साल 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा की निकासी के लिए केंद्र सरकार ने एक व्यापक योजना जारी की है। इस योजना की अनुमानित लागत 29.64 बिलियन डॉलर, यानी करीब 2.44 लाख करोड़ रुपए होगी।
मेरकॉम के अनुसार उक्त क्षमता की निकासी के लिए जिस पावर ट्रांसमिशन प्रणाली की जरूरत होगी उसमें 8,120 सर्किट किलोमीटर उच्च वोल्टेज डीसी ट्रांसमिशन लाइनें, 25,960 सर्किट किलोमीटर 765 केवी एसी लाइनें, 15,758 किलोमीटर 400 केवