आईपीसीसी की ताज़ा जलवायु परिवर्तन आकलन रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की हवा में प्रदूषण के स्तर तेज़ी से बढ़ना जारी है। रिपोर्ट कहती है कि जानलेवा वायु प्रदूषको – जैसे सल्फर डाइ ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड, अमोनिया, ओजोन और पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) का स्तर पूरी दुनिया में बढ़ रहा है पर दक्षिण एशिया में यह अपेक्षाकृत अधिक तेज़ी से बढ़ रहा है।
आईसीसीसी की ताज़ा रिपोर्ट के छठे अध्याय में, जिसका नाम शॉर्ट लिव्ड क्लाइमेट फोर्सेस या एसएलसीएफ (जलवायु को प्रभावित करने वाले कण और गैसें) है, कहा गया है कि 1950 से 1980 के बीच एसएलसीएफ की भौगोलिक उपस्थिति में भारी बदलाव हुआ है। मिसाल के तौर पर भारत में बिजली उत्पादन बढ़ने से अब दक्षिण एशिया की हवा में नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड (NO2) की उपस्थिति 50% से अधिक बढ़ गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक मंदी और क्लीन एनर्जी के लिये उठाये गये प्रयासों के कारण 2011 से NO2 की सांध्रता घटनी शुरू हुई थी।
रिपोर्ट यह भी कहती है कि अमेरिका में मिड-वेस्ट और सेंट्रल वैली के अलावा उत्तर भारत खासतौर से गंगा के मैदानी हिस्सों में बायोमास जलाने के कारण अमोनिया काफी उच्च स्तर पर है।
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