Vol 1, January 2025 | कैलिफ़ोर्निया में भयानक आग ने मचाई तबाही, 25 की मौत, हज़ारों करोड़ स्वाहा

कैलिफोर्निया में भयानक आग, कम से कम 25 लोगों की मौत

अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया राज्य का लॉस एंजिल्स शहर भीषण जंगल की आग का सामना कर रहा है, जिसमें 10,000 से अधिक भवन और इमारतें नष्ट हो गई हैं और कम से कम 25 लोगों की मौत हुई है। सांता अनास नामक हवा के “भयंकर झोंके” आग को लगातार उग्र बना रहे हैं। आग सबसे बड़ी घटनाओं में पैलिसेड्स फायर और ईटन फायर क्रमशः पैसिफिक पैलिसेड्स क्षेत्र और पैसेडीना के आसपास के इलाकों को तबाह कर दिया है।

कार्बनकॉपी ने पहले रिपोर्ट किया था कि आग की इन घटनाओं को बढ़ाने में जलवायु परिवर्तन की महत्वपूर्ण भूमिका है। आग की घटनाओं के कारण 180,000 से अधिक लोगों को पलायन करना पड़ा है, और अतिरिक्त 200,000 लोगों को निकासी के लिए चेतावनी दी गई है। आग के कारण कम से कम $100 बिलियन यानी करीब 8,50,000 करोड़ रुपये की हानि भी अनुमान है, जिससे यह संभावित रूप से कैलिफोर्निया के इतिहास में आर्थिक रूप से सबसे भीषण आपदा साबित हुई है।

तेज़ हवाओं और शुष्क परिस्थितियों ने स्थिति को और खराब कर दिया है, और आग बुझाने के प्रयासों में बाधा आ रही है। 

2024 बना इतिहास का सबसे गर्म साल, पहली बार 1.5 डिग्री का बैरियर टूटा 

बीते साल 2024 को आधिकारिक रूप से इतिहास का सबसे गर्म घोषित कर दिया गया है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने शुक्रवार को पुष्टि की कि वर्ष 2024 सबसे गर्म वर्ष था, और पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक वैश्विक औसत तापमान वाला पहला वर्ष था।

डब्लू एम ओ ने कहा कि बीते 10 साल (2015-2024) धरती के इतिहास में रिकॉर्ड तापमान के लिहाज़ से सबसे गर्म रहे हैं। यूरोपीय क्लाइमेट एजेंसी, कॉपरनिकस ने कहा कि 2024 में औसत वैश्विक तापमान 15.1 डिग्री सेल्सियस था। यह 1991-2020 के औसत से 0.72 डिग्री अधिक और पिछले रिकॉर्ड धारक साल 2023 की तुलना में 0.12 डिग्री अधिक।

हालांकि 1.5 डिग्री की इस तापमान वृद्धि को अभी स्थाई नहीं कहा जा सकता।पेरिस समझौते में निर्दिष्ट 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा का स्थायी उल्लंघन 20 या 30 साल की अवधि में दीर्घकालिक वार्मिंग को कहा जाता है। यानी अगर 2025 या उसके एक दो साल बाद किसी वर्ष 1.5 डिग्री की सीमा पार नहीं होती तो इसे स्थाई वृद्धि नहीं माना जा सकता।  

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, “विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) का आज का आकलन एक बार फिर साबित करता है – वैश्विक तापन एक गंभीर और कठोर सच है।”

उत्तर भारत में शीत लहर का प्रकोप जारी

दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में शीत लहर और  कोहरे का प्रकोप जारी है। इस मौसम में पहली बार, बुधवार 15 जनवरी को दिल्ली के कुछ हिस्सों में तीन घंटों तक घना कोहरा छाया रहा, जिसके चलते 100 से अधिक उड़ानें और 26 ट्रेनें बाधित हुईं। मौसम विभाग ने दिल्ली के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया, जिसमें कई इलाकों में घने से बहुत घने कोहरे की चेतावनी दी गई है।

शीतलहर और सर्दी ने राजस्थान के भी अधिकांश जिलों को प्रभावित किया है। 13 जनवरी को माउंट आबू में न्यूनतम तापमान -1 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया। चंडीगढ़ में भी कोहरा छाया रहा, जबकि जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में 14 जनवरी को तापमान शून्य से 3.1 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में, जहां महाकुंभ चल रहा है, वहां 14 जनवरी को तापमान 13.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

