वृद्धि के दो मुख्य कारण थे।

पहला नियोजित या निर्माणाधीन सौर परियोजनाओं की बड़ी संख्या और दूसरा सरकार द्वारा एप्रूव्ड लिस्ट ऑफ़ मॉडल्स एंड मैन्युफैक्चरर्स (एएलएमएम) सूची को पुनः लाया जाना। एएलएमएम भारत सरकार द्वारा बनाई गई एक सूची है। इसमें अनुमोदित कंपनियों और सौर उत्पादों के मॉडल के नाम शामिल होते हैं। सरकार-समर्थित कई सौर परियोजनाओं में केवल इन्हीं का उपयोग किया जा सकता है। यह नियम घरेलू निर्माण को बढ़ावा देता है।

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