पल्ला झाड़ने की तैयारी

पल्ला झाड़ने की तैयारी: अमेरिका ने पेरिस समझौते से बाहर निकलने की आधिकारिक और औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है। Photo: ClimateAnalytics.org

पेरिस समझौता: दुनिया के 75% देशों के वादे हैं नाकाफी

दुनिया के 184 देशों ने धरती के तापमान को 1.5ºC से कम रखने के लिये जो वादे किये हैं वह क्या वह पर्याप्त हैं। बिल्कुल नहीं। अमेरिका स्थित यूनिवर्सल इकोलॉजिकल फंड के एक नये अध्ययन में पता चला है कि इनमें से करीब 75% देशों ने जो प्रतिज्ञा की है वह जलवायु परिवर्तन की रफ्तार को कम करने के लिये काफी नहीं है। दुनिया में आधी से अधिक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन चार देश – चीन (26.8%), अमेरिका (13.1%), भारत (7%) और रूस (4.6%) – मिलकर कर रहे हैं।

भारत और चीन ने अपने बिजली उत्पादन में साफ ऊर्जा को अधिक से अधिक शामिल करने की बात कही है लेकिन सच यह है कि आने वाले दिनों में इन दो देशों के इमीशन बढ़ते ही जाने हैं। इसलिये भारत और चीन के वादे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव रोकने के लिये काफी नहीं हैं। उधर राष्ट्रपति ट्रम्प के रुख के कारण अमेरिका तो जीवाश्म ईंधन को और बढ़ाने की बात कर रहा है। अब  जबकि रूस ने तो अभी तक यह भी नहीं बताया है कि वह पेरिस समझौते के तहत इमीशन कम करने के लिये क्या कदम उठायेगा। अमेरिका ने तो आधिकारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र को सूचित भी कर दिया है कि वह पेरिस समझौते से हट रहा है लेकिन इसके बावजूद अभी क्लाइमेट वार्ता में उसकी सदस्यता फिलहाल बनी रहेगी।

RO पर पाबंदी: NGT ने केंद्र सरकार को लताड़ा

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पर्यावरण मंत्रालय को इस बात के लिये फटकारा है  कि अब तक उन जगहों पर RO सिस्टम के इस्तेमाल पर पाबंदी क्यों नहीं लगाई गई जहां पानी में कठोरता (TDS) 500 मिलीग्राम/ लीटर से कम है। कोर्ट ने इस बारे में आदेश जारी करने के लिये सरकार को 31 दिसंबर तक का वक्त दिया है। RO सिस्टम से 80% पानी की बर्बादी होती है। NGT ने कहा है कि अगर अधिकारी आदेश नहीं जारी करते हैं तो उनकी तनख्वाह रोक ली जायेगी।

संयुक्त राष्ट्र महासम्मेलन: चिली के पीछे हटने के बाद स्पेन ने संभाली कमान

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र का सालाना महासम्मेलन (COP-25 ) अब स्पेन की राजधानी मेड्रिड में होगा। पहले यह सम्मेलन चिली में होना था लेकिन देश के भीतर भड़की हिंसा के बाद चिली ने इसे आयोजित करने में असमर्थतता ज़ाहिर की। स्पेन में दिसंबर 2 से 13 के बीच हो रहे सम्मेलन की अध्यक्षता चिली ही करेगा।

न्यूज़ीलैंड ने 2050 तक “ज़ीरो-नेट इमीशन” के लिये बनाया क़ानून न्यूज़ीलैंड ने 2050 तक देश का नेट कार्बन इमीशन ज़ीरो करने के लिये क़ानून बनाया है। हालांकि यह कानून जानवरों से मीथेन इमीशन को लेकर थोड़ा ढुलमुल बताया जा रहा है। पशुपालन न्यूज़ीलैंड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। न्यूज़ीलैंड ने अगले 10 सालों में 100 करोड़ पेड़ लगाने का फैसला किया है और कहा है कि 2035 देश में सारा बिजली उत्पादन साफ ऊर्जा स्रोतों से ही होगा।  यह मिशन एक क्लाइमेट चेंज कमीशन की देखरेख में चलाया जायेगा।

Website |  + posts

दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

कार्बन कॉपी
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.