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भारत में मानसून ‘सामान्य से ऊपर’ रहने की संभावना, मुंबई में बारिश का रिकॉर्ड टूटा

दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने सोमवार को मुंबई में दस्तक दी – यह शहर में मॉनसून अब तक का सबसे जल्दी आगमन है। टाइम्स ऑफ इंडिया की ख़बर के मुताबिक “पिछला रिकॉर्ड 29 मई का था, जो 1956, 1962 और 1971 में दर्ज किया गया था।” मई में कुल बारिश के मामले में मुंबई ने 100 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया, जो अब 295 मिमी तक पहुंच गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएमडी की कोलाबा वेधशाला, जिसने अब तक 439 मिमी दर्ज करके मई के लिए सभी समय की वर्षा का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इससे पहले मई 1918 में 279.4 मिमी का रिकॉर्ड था।

इस बीच, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने जून से सितंबर तक, मानसून की बारिश का पूर्वानुमान दीर्घावधि औसत (एलपीए) , के 106% के बराबर रहने का लगाया है, जिसमें मॉडल त्रुटि ±4% हो सकती है। यह बारिश सामान्य वर्षा से अधिक है।

अप्रैल में, मौसम विभाग ने पूर्वानुमान लगाया था कि वार्षिक दक्षिण-पश्चिम मानसून की वर्षा एलपीए के 105% होने की संभावना है, जिसमें ± 5% की मॉडल त्रुटि है। मानसून 1 जून की सामान्य तिथि से आठ दिन पहले 24 मई को केरल पहुंचा। जून में, देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से लेकर सामान्य से कम तापमान रहने की संभावना है, सिवाय उत्तर-पश्चिम भारत और पूर्वोत्तर भारत के कई क्षेत्रों के, जहां सामान्य से अधिक तापमान रहने की संभावना है।

आठ दिन पहले आया मानसून

दक्षिण-पश्चिम मानसून आठ दिन पहले केरल के तट पर पहुंच गया, जिसके कारण शनिवार को भारी बारिश और तेज हवाओं से राज्य भर में व्यापक नुकसान हुआ। पेड़ गिरने और बिजली के खंभे टूटने के कारण कई इलाकों की बिजली गुल हो गई और घरों और वाहनों को नुकसान पहुंचा। शहरी और ग्रामीण इलाकों में कई सड़कें जलमग्न हो गईं।

मौसम विभाग (आईएमडी) ने कहा कि पिछली बार मानसून इतना पहले 2009 में आया था। आईएमडी ने केरल के सभी जिलों के लिए रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किए हैं और आगामी कुछ दिनों के लिए बाढ़ और भूस्खलन की चेतावनी दी है। 

केरल सरकार ने कहा है कि राज्य भर में 5 लाख लोगों के लिए 3,000 राहत कैंप बनाए गए हैं। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से एनडीआरएफ की नौ टीमें भेजने का अनुरोध किया है। वायनाद और पतनमतिट्टा में एडवेंचर टूरिज्म और खनन को निलंबित कर दिया गया है। संवेदनशील क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है।

इडुक्की जिले में बढ़ते जलस्तर के कारण मलंकर बांध के शटर खोले गए और नदियों के पास रहने वाले लोगों को सतर्क रहने की चेतावनी दी गई।

महाराष्ट्र में प्याज के किसानों पर बेमौसम बारिश की मार

महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश ने पहले से ही कीमतों में बड़ी गिरावट का सामना कर रहे प्याज के किसानों की समस्याओं को और बढ़ा दिया है। नासिक, पुणे और छत्रपति संभाजीनगर जैसे प्रमुख जिलों में मई की शुरुआत से हजारों एकड़ प्याज की फसल बर्बाद हो चुकी है। जिन किसानों के पास उचित भंडारण सुविधाएं नहीं हैं वह सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, क्योंकि खड़ी फसलों के साथ-साथ कटी हुई पसल भी बारिश में भीग चुकी है।

बारिश के कारण कीमतें और गिर गई हैं। लासालगांव बाजार में प्याज की औसत दर 1,150 रुपए प्रति क्विंटल तक गिर गई है।

उत्तर प्रदेश में भारी बारिश और बिजली गिरने से 34 लोगों की मौत

उत्तर प्रदेश में भारी बारिश, बिजली गिरने और तूफान के कारण कम से कम 34 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, अचानक और तेज़ मौसम ने कम से कम 15 जिलों में तबाही मचा दी है।