उत्तर भारत के कई राज्यों ने सुरक्षा के तौर पर स्कूल की छुट्टियां बढ़ा दी हैं।

एक्सट्रीम हीटवेव के 41 दिन बढ़े   

जलवायु परिवर्तन प्रभाव से बीते साल 2024 में ख़तरनाक गर्मी वाले कम से कम 41 दिनों की बढ़ोतरी हुई। इस कारण मानव स्वास्थ्य और इकोसिस्टम को नुकसान पहुंचा। ये बात वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन और क्लाइमेट सेंट्रल की रिपोर्ट में कही गई है। इसमें एक साल के एक्सट्रीम वेदर के आंकड़ों को रिव्यू किया गया। यह रिपोर्ट चेतावनी देती है कि अगर वर्ष 2025 में मिटिगेशन और एडाप्टेशन के पर्याप्त कदम नहीं उठाये गये तो क्लाइमेट चेंज जनित संकट से मौतों की संख्या बढ़ सकती है। 

इसलिए सभी देशों को इसकी तैयारी करनी चाहिए। इसके लिए हमें कार्बन और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाले ईंधन जैसे कोयला, तेल और गैस को छोड़कर साफ ऊर्जा की ओर बढ़ना होगा। वरना भविष्य में हीटवेव, बाढ़, फॉरेस्ट फायर जैसी आपदाओं की संख्या और मारक क्षमता दोनों में वृद्धि होगी। 

भारत में बढ़ रहे एचएमपीवी के मामले, शिशुओं को अधिक संक्रमण

चीन से शुरु हुए ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के मामले अब भारत में भी दिख रहे हैं। अभी तक कुल 15 मामले सामने आए हैं जिनमें ज़्यादातर बच्चे हैं। ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) कोरोनावायरस की तरह ही श्वसनतंत्र को प्रभावित करने वाला वायरस है, जिसके पीड़ितों में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। हाल ही में उत्तरी चीन में, खासकर बच्चों में, इस वायरस के मामलों में वृद्धि देखी गई है। 

हालांकि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि अबतक मिले तीनों मामले अंतर्राष्ट्रीय यात्रा से नहीं जुड़े हैं, जो संकेत है कि संक्रमण स्थानीय रूप से फैल रहा है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि एचएमपीवी भारत सहित वैश्विक स्तर पर पहले से ही प्रचलन में है, और देश में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) या सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस (एसएआरआई) के मामलों में कोई असामान्य वृद्धि नहीं हुई है।जलवायु परिवर्तन के कारण इकोसिस्टम में बदलाव होता है जिससे वायरस के पनपने के लिए अनुकूल स्थितियां पैदा होती हैं। इससे एचएमपीवी जैसे संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है। वैश्विक तापमान और आर्द्रता में वृद्धि के साथ वर्षा के बदलते पैटर्न से रेस्पिरेटरी वायरस का जीवनकाल और संक्रमण बढ़ सकता है।

केंद्र ने कोयला ब्लॉक, विकास परियोजनाओं के लिए बदले वनीकरण नियम

केंद्र सरकार ने राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के लिए प्रतिपूरक वनीकरण (यानी विकास परियोजनाओं के लिए साफ़ किए गए वनों की नए पेड़ लगाकर भरपाई करने) लक्ष्यों को पूरा करने के नियमों को आसान बना दिया है। एचटी की रिपोर्ट के अनुसार, बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए प्रतिबंधों में छूट दी गई है। पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि यह कंपनियां और कैप्टिव कोयला ब्लॉक अब डीग्रेडेड (क्षरित) वन भूमि पर भी रोपण कर सकते हैं। पहले केवल गैर-वन भूमि पर ही प्रतिपूरक वनीकरण करना आवश्यक था। 

लेकिन विशेषज्ञों का तर्क है कि डीग्रेडेड वन भूमि पर पेड़ लगाने से वनों के नुकसान की भरपाई नहीं होती है। भारत राज्य वन रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023 के अनुसार भारत के ग्रीन कवर में वृद्धि हुई है, लेकिन वन क्षरण, बढ़ते वृक्षारोपण और अवर्गीकृत वनों की अस्पष्ट स्थिति जैसी चिंताएं बरकरार हैं। इनसे जैव विविधता, वनों पर निर्भर समुदायों और पुराने जंगलों के इकोसिस्टम को नुकसान पहुंच सकता है।

