पिछले साल यानी 2020 में भारत में कुल 1.2 लाख लोग वायु प्रदूषण से मरे। यह बात आईक्यूएयर (IQAir) डाटा के ग्रीनपीस दक्षिणपूर्व एशिया विश्लेषण में सामने आयी है। इन मौतों में से 54,000 तो दिल्ली में ही हुईं| | रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वायु प्रदूषण भारत में 2 लाख करोड़ की आर्थिक क्षति का कारण बना।
‘ग्रीनपीस: कॉस्ट टु इकनोमि ड्यू टु एयर पॉल्युशन एनालिसिस 2021’ शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट ग्लोबल क्लाइमेट एक्शन एडवाइड़री ग्रुप (ग्रीनपीस) द्वारा जारी की गई है।
दुनिया भर में अधिक आबादी वाले पांच बड़े शहरों – दिल्ली, मैक्सिको सिटी, साओ पाउलो, शंघाई और टोक्यो में लगभग 1.6 लाख लोगों की मौत का कारण पीएम 2.5 है।
रिपोर्ट में वास्तविक समय स्वास्थ्य प्रभाव और फाइन पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) से आर्थिक लागत का अनुमान लगाने के लिए ऑनलाइन उपकरण -‘कॉस्ट एस्टीमेटर’ का इस्तेमाल किया गया| यह उपकरण ग्रीनपीस दक्षिण पूर्व एशिया, आईक्यूएयर और सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) के बीच सहयोग से लगाया गया है।
ग्रीनपीस के बयान के मुताबिक, छह भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण से संबंधित आर्थिक नुकसान ₹ 65 लाख करोड़ होने का अनुमान लगाया है।। नुकसान अन्य भारतीय शहरों में समान रूप से चिंताजनक है।
रिपोर्ट के अनुसार मुंबई 25,000 और बेंगलुरु और हैदराबाद में प्रदूषित हवा के कारण क्रमशः 12,000 और 11,000 मौतों का अनुमान लगाया गया है ।
ग्रीनपीस इंडिया के जलवायु अभियानकर्ता अविनाश चंचल के मुताबिक, 2020 में सख्त लॉकडाउन के कारण अपेक्षाकृत बेहतर वायु गुणवत्ता रिकॉर्ड करने के बावजूद, वायु प्रदूषण एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा है जो हमारी अर्थव्यवस्था पर भी काफी प्रभाव डालता है।
सरकारों के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि निवेश हरे समाधानों की ओर किया जाए। “जब हम स्वच्छ ऊर्जा पर जीवाश्म ईंधन चुनते हैं, तो हमारा स्वास्थ्य दांव पर लगा दिया जाता है,” चंचल ने कहा|
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