कासगंज और फतेहपुर जिले में पांच-पांच मौतें हुईं, जबकि मेरठ और गौतम बुद्ध नगर में चार-चार मौतें हुईं, आउटलेट ने बताया। बुलंदशहर जिले में तीन लोगों की मौत हुई, जबकि औरैया, कानपुर नगर, कानपुर देहात और इटावा में दो-दो मौतें हुईं। अधिकारियों ने बताया कि ज्यादातर मौतें पेड़ गिरने, बिजली गिरने, इमारतों के ढहने और डूबने से हुईं, रिपोर्ट में बताया गया।  

बेमौसमी बारिश के साथ हीटवेव की मार गरीबों और मज़दूरों के लिए जानलेवा हो सकती है: वैज्ञानिक 

मॉनसून के जल्दी आने से लोगों को गर्मी से फौरी राहत मिली हो जलवायु वैज्ञानिक इसके ख़तरों की ओर इशारा कर रहे हैं। जहां एक ओर बेमौसमी बारिश से किसानों की फ़सल तबाह हुई वहीं हीटवेव के सीज़न में नमी बढ़ने से हीटस्ट्रोक के ख़तरे भी बढ़ सकते हैं। 

आईआईटी दिल्ली के एटमॉस्फियरिक साइंस विभाग में प्रोफेसर  डॉ कृष्ण अच्युत राव ने दिल्ली स्थित रिसर्च संगठन क्लाइमेट ट्रेंड के कार्यक्रम एक में चेतावनी दी कि अगर हीटवेव के सीज़न में नमी बहुत बढ़ेगी तो शरीर खुद को पसीना निकालने की नैसर्गिक प्रक्रिया के तहत ठंडा नहीं कर पायेगा और स्वास्थ्य को गंभीर ख़तरे हो सकते हैं। क्लाइमेट ट्रेंड का यह कार्यक्रम जलवायु परिवर्तन के साथ बढ़ते हीटवेव के ख़तरों पर था जिसमें कई विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। 

जलवायु वैज्ञानिक बताते हैं कि धरती की तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री होने के साथ हीटवेव की फ्रीक्वेंसी 3 गुना हो सकती है और 2.0 डिग्री की तापमान वृद्धि के साथ इसका खतरा 5 गुना हो सकता है। अक्सर जुलाई अगस्त के महीने में नमी बढ़ने के साथ चिपचिपी गर्मी होती है लेकिन अगर वैसी नमी मई के महीने में ही हो और हीटवेव  के साथ शरीर का तापमान कम करना मुश्किल हो जाये तो बाहर काम करने वाले मज़दूरों और झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य और जान को ख़तरा स्वाभाविक है। 

भारत के हिमालयी क्षेत्र पर जलवायु का गंभीर प्रभाव पड़ रहा है: भूपेंद्र यादव

पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत में गंभीर जलवायु परिवर्तन प्रभावों के कारण ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं, जिससे निचले इलाकों में रहने वाली आबादी के लिए जल सुरक्षा का भविष्य खतरे में पड़ रहा है। यह बात यादव ने नेपाल में आयोजित पर्वतों और जलवायु परिवर्तन प्रभावों पर आयोजित सागरमाथा नाम की मीटिंग में कही। 

यादव ने कहा,  “विज्ञान स्पष्ट है। हिमालय खतरे की घंटी बजा रहा है। मानवीय गतिविधियों के कारण ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप ग्लेशियर पीछे हट रहे हैं, जिससे निचले इलाकों में रहने वाली आबादी के लिए जल सुरक्षा का भविष्य खतरे में पड़ रहा है।” 

उन्होंने कहा, “पर्यावरण संकट का एक बड़ा बोझ हिमालय पर है। हम भारत में, अपने महत्वपूर्ण हिमालयी क्षेत्र के साथ, इन प्रभावों को प्रत्यक्ष रूप से देख रहे हैं। हम पर्वतीय राज्यों और उनके लोगों की चिंताओं को समझते हैं। हमारे पर्यावरणीय भविष्य आंतरिक रूप से जुड़े हुए हैं।” 

इस महीने की शुरुआत में, ग्लेशियोलॉजिस्ट और स्थानीय समुदायों ने नेपाल के याला ग्लेशियर के नष्ट होने पर शोक व्यक्त किया, माना जाता है कि यह पहला नेपाली ग्लेशियर है जिसे “मृत” घोषित किया गया है।

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