Hridayesh Joshi

क्या बढ़ते जल संकट की दिशा बदल सकते हैं भारत के शहर?

जैसे-जैसे शहरों में पानी समाप्त हो रहा है, विशेषज्ञ पानी के पुनः उपयोग, भूजल रिचार्ज और शहरी जल प्रबंधन की सोच में बड़े बदलाव की ज़रूरत पर ज़ोर दे रहे हैं।

सिंधु जल समझौता स्थगित होने के क्या हैं मायने?

विशेषज्ञों का कहना है कि फौरी तौर पर समझौता स्थगित हो सकता है, लेकिन समझौते पर दीर्घकालिक कदम उठाने से पहले भारत को व्यापक रणनीति बनानी होगी।

क्या क्लाइमेट फाइनेंस में आत्मनिर्भर बन सकता है भारत?

वैश्विक क्लाइमेट फाइनेंस ज़रूरत से काफी कम है, इसलिए भारत को सस्टेनेबिलिटी की ओर खुद का मार्ग बनाना होगा। यानि फंडिंग गैप को भरने के लिए धरेलू संसाधनों, नए वित्तीय विचारों और स्मार्ट निवेश का सहारा लेना होगा।

‘जंगलों के क्षेत्रफल के साथ उनकी गुणवत्ता देखना बहुत ज़रूरी है’

सरकार की नई रिपोर्ट में फॉरेस्ट और ट्री कवर बढ़ा है लेकिन जैव विविधता को लेकर जानकारों की चिन्ता बरकरार है क्योंकि वह स्वस्थ और विविधतापूर्ण जंगल और पारिस्थितिकी का सूचक है।

प्लास्टिक संधि पर भारत की उलझन, एक ओर प्रदूषण तो दूसरी ओर रोज़गार खोने का संकट

प्लास्टिक प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए दक्षिण कोरिया के बुसान में अंतर्राष्ट्रीय बैठक चल रही

भारत के ‘चमत्कारिक वृक्षों’ की कहानी बताती पुस्तक

एक वनस्पतिशास्त्री की इस नई पुस्तक में भारत के विराट और प्राचीनतम पेड़ों के साथ इतिहास और संस्कृति की किस्सागोई है।

किसान आत्महत्याओं से घिरे मराठवाड़ा में जलवायु संकट की मार

सितंबर के पहले हफ्ते में हुई अप्रत्याशित बारिश ने मराठवाड़ा के कम से कम 12 लाख हेक्टयर में फसल तबाह हो गई। अन्य कारणों के साथ जलवायु परिवर्तन किसानों को कर्ज़ के गर्त में धकेल रहा है और वो आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं।

क्या चीड़ है उत्तराखंड के जंगलों में आग का असली ‘खलनायक’?

उत्तराखंड में अनियंत्रित जंगलों की आग के लिए अक्सर चीड़ को जिम्मेदार ठहराया जाता है। लेकिन फायर लाइनों का अभाव, वन कर्मचारियों और आग से लड़ने के लिए संसाधनों की कमी, और क्लाइमेट चेंज के कारण बढ़ता तापमान और शुष्क मौसम भी इसके लिए जिम्मेदार है। इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए यह स्वीकार करना जरूरी है।

भारत की कोयला गैसीकरण योजना: संभावनाएं, रोडमैप और चुनौतियां

भारत की योजना 2030 तक 100 मीट्रिक टन कोयले का गैसीकरण करने की है, और देश के पास इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रचुर भंडार हैं। लेकिन इसे सफल बनाने के लिए कुछ चुनौतियों से निपटना होगा, जैसे खराब गुणवत्ता के कोयले, और प्रभावी कार्बन कैप्चर, यूटिलाइज़ेशन और स्टोरेज तकनीक की कमी आदि।

झुलसाती गर्मी: क्या हीटवेव का असर लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर नहीं पड़ रहा?

भारत में रिकॉर्ड तापमान के पूर्वानुमानों के बीच लोकसभा चुनाव हो रहे हैं। केंद्रीय चुनाव आयोग ने ‘टास्क फोर्स’ का गठन किया है और जानकार कहने लगे हैं कि क्लाइमेट प्रभावों को देखते हुए चुनाव की टाइमिंग में बदलाव किया जा सकता है। 

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