उत्तराखंड के बागेश्श्वर ज़िले में खड़िया खनन पर हाइकोर्ट ने लगाई पाबंदी

उत्तराखंड के पहाड़ी ज़िले बागेश्वर में खड़िया खनन पर नैनीताल हाइकोर्ट ने पूरी तरह से रोक लगा दी है। कोर्ट ने बागेश्वर में खनन के नियमों अनदेखी और भूधंसाव के कारण लोगों के घरों में दरारें आने की ख़बरों का स्वत: संज्ञान लेकर कोर्ट कमिश्नर की टीम जांच के लिए भेजी थी। कमिश्नर की रिपोर्ट में गंभीर अनियमितताओं, खनन कंपनियों और प्रशासन की साठगांठ और डीएमएफ फंड के दुरुपयोग की बात कही गई है। इसके बाद कोर्ट ने पूरे बागेश्वर ज़िले में खड़िया माइनिंग पर रोक लगा दी। कोर्ट ने अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई जिसके बाद सरकार ने ज़िला खान अधिकारी को निलंबित कर दिया।  

कमिश्नर टीम की रिपोर्ट में खनन अनियमितताओं के अलावा यह भी कहा गया है कि आईएएस अधिकारियों ने ज़िला खनिज कोष की रकम से अपने दफ्तरों को चमकाया। इस कोष की रकम में कम से कम 50 लाख की अनियमितता का मामला है।  चार साल से अधिकारियों ने इस फंड का कोई ऑडिट भी नहीं कराया गया। कमिश्नर टीम ने अपनी रिपोर्ट की शुरुआत में लिखा है कि जांच के दौरान उन्हें रिश्वत की पेशकश की गई। 

उत्सर्जन में हुई कटौती, वन क्षेत्र बढ़ा: भारत सरकार की यूएनएफसीसीसी को रिपोर्ट 

सरकार ने यूएनएफसीसीसी को सौंपी अपनी चौथी द्विवार्षिक अपडेट रिपोर्ट में बताया है कि भारत ने 2019 की तुलना में 2020 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 7.93% की कटौती की। साथ ही 2005 से 2020 तक, एमिशन इंटेंसिटी, यानी उत्सर्जन प्रति यूनिट जीडीपी, में 36% की कमी आई। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर 2024 तक स्थापित ऊर्जा क्षमता में गैर-जीवाश्म स्रोतों की हिस्सेदारी 46.52 प्रतिशत थी। इसके अलावा भारत की 25.17 प्रतिशत भूमि अब वनों और पेडों से आच्छादित है, जिसने 2020 में लगभग 522 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड सेक्वेस्टेरेशन (पृथक्करण) किया था और कुल कार्बन उत्सर्जन के 22 प्रतिशत को ऑफसेट  किया था।

रिपोर्ट बताती है कि 2005 से 2021 के बीच, 2.29 बिलियन टन कार्बनडाइऑक्साइड के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाया गया।

ब्रह्मपुत्र पर सबसे बड़ा हाइड्रोपावर बांध बनाने की तैयारी में चीन 

चीन तिब्बत में यारलुंग ज़ांगपो नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर बांध बनाने जा रहा है। तिब्बत के दक्षिणी भाग से होकर भारत में प्रवेश करने वाली इस नदी को अरुणाचल प्रदेश में सियांग और असम में ब्रह्मपुत्र कहा जाता है। भारत सरकार ने चीन की इस योजना पर चिंता जताई है। 

डाउन टू अर्थ ने भी एक रिपोर्ट में बड़े बांधों के पीछे मजबूत लॉबी ग्रुप की ओर इशारा किया और कहा कि ब्रह्मपुत्र पूर्वोत्तर की जीवन रेखा है, और इस विशाल नदी पर बांध इसे सूखा बना सकता है, साथ ही बरसात के मौसम में बाढ़ का खतरा भी बढ़ा सकता है।
भूकंपीय रूप से अत्यधिक सक्रिय क्षेत्र में बांध के निर्माण की योजना और भी अधिक भय पैदा कर रही है। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, तिब्बत की सबसे लंबी नदी पर बनने वाला यह बांध थ्री गोरजेस बांध की तुलना में तीन गुना अधिक ऊर्जा पैदा कर सकता है।

दिल्ली में अचानक बिगड़ी हवा, ग्रैप-4 प्रतिबंध वापस लागू

दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता में भारी गिरावट के बीच बुधवार को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के चरण 4 के तहत प्रतिबंध वापस लागू कर दिए गए। कुछ दिन पहले बारिश के कारण एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) में सुधार के स्टेज 3 प्रतिबंधों को वापस ले लिया था।

