केंद्र ने कोयला ब्लॉक, विकास परियोजनाओं के लिए बदले वनीकरण नियम

केंद्र सरकार ने राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के लिए प्रतिपूरक वनीकरण (यानी विकास परियोजनाओं के लिए साफ़ किए गए वनों की नए पेड़ लगाकर भरपाई करने) लक्ष्यों को पूरा करने के नियमों को आसान बना दिया है। एचटी की रिपोर्ट के अनुसार, बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए प्रतिबंधों में छूट दी गई है। पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि यह कंपनियां और कैप्टिव कोयला ब्लॉक अब डीग्रेडेड (क्षरित) वन भूमि पर भी रोपण कर सकते हैं। पहले केवल गैर-वन भूमि पर ही प्रतिपूरक वनीकरण करना आवश्यक था। 

लेकिन विशेषज्ञों का तर्क है कि डीग्रेडेड वन भूमि पर पेड़ लगाने से वनों के नुकसान की भरपाई नहीं होती है। भारत राज्य वन रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023 के अनुसार भारत के ग्रीन कवर में वृद्धि हुई है, लेकिन वन क्षरण, बढ़ते वृक्षारोपण और अवर्गीकृत वनों की अस्पष्ट स्थिति जैसी चिंताएं बरकरार हैं। इनसे जैव विविधता, वनों पर निर्भर समुदायों और पुराने जंगलों के इकोसिस्टम को नुकसान पहुंच सकता है।

उत्तराखंड के बागेश्श्वर ज़िले में खड़िया खनन पर हाइकोर्ट ने लगाई पाबंदी

उत्तराखंड के पहाड़ी ज़िले बागेश्वर में खड़िया खनन पर नैनीताल हाइकोर्ट ने पूरी तरह से रोक लगा दी है। कोर्ट ने बागेश्वर में खनन के नियमों अनदेखी और भूधंसाव के कारण लोगों के घरों में दरारें आने की ख़बरों का स्वत: संज्ञान लेकर कोर्ट कमिश्नर की टीम जांच के लिए भेजी थी। कमिश्नर की रिपोर्ट में गंभीर अनियमितताओं, खनन कंपनियों और प्रशासन की साठगांठ और डीएमएफ फंड के दुरुपयोग की बात कही गई है। इसके बाद कोर्ट ने पूरे बागेश्वर ज़िले में खड़िया माइनिंग पर रोक लगा दी। कोर्ट ने अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई जिसके बाद सरकार ने ज़िला खान अधिकारी को निलंबित कर दिया।  

कमिश्नर टीम की रिपोर्ट में खनन अनियमितताओं के अलावा यह भी कहा गया है कि आईएएस अधिकारियों ने ज़िला खनिज कोष की रकम से अपने दफ्तरों को चमकाया। इस कोष की रकम में कम से कम 50 लाख की अनियमितता का मामला है।  चार साल से अधिकारियों ने इस फंड का कोई ऑडिट भी नहीं कराया गया। कमिश्नर टीम ने अपनी रिपोर्ट की शुरुआत में लिखा है कि जांच के दौरान उन्हें रिश्वत की पेशकश की गई। 

उत्सर्जन में हुई कटौती, वन क्षेत्र बढ़ा: भारत सरकार की यूएनएफसीसीसी को रिपोर्ट 

सरकार ने यूएनएफसीसीसी को सौंपी अपनी चौथी द्विवार्षिक अपडेट रिपोर्ट में बताया है कि भारत ने 2019 की तुलना में 2020 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 7.93% की कटौती की। साथ ही 2005 से 2020 तक, एमिशन इंटेंसिटी, यानी उत्सर्जन प्रति यूनिट जीडीपी, में 36% की कमी आई। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर 2024 तक स्थापित ऊर्जा क्षमता में गैर-जीवाश्म स्रोतों की हिस्सेदारी 46.52 प्रतिशत थी। इसके अलावा भारत की 25.17 प्रतिशत भूमि अब वनों और पेडों से आच्छादित है, जिसने 2020 में लगभग 522 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड सेक्वेस्टेरेशन (पृथक्करण) किया था और कुल कार्बन उत्सर्जन के 22 प्रतिशत को ऑफसेट  किया था।

रिपोर्ट बताती है कि 2005 से 2021 के बीच, 2.29 बिलियन टन कार्बनडाइऑक्साइड के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाया गया।

ब्रह्मपुत्र पर सबसे बड़ा हाइड्रोपावर बांध बनाने की तैयारी में चीन 

चीन तिब्बत में यारलुंग ज़ांगपो नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर बांध बनाने जा रहा है। तिब्बत के दक्षिणी भाग से होकर भारत में प्रवेश करने वाली इस नदी को अरुणाचल प्रदेश में सियांग और असम में ब्रह्मपुत्र कहा जाता है। भारत सरकार ने चीन की इस योजना पर चिंता जताई है। 

डाउन टू अर्थ ने भी एक रिपोर्ट में बड़े बांधों के पीछे मजबूत लॉबी ग्रुप की ओर इशारा किया और कहा कि ब्रह्मपुत्र पूर्वोत्तर की जीवन रेखा है, और इस विशाल नदी पर बांध इसे सूखा बना सकता है, साथ ही बरसात के मौसम में बाढ़ का खतरा भी बढ़ा सकता है।
भूकंपीय रूप से अत्यधिक सक्रिय क्षेत्र में बांध के निर्माण की योजना और भी अधिक भय पैदा कर रही है। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, तिब्बत की सबसे लंबी नदी पर बनने वाला यह बांध थ्री गोरजेस बांध की तुलना में तीन गुना अधिक ऊर्जा पैदा कर सकता है।

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