कभी धूम्रपान न करने वालों को हो रहा कैंसर, प्रदूषण है कारण: शोध

एक नए अध्ययन के अनुसार, जो लोग कभी धूम्रपान नहीं करते हैं उनमें भी फेफड़ों के कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इसका कारण वायु प्रदूषण हो सकता है। विश्व कैंसर दिवस पर लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि कैंसर के ‘एडेनोकार्सिनोमा’ नामक उप-प्रकार के मामले बढ़ रहे हैं जो धूम्रपान से संबंधित नहीं होता है। इन मामलों का संबंध वायु प्रदूषण से अधिक है और 2022 में लगभग दो लाख ऐसे मामले सामने आए थे।

अध्ययन के अनुसार कभी धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों के कैंसर के 53 से 70 प्रतिशत मामले एडेनोकार्सिनोमा के थे। इस तरह के मामलों को अब दुनिया भर में कैंसर से होने वाली मौतों का पांचवां सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। 

दिल्ली लगातार चौथे महीने देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर 

जनवरी 2025 में दिल्ली देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा। इसके साथ राष्ट्रीय राजधानी लगातार चौथे महीने देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल रही। वायु प्रदूषण पर काम करने वाली सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) के विश्लेषण में यह पाया गया है कि देश की राजधानी में पीएम 2.5 का स्तर 165 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पाया गया जो तय सुरक्षित मानकों (60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर) से काफी ऊपर है। 

मेघालय का बर्निहाट  देश का सबसे अधिक प्रदूषित शहर रहा जहां यह आंकड़ा 214 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज किया गया। विश्लेषण में पाया गया कि 105 शहरों में पीएम 2.5 का स्तर सुरक्षित मानकों से खराब था। जनवरी में 23 दिन बहुत ख़राब रही और 3 दिन हवा की क्ववालिटी ख़तरनाक (सीवियर) दर्ज की गई। 

गायों से होनेवाले मीथेन उत्सर्जन को 30% तक कम करेगी वैक्सीन

गायों से निकलनेवाली मीथेन गैस जलवायु परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वैज्ञानिक इस उत्सर्जन को कम करने के तरीके खोज रहे हैं। हाल ही में किए गए दो अध्ययनों में इस समस्या से निपटने के दो तरीके बताए गए हैं। पहला है एक वैक्सीन, जिसके ज़रिए गायों के पेट में मीथेन बनाने वाले बैक्टीरिया की एंटीबॉडी बना कर उन्हें समाप्त किया जाएगा। 

इस विधि का उपयोग करके गायों के पाचन तंत्र को बदले बिना मीथेन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है। इस वैक्सीन को बनाने के लिए यूके के पिरब्राइट इंस्टीट्यूट में शोध चल रहा है, जिसमें रॉयल वेटरनरी कॉलेज और न्यूजीलैंड के एग्रीसर्च द्वारा सहयोग किया जा रहा है। रिसर्च का उद्देश्य तीन साल में वैक्सीन का विकास करना है जिससे गायों से मीथेन उत्सर्जन में कम से कम 30% की कटौती की जा सके। अमेज़ॉन के मालिक जेफ़ बेज़ोस इस रिसर्च को 9.4 मिलियन डॉलर की फंडिंग कर रहे हैं।     

मीथेन उत्सर्जन कम करने की दूसरी रणनीति में मवेशियों के चारे में बोवायर नामक एक पदार्थ को जोड़ना शामिल है। एक शोध में दर्शाया गया है कि दूध की गुणवत्ता को प्रभावित किए बिना बोवायर के द्वारा मीथेन उत्सर्जन को लगभग 30% तक कम किया जा सकता है। हालांकि, बोवायर को लेकर कई अफवाहें भी फैली हैं जिनके कारण इसके बहिष्कार की बात भी उठ रही है।

प्रदूषित हो रहा भूजल, नाइट्रेट, यूरेनियम की भारी मात्रा पाई गई

प्राकृतिक प्रक्रियाओं और मानवीय गतिविधियों के कारण भारत में भूजल तेजी से प्रदूषित हो रहा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) की ओर से जारी सालाना भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट में कहा गया है कि लिए गए नमूनों के लगभग पांचवे हिस्से में नाइट्रेट जैसे प्रदूषकों की मात्रा स्वीकार्य सीमा से ज्यादा थी। साथ ही, रेडियोधर्मी यूरेनियम भी बड़ी मात्रा मौजूद था। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘बढ़ती आबादी, औद्योगिक गतिविधियों और खेती के तौर-तरीकों से जमीन के नीचे पानी की गुणवत्ता को बनाए रखना और सुधारना ज्यादा मुश्किल हो गया है’। शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन को प्रदूषण बढ़ाने वाले कारकों के रूप में बताया गया है। पूरी दुनिया में भारत  भूजल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने वाला देश है। यहां सिंचाई के लिए 87 प्रतिशत और घरेलू इस्तेमाल के लिए 11 प्रतिशत भूजल का उपयोग होता है।

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