लेकिन प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों के कारण एक्यूआई 125 अंक गिरकर 386 (बेहद ख़राब) पर पहुंच गया। स्टेज 4 के प्रतिबंधों के तहत सभी निर्माण कार्य प्रतिबंधित रहेंगे, दिल्ली में गैर-आवश्यक प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों के प्रवेश वर्जित होगा और स्कूलों के लिए कक्षा 10 और 12 को छोड़कर सभी कक्षाओं को हाइब्रिड मोड में संचालित करना आवश्यक होगा।

चालीस साल बाद शुरू हुआ भोपाल गैस कांड के कचरे का निपटारा, लेकिन आशंका बरकरार

भोपाल गैस त्रासदी के चालीस साल बाद आखिरकार यूनियन कार्बाइड प्लांट से जहरीले कचरे को हटाने का काम शुरू कर दिया गया है।  लेकिन इस अभियान को लेकर शंका बरकरार है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जनता को आश्वासन दिया कि पीथमपुर में अपशिष्ट निपटान से कोई खतरा नहीं है। हालांकि, स्थनीय निवासी और क्लाइमेट एक्टिविस्ट संशय में हैं।

पीथमपुर में स्थानीय लोगों ने संभावित जोखिमों की आशंका जताते हुए विरोध प्रदर्शन किया। जबकि पर्यावरणविदों का तर्क है कि कचरे को स्थानांतरित करने से व्यापक समाधान मिलने के बजाय समस्या को दूसरे समुदाय के बीच भेजा जा रहा है।  उनका आरोप है कि सरकार केवल एक जनसंपर्क अभियान चला रही है और क्षेत्र में भूजल और मिट्टी को प्रभावित करने वाले व्यापक प्रदूषण की अनदेखी कर रही है। 

यूनियन कार्बाइड के कचरे को लेकर छिड़ी बहस भारत में खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन के व्यापक मुद्दे को रेखांकित करती है। जहरीले कचरे को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में ले जाने की घटनाओं के कारण अहमदाबाद और चेन्नई के के बाहरी इलाकों में समेत देश में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिया पेट्रोल, डीज़ल कारों को फेज आउट करने पर पैनल गठित करने का आदेश

मुंबई में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनज़र, बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को पेट्रोल और डीजल वाहनों पर फेज आउट करने पर विचार करने के लिए पैनल गठित करने का आदेश दिया है। 

मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने सरकार को एक पखवाड़े के भीतर विशेषज्ञों और प्रशासकों की एक समिति गठित करने का निर्देश दिया, जो इस बात पर विचार करेगी कि क्या मुंबई की सड़कों से डीजल और पेट्रोल आधारित वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाना और केवल सीएनजी या इलेक्ट्रिक वाहनों को अनुमति देना संभव होगा।

कोर्ट ने प्रदूषण की रोकथाम में विफल रहने के लिए महाराष्ट्र सरकार और बृहन्मुम्बई महानगरपालिका (बीएमसी) को भी फटकार लगाई, और प्रशासन से कंस्ट्रक्शन साइट्स के साथ-साथ बेकरियों और होटलों में प्रयोग की जाने वाली भट्टियों को रेगुलेट करने के लिए कहा। 

गाड़ियों के टायर से निकलने वाला माइक्रोप्लास्टिक दे सकता है फेफड़ों, पेट का कैंसर

एक नए रिसर्च में पता चला है कि गाड़ियों के टायर और प्लास्टिक कचरे से निकलने वाले माइक्रोप्लास्टिक कण बांझपन, पेट के कैंसर और सांस की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। चावल के दाने से भी छोटे ये कण कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इन्फ्लेमेशन पैदा कर सकते हैं और आंत के बैक्टीरिया को प्रभावित कर सकते हैं।

मनुष्य सांस लेने और निगलने के माध्यम से माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आते हैं। फेफड़े और रक्त सहित मानव शरीर के विभिन्न ऊतकों और तरल पदार्थों में माइक्रोप्लास्टिक कण मिले हैं, जिससे स्वास्थ्य पर उनके संभावित प्रभाव के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं।

भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 113 प्रतिशत बढ़ी

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में लगभग 30 गीगावाट की रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की। यह 2023 में दर्ज की गई 13.75 गीगावाट से 113 प्रतिशत अधिक है। इस विस्तार के साथ, भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 218 गीगावाट तक पहुंच गई है

भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा है। इसको हासिल करने के लिए देश को अगले छह वर्षों में हर साल कम से कम 50 गीगावाट नई नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करनी होगी। इससे पहले भारत ने 2023-24 में नवीकरणीय क्षमता में 18.48 गीगावाट की उच्चतम वृद्धि दर्ज की थी।

2025 में स्वच्छ ऊर्जा निवेश जीवाश्म ईंधन से अधिक होगा: रिपोर्ट

एस&पी ग्लोबल की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में पहली बार स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी में निवेश तेल और गैस से अधिक हो जाएगाईटी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 2025 में स्वच्छ ऊर्जा टेक्नोलॉजी पर निवेश 670 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें सौर पीवी का आधा हिस्सा होगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में कम से कम 620 गीगावाट नई सौर और पवन क्षमता जोड़ी जाएगी, जो भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश की कुल एनर्जी सिस्टम के बराबर होगी। 2025 तक स्थापित क्षमता में बैटरी ऊर्जा भंडारण पम्प्ड हाइड्रो स्टोरेज से अधिक हो सकता है। रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि अमोनिया कम कार्बन वाले हाइड्रोजन उत्पादन में एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में उभर रहा है।

हरित ऊर्जा ओपन एक्सेस पर केंद्र के निर्देश अनिवार्य नहीं: कोर्ट

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक फैसले में कहा है कि केंद्र सरकार विद्युत अधिनियम के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करके, राज्य के नियामक निकायों को अपने हरित ऊर्जा नियमों का पालन करने के लिए मजबूर नहीं कर सकती हैमेरकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने हरित ऊर्जा ओपन एक्सेस को बढ़ावा देने के लिए 2022 में लाए गए नियमों और इससे संबंधित कर्नाटक विद्युत नियामक आयोग (केईआरसी) के नियमों को रद्द कर दिया।

अदालत ने केईआरसी को सभी हितधारकों की जरूरतों पर विचार करने और जरूरत पड़ने पर हरित ऊर्जा एक्सेस के लिए अपने खुद के नियम बनाने का निर्देश दिया। इन्हें राष्ट्रीय विद्युत नीति और टैरिफ नीति के अनुरूप होना चाहिए लेकिन केईआरसी को स्वतंत्र निर्णय लेने की अनुमति देनी चाहिए। विद्युत अधिनियम के तहत केंद्र सरकार की भूमिका नीति मार्गदर्शन प्रदान करने तक सीमित है।

बैटरी स्वैपिंग सरल बनाने के लिए केंद्र ने जारी किए नए निर्देश

ऊर्जा मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) में बैटरी स्वैपिंग को बढ़ावा देने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इस नीति के तहत ऑपरेटरों और उपयोगकर्ताओं दोनों के लिए बैटरी स्वैपिंग की लागत को कम करने का प्रयास किया गया है। नए नियमों के अनुसार स्वैपिंग स्टेशनों को दी जाने वाली बिजली का टैरिफ, आपूर्ति की औसत लागत से अधिक नहीं होना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए हर राज्य को एक नोडल एजेंसी नियुक्त करना आवश्यक है।

नई नीति में राज्यों को स्वैपिंग और चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए अनुमोदन प्रक्रियाओं को सरल बनाने का निर्देश दिया गया है, लेकिन यह सुनिश्चित करना आवश्यक है वह नए सुरक्षा और तकनीकी मानकों का अनुपालन करें। स्वैपिंग उद्योग से जुड़ी कुछ कंपनियों ने नए दिशानिर्शों का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई है कि इनसे भारत के बैटरी-स्वैपिंग इकोसिस्टम में त्वरित विकास होगा और ईवी अडॉप्टेशन को बढ़ावा मिलेगा।

2030 तक पब्लिक चार्जिंग की मांग को पूरा करने के लिए चाहिए 16,000 करोड़ का निवेश: फिक्की

भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पब्लिक ईवी चार्जिंग की बढ़ती मांग को पूरा करने और 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत बढ़ाने के लिए भारत को 16,000 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश की आवश्यकता है। फिलहाल पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों का केवल 2 प्रतिशत उपयोग होता है और कई राज्यों में निश्चित बिजली दरों के अधिक होने के कारण यह उतने लाभकारी नहीं हैं।

रिपोर्ट में चार्जिंग स्टेशनों का 8-10% उपयोग सुनिश्चित करने, ईवी चार्जिंग पर जीएसटी को 18% से घटाकर 5% करने, अतिरिक्त फिक्स्ड टैरिफ हटाने और तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने जैसे नीतिगत बदलाव करने के सुझाव दिए गए हैं।

अर्जेंटीना में लिथियम ब्राइन के भंडार खोजेगी कोल इंडिया

बैटरी निर्माण की प्रमुख सामग्री लिथियम से समृद्ध लिथियम ब्राइन के भंडार का पता लगाने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) अर्जेंटीना का रुख करने जा रही है। लिथियम ब्राइन एक नमकीन द्रव है जिसमें लिथियम और अन्य खनिज होते हैं, जिसका उपयोग मुख्य रूप से लिथियम-आयन बैटरी बनाने के लिए किया जाता है।

सीआईएल लिथियम, निकल और कोबाल्ट जैसे महत्वपूर्ण खनिजों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जो स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आवश्यक हैं। कंपनी का लक्ष्य कोयले पर निर्भरता कम करके और इन महत्वपूर्ण खनिजों में निवेश करना है, जो नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

जीवाश्म ईंधन कंपनियों से 75 बिलियन डॉलर वसूलेगा न्यूयॉर्क

अमेरिका के न्यूयॉर्क राज्य ने एक नया कानून बनाया है जिसके तहत जीवाश्म ईंधन कंपनियों पर जलवायु परिवर्तन में उनकी भूमिका के लिए आगामी 25 सालों में 75 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया जाएगा। यह कानून जलवायु परिवर्तन से होनेवाले नुकसान की लागत करदाताओं की बजाय तेल, गैस और कोयला कंपनियों से वसूलने के उद्देश्य से लाया गया है। इस फंड का उपयोग बुनियादी ढांचे को जलवायु प्रभावों के अनुकूल बनाने के लिए किया जाएगा।

साल 2000 से 2018 के बीच 1 बिलियन टन से अधिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करने वाली कंपनियों को 2028 में शुरू होने वाले क्लाइमेट सुपरफंड में योगदान देना होगा। इस कानून के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, जिससे दुनिया भर में जीवाश्म ईंधन कंपनियों को जलवायु संकट के लिए जवाबदेह ठहराया जा सकता है।

भारत में 2 प्रतिशत से अधिक बढ़ी जीवाश्म ईंधन की खपत

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण सेल (पीपीएसी) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2024 में भारत में जीवाश्म ईंधन मांग पिछले साल के मुकाबले 2.1 प्रतिशत बढ़कर 20.67 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंच गई। पेट्रोल की बिक्री 10.8 फीसदी बढ़कर 3.3 मिलियन टन हो गई, जबकि डीजल की खपत 6 फीसदी बढ़कर 8.1 मिलियन टन हो गई। रसोई गैस (एलपीजी) की बिक्री 5.8 प्रतिशत बढ़कर 2.78 मिलियन टन हो गई। 

इसके अलावा, मौजूदा वित्तीय वर्ष में अप्रैल से नवंबर अवधि के दौरान भारत का कोयला आयात 2 प्रतिशत बढ़कर 182.02 मिलियन टन (एमटी) हो गया, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 178.17 मीट्रिक टन था।

रूसी तेल कंपनियों पर नए प्रतिबंध, भारत को सप्लाई होगी बाधित

अमेरिका ने रूसी कंपनियों द्वारा भारत और चीन को की जा रही तेल की आपूर्ति पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से रूसी तेल उत्पादकों गज़प्रोम नेफ्ट और सर्गुटनेफ्टेगास के साथ-साथ, 183 जहाजों और टैंकरों पर नए प्रतिबंध लगाए हैं जिनके द्वारा तेल सप्लाई किया जाता था। इस कदम के बाद भारत और चीन को मध्य पूर्व, अफ्रीका और अमेरिका में तेल के वैकल्पिक स्रोतों का रुख करना पड़ सकता है, जिससे संभावित रूप से वैश्विक तेल की कीमतें और माल ढुलाई की लागत बढ़ सकती है।

रूस से रियायती दरों पर मिल रहा कच्चा तेल भारत की आपूर्ति का एक प्रमुख स्रोत रहा है। यदि भारत महंगे विकल्पों का रुख करता है तो घरेलू तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं।