मशहूर कार ब्रांड मर्सिडीज़-बेंज की मालिक जर्मन कंपनी डायमलर ने घोषणा की है कि वह 2039 से उनकी बनाई सारी कारें बैटरी चालित ही होंगी। इसी कंपनी ने ही 1886 में कारों में पहला IC इंजन लगाया था। डायमलर ने यह घोषणा अपने “एंबिशन 2039” प्रोग्राम के तहत की है जिसमें प्रदूषण रहित ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने का लक्ष्य है। कंपनी का लक्ष्य है कि 2039 तक उसके सभी यूरोपियन कार-प्लांट भी सिर्फ सौर ऊर्जा से ही चलें।
डायमलर ने पिछले साल (2018 में) कुल करीब 24 लाख कारें बेचीं थीं। फॉक्सवेगन के बाद यह दूसरी जर्मन कार कंपनी है जिसने बैटरी कार निर्माण की दिशा में बड़ा वादा किया है। दूसरी ओर बीएमडब्लू, जेगुआर, वॉल्वो और ऑडी जैसी कारों ने अधिक से अधिक इलैक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों की घोषणा की है जिससे कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी आ सकती है। हालांकि भारत जैसे देश में इसका असर नगण्य ही रहेगा क्योंकि हमारे यहां ऐसी लग्ज़री कारों की संख्या 1.5% से भी कम है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
प्लास्टिक संधि पर भारत की उलझन, एक ओर प्रदूषण तो दूसरी ओर रोज़गार खोने का संकट
-
बाकू में खींचतान की कहानी: विकसित देशों ने कैसे क्लाइमेट फाइनेंस के आंकड़े को $300 बिलियन तक सीमित रखा
-
बड़े पैमाने पर रोपण नहीं वैज्ञानिक तरीकों से संरक्षण है मैंग्रोव को बचाने का उपाय
-
बाकू में ग्लोबल नॉर्थ के देशों ने किया ‘धोखा’, क्लाइमेट फाइनेंस पर नहीं बनी बात, वार्ता असफल
-
क्लाइमेट फाइनेंस पर जी20 का ठंडा रुख