दिल्ली में और बिगड़ी हवा, घने स्मॉग ने किया बेहाल

दिल्ली और नोएडा में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। नोएडा में एक्यूआई 466 और दिल्ली में 461 दर्ज किया गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 2,900 फीसदी अधिक है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, रातभर शहर पर घने स्मॉग की परत छाई रही, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ा।

इससे पहले शनिवार को वायु गुणवत्ता गंभीर रूप से बिगड़ने के बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रैप) के तहत सबसे सख्त स्टेज-IV प्रतिबंध लागू कर दिए थे। शनिवार को ही सीएक्यूएम की ग्रैप उप-समिति ने पूरे एनसीआर में स्टेज-III के प्रतिबंध लागू किए थे, लेकिन प्रदूषण स्तर में लगातार तेज वृद्धि को देखते हुए शाम 6.30 बजे आपात बैठक कर स्टेज-IV लागू करने का फैसला लिया गया।

स्टेज-IV के तहत दिल्ली-एनसीआर में सभी निर्माण और ध्वस्तीकरण गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। दिल्ली में आवश्यक सेवाओं को छोड़कर ट्रकों के प्रवेश पर रोक रहेगी। बीएस-IV और उससे नीचे के डीजल भारी वाहनों के संचालन पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। स्कूलों को प्राथमिक से लेकर कक्षा 9 और 11 तक हाइब्रिड मोड में कक्षाएं चलाने के निर्देश दिए गए हैं।

सीपीसीबी के मानकों के मुताबिक, एक्यूआई 401 से 500 के बीच होने पर स्थिति को ‘गंभीर’ माना जाता है।

मौसम विभाग ने बताया कि न्यूनतम तापमान 8.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 0.4 डिग्री कम है, जबकि अधिकतम तापमान 24 डिग्री के आसपास रहने का अनुमान है। सुबह 8.30 बजे सापेक्ष आर्द्रता 100 प्रतिशत रही।

सीएक्यूएम ने दिल्ली और आसपास के राज्यों को जारी की चेतावनी

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली और एनसीआर राज्यों को निर्देश दिया है कि खराब वायु गुणवत्ता को देखते हुए सभी बाहरी खेल गतिविधियों को तत्काल निलंबित किया जाए। आयोग ने चेतावनी दी कि प्रदूषित हवा में खेल गतिविधियों का आयोजन बच्चों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। 

दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को भेजे पत्र में सीएक्यूएम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 19 नवंबर के आदेश और आयोग के निर्देशों के बावजूद कुछ स्कूलों में बाहरी खेल जारी हैं। आयोग ने नवंबर-दिसंबर में प्रस्तावित खेल प्रतियोगिताओं को स्थगित करने के निर्देशों के सख्त पालन पर जोर दिया।

दिल्ली के अस्पतालों में श्वास रोगियों की संख्या 20-30% बढ़ी

लगातार ऊंचे प्रदूषण स्तर के बीच दिल्ली के अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या में 20 से 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि यह केवल मौसमी समस्या नहीं, बल्कि गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है। अस्पतालों की ओपीडी और इमरजेंसी में खांसी, सांस फूलना, सीने में जकड़न और अस्थमा जैसी शिकायतों वाले मरीज बढ़े हैं, जिनमें कई पहली बार प्रभावित हुए युवा भी शामिल हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, पीएम2.5, पीएम10, नाइट्रोजन ऑक्साइड और अन्य विषैले तत्व फेफड़ों में गहराई तक जाकर सूजन और ऑक्सीजन स्तर में गिरावट पैदा कर रहे हैं। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चों, बुजुर्गों, मधुमेह और हृदय रोगियों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। चिकित्सकों ने लोगों को बाहरी गतिविधियां सीमित करने, प्रदूषण के समय बाहर निकलने से बचने और जरूरत पड़ने पर एन95 मास्क पहनने की सलाह दी है।

लक्षण बने रहने पर समय पर चिकित्सकीय परामर्श लेने पर जोर दिया गया है।

पराली जलाने की 90% घटनाएं निगरानी प्रणालियों की पकड़ से बाहर

एक नए विश्लेषण के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की 90 प्रतिशत से अधिक घटनाएं सरकारी निगरानी प्रणालियों की पकड़ में नहीं आ रही हैं। किसान देर दोपहर में पराली जला रहे हैं जिसके कारण यह उपग्रह की पकड़ में नहीं आ रही हैं। इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी (iFOREST) की स्टबल बर्निंग स्टेटस रिपोर्ट 2025 में कहा गया है कि इससे इस वर्ष दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली जलाने के योगदान का गंभीर रूप से कम आकलन हुआ है।

रिपोर्ट के अनुसार, सरकार की मौजूदा निगरानी प्रणाली, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रोइकोसिस्टम मॉनिटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस (CREAMS) संचालित करता है, मुख्य रूप से ध्रुवीय कक्षा वाले उपग्रहों पर निर्भर है। ये उपग्रह भारत को केवल सुबह 10:30 से दोपहर 1:30 बजे के बीच ही देखते हैं, जिससे अधिकांश खेतों की आग दर्ज नहीं हो पाती।

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