जून 2026 से नवीकरणीय परियोजनाओं में करना होगा घरेलू सोलर सेल का उपयोग

जून 2026 से भारतीय स्वच्छ ऊर्जा कंपनियों के लिए सरकारी परियोजनाओं में स्थानीय रूप से निर्मित सोलर सेल का उपयोग करना अनिवार्य होगा। नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, यह सेल कंपनियों की एक अनुमोदित सूची से ही खरीदे जाने होंगे। इस फैसले का उद्देश्य चीनी आयात पर निर्भरता कम करना है।

भारत में कंपनियों के लिए पहले से ही सरकारी परियोजनाओं में अनुमोदित घरेलू निर्माताओं से खरीदे गए स्थानीय रूप से निर्मित फोटोवोल्टिक (पीवी) मॉड्यूल का उपयोग करना अनिवार्य है। अब यह नियम सोलर सेल पर भी लागू होगा।

सरकार की योजना 2030 तक अपनी गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता को मौजूदा 156 गीगावाट से बढ़ाकर 500 गीगावाट करने की है। भारत की वर्तमान सोलर पीवी मॉड्यूल बनाने की क्षमता लगभग 80 गीगावाट है, लेकिन सोलर सौर सेल बनाने की क्षमता केवल 7 गीगावाट से थोड़ी अधिक है। ज्यादातर कंपनियां मॉड्यूल बनाने के लिए चीनी सेल पर निर्भर हैं। सरकार अनुमोदित सेल निर्माताओं की एक सूची जारी करेगी क्योंकि भारत में सोलर पीवी सेल की उत्पादन क्षमता अगले साल उल्लेखनीय रूप से बढ़ने की उम्मीद है।

हरित ऊर्जा निवेश में भारत ने चीन को पछाड़ा

हाल ही में भारत स्वच्छ प्रौद्योगिकी निवेश में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है। घरेलू ग्रीन मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के प्रयासों से अधिक निवेशक भारत की ओर आकर्षित हो रहे हैं। ब्लूमबर्गएनईएफ के अनुसार 2024 की तीसरी तिमाही में भारत में करीब 2.4 अरब डॉलर के सौदे किए गए। यह चीन में हुए सौदों के मूल्य से चार गुना अधिक है और अमेरिका के बाद वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे अधिक है।

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का अनुमान है कि 2030 तक भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की विकास दर प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक होगी। इस साल, एक दर्जन से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों ने सार्वजनिक निवेश का रुख किया है।

सौर पैनलों पर पड़ रहा है बढ़ते प्रदूषण और तापमान का असर 

एनवायर्नमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, बदलते मौसम और बढ़ते प्रदूषण से भविष्य में सौर फोटोवोल्टिक्स (एसपीवी) की उत्पादन क्षमता कम हो जाएगी

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के वायुमंडलीय विज्ञान केंद्र के शोधकर्ताओं ने एसपीवी के प्रदर्शन पर जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण के दोहरे प्रभावों का विश्लेषण करने के लिए कपल्ड मॉडल इंटरकंपेरिसन प्रोजेक्ट के छठे चरण (सीएमआईपी 6) के तहत उपलब्ध वैश्विक जलवायु मॉडल से विकिरण डेटा का उपयोग किया।

सीएमआईपी6 मॉडलों का एक अग्रणी समूह है जो उत्सर्जन के आधार पर भविष्य में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अनुमान लगाने के लिए विभिन्न डेटा सेटों का उपयोग करता है।

2041 से 2050 के बीच होने वाले परिवर्तन की भविष्यवाणी करने के लिए 1985 से 2014 तक के डेटा को आधार बनाकर, अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला है कि सदी के मध्य तक एसपीवी का प्रदर्शन 3.3% गिर सकता है। वर्तमान सौर ऊर्जा उत्पादन स्तर के आधार पर, अध्ययन में सालाना 600 से 840 गीगावाट-प्रति घंटे (जीडब्ल्यूएच) बिजली के नुकसान का अनुमान लगाया गया है।

अमेरिका ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के सौर पैनलों पर लगाया टैरिफ

अमेरिकी ट्रेड अधिकारियों ने चार दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से सौर पैनल आयात पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा की है, क्योंकि अमेरिकी निर्माताओं ने शिकायत की थी कि इन देशों की कंपनियां गलत तरीके से बाजार में सस्ता माल बेच रही हैं।

अमेरिकन एलायंस फॉर सोलर मैनुफैक्चरिंग ट्रेड कमेटी ने मलेशिया, कंबोडिया, वियतनाम और थाईलैंड में मौजूद कारखानों में निर्मित बड़े चीनी सौर पैनल निर्माताओं के उत्पादों को बाजार में डंप करके वैश्विक कीमतों में गिरावट लाने का आरोप लगाया है।

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