बद्रीनाथ मास्टर प्लान: विकास या आपदा की पटकथा?
बद्रीनाथ मास्टर प्लान से क्या सरकार 50 साल पुरानी उस कोशिश को दोहरा रही है, जिसे तब व्यापक आंदोलन और सरकारी कमेटी की सलाह के बाद रोका गया था।
बद्रीनाथ मास्टर प्लान से क्या सरकार 50 साल पुरानी उस कोशिश को दोहरा रही है, जिसे तब व्यापक आंदोलन और सरकारी कमेटी की सलाह के बाद रोका गया था।
अपने अस्तित्व के 450 करोड़ साल के कालखंड में धरती पर सामूहिक विलुप्ति (मास एक्सटिंक्शन)
मानवता के सामने आसन्न सबसे बड़े संकट को हल करने में एआई का महत्वपूर्ण रोल हो सकता है, लेकिन उन ख़तरों को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता जो इस टेक्नोलॉजी से जुड़े हैं।
भारत ने पहली बार यह गणना की है कि देश में कितनी वाटरबॉडी हैं। यह
साल 2030 तक भारत को 140 गीगावॉट पवन ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करना है जिसके लिए हर साल 13 गीगावॉट की क्षमता जोड़नी होगी। लेकिन मौजूदा रफ्तार से यह लक्ष्य हासिल करने में 50 साल लगेंगे।
अडानी ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में बड़े खिलाड़ी बनने की राह में हैं, लेकिन उनकी
धरती के गर्म होने की रफ्तार बढ़ रही है। ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण आपदाओं की
जोशीमठ के वर्तमान हालात बताते हैं कि कमज़ोर संवेदनशील क्षेत्र में समावेशी योजना का अभाव
जोशीमठ ग्लेशियर के छोड़े हुए मलबे पर बसा है यह बात सभी जानते हैं, लेकिन
चीन में कोविड-19 की जो लहर चली है उससे भारत में भी यह शंका पैदा