भारत में वायु प्रदूषण से 2022 में 17 लाख मौतें, जीडीपी का 9.5% आर्थिक नुकसान: द लैंसेट

भारत में प्रदूषित हवा ने न सिर्फ लोगों की साँसें छीनीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी गहरा झटका दिया है। द लैंसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में सूक्ष्म कणीय प्रदूषण (PM2.5) के कारण भारत में करीब 17 लाख लोगों की मृत्यु हुई।

रिपोर्ट बताती है कि यह संख्या वर्ष 2010 की तुलना में लगभग 38 प्रतिशत अधिक है। इन मौतों में से करीब 44 प्रतिशत मामलों का कारण जीवाश्म ईंधनों – विशेषकर कोयले – का दहन रहा। केवल कोयले से जुड़े प्रदूषण ने ही लगभग 3.9 लाख लोगों की जान ली।

वायु प्रदूषण से होने वाले स्वास्थ्य प्रभावों का आर्थिक बोझ भी भयावह है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को 2022 में वायु प्रदूषण के चलते 339.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर, यानी देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 9.5 प्रतिशत नुकसान हुआ।

ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू प्रदूषण से मृत्यु दर शहरी इलाकों की तुलना में अधिक पाई गई – ग्रामीण भारत में प्रति एक लाख आबादी पर औसतन 125 मौतें दर्ज की गईं, जबकि शहरी इलाकों में यह दर 99 रही।

रिपोर्ट यह भी बताती है कि 2024 में हर भारतीय को औसतन 19.8 दिन की गर्मी की लहरों का सामना करना पड़ा, जिनमें से 6.6 दिन सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन से जुड़े थे। इसका सबसे बड़ा असर कृषि और निर्माण जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों पर पड़ा है।

लैंसेट रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत को इस संकट से उबरना है तो उसे स्वच्छ वायु नीति को स्वास्थ्य और आर्थिक विकास की रणनीतियों के साथ जोड़ना होगा। रिपोर्ट चेतावनी देती है कि वायु प्रदूषण अब सिर्फ पर्यावरणीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था का संकट बन चुका है।

दिल्ली: वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार, लेकिन बीमारी बढ़ा रहा प्रदूषण

दिल्ली में वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार हुआ है। गुरुवार को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही हवा शुक्रवार को घटकर ‘खराब’ स्तर पर पहुंच गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, सुबह 9 बजे शहर का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 268 दर्ज किया गया, जो एक दिन पहले 373 था। वज़ीरपुर में सबसे अधिक 355 और बवाना में 349 एक्यूआई दर्ज हुआ।

गुरुवार को घने धुंध के कारण विजिबिलिटी कम हो गई थी और लोगों ने आंखों में जलन व सांस लेने में परेशानी की शिकायत की थी। मौसम विभाग के अनुसार, पूर्वी हवाओं और बढ़ी नमी के कारण प्रदूषण सतह के पास जमा हो गया था। शुक्रवार को न्यूनतम तापमान 21.6 डिग्री सेल्सियस और आर्द्रता 98 प्रतिशत रही।

डॉक्टरों के अनुसार, प्रदूषित हवा के कारण लोगों में खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न और आंखों में जलन जैसी समस्याएं बढ़ गई हैं। अस्पतालों में अस्थमा और एलर्जी के मरीजों की संख्या में भी तेज़ वृद्धि दर्ज की जा रही है।

भारत में वायु प्रदूषण से बढ़ रहा है मस्तिष्क रोगों का खतरा, SoGA 2025 रिपोर्ट में गंभीर चेतावनी

वायु प्रदूषण अब केवल फेफड़ों या हृदय तक सीमित खतरा नहीं रहा – यह धीरे-धीरे मानव मस्तिष्क को भी नुकसान पहुँचा रहा है।
ताज़ा ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2025 (SoGA 2025)’ रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रदूषित हवा के कारण भारत में डिमेंशिया और अन्य न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में दुनियाभर में 6.26 लाख डिमेंशिया-संबंधी मौतें वायु प्रदूषण से जुड़ी थीं, और करोड़ों लोगों ने ‘स्वस्थ जीवन के वर्ष’ खो दिए। भारत में यह समस्या और गंभीर है क्योंकि देश में प्रदूषण का स्तर अत्यधिक है और बुज़ुर्ग आबादी तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, लंबे समय तक पीएम2.5 कणों के संपर्क में रहना मस्तिष्क की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर सकता है, जिससे स्मृति ह्रास और संज्ञानात्मक क्षमता में गिरावट देखी जा रही है।

रिपोर्ट यह भी बताती है कि भारत में 2023 में वायु प्रदूषण से लगभग 20 लाख लोगों की मौत हुई – इनमें से 89 प्रतिशत मौतें गैर-संचारी रोगों (NCDs) जैसे हृदय रोग, डायबिटीज और डिमेंशिया से जुड़ी थीं। यह आंकड़ा 2000 के मुकाबले लगभग 43 प्रतिशत अधिक है।

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि भारत ने प्रदूषण नियंत्रण और स्वच्छ ऊर्जा नीतियों पर तुरंत ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले वर्षों में ‘मस्तिष्क स्वास्थ्य संकट (Brain Health Crisis)’ और गंभीर रूप ले सकता है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने छोटे उद्योगों के लिए नियामक प्रक्रियाएं आसान कीं; ‘व्हाइट कैटेगरी’ में अब 86 क्षेत्र शामिल

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने ‘व्हाइट कैटेगरी’ (White Category) में शामिल उद्योगों की सूची का विस्तार करके न्यूनतम प्रदूषण क्षमता वाले उद्योगों के लिए नियमों में बड़ी ढील दी है। यह घोषणा 17 अक्टूबर को वायु अधिनियम (Air Act) और जल अधिनियम (Water Act) के तहत जारी अलग-अलग अधिसूचनाओं के माध्यम से की गई है। मंत्रालय ने इस श्रेणी के उद्योगों की संख्या 54 से बढ़ाकर 86 कर दी है।

इस विस्तार का अर्थ है कि इन ‘व्हाइट कैटेगरी’ उद्योगों को अब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCBs) या प्रदूषण नियंत्रण समितियों (PCCs) से स्थापना के लिए सहमति यानी Consent to Establish (CTE) और संचालन के लिए सहमति यानी Consent to Operate (CTO) प्राप्त करने की अनिवार्य शर्त से छूट मिल गई है। यह छूट उन उद्योगों को दी जाती है जिनका प्रदूषण सूचकांक स्कोर 20 (नवंबर 2024 के अनुसार) या 25 (जुलाई 2025 के अनुसार) तक होता है।

नए शामिल किए गए क्षेत्रों में अब सीमेंट उत्पाद निर्माण (एस्बेस्टस का उपयोग किए बिना) जैसे कि पाइप, खंभे और टाइल्स (<1 टीपीडी) शामिल हैं, जो पहले ‘ग्रीन कैटेगरी’ में थे। इसके अलावा, हाथ से डिटर्जेंट पाउडर निर्माण (स्टीम बॉइलिंग या बॉयलर के बिना) और बेकरी व खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ (0.5 टन प्रति दिन से अधिक लेकिन 1 टन प्रति दिन से कम क्षमता वाली), जो केवल स्वच्छ ईंधन (बिजली/गैसीय ईंधन) का उपयोग करती हैं और जिन्हें टर्मिनल एसटीपी से जुड़े नगरपालिका सीवरेज सिस्टम में निर्वहन की अनुमति है, भी इस सूची में हैं। 

कंप्रेस्ड बायो गैस संयंत्र (नगर निगम के ठोस कचरे या पशु अपशिष्ट जैसे फीडस्टॉक पर आधारित, जो कोई अपशिष्ट जल नहीं छोड़ते) भी इस नई सूची का हिस्सा हैं। नवंबर 2024 में जारी मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के तहत, इन इकाइयों को बोर्डों को स्व-घोषणा के रूप में अपने संचालन की सूचना देनी होगी। उन्हें कोई सहमति शुल्क नहीं देना होगा।

हालांकि, औद्योगिक प्रदूषण के एक विशेषज्ञ ने इस कदम पर टिप्पणी करते हुए कहा कि छोटे उद्योगों का समग्र प्रदूषण पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसका आकलन करना कठिन है। उनके अनुसार, सबसे महत्वपूर्ण कारक यह है कि सहमति न लेने पर भी उद्योगों की प्रभावी ढंग से निगरानी की जा रही है या नहीं।

Website |  + posts

दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

कार्बन कॉपी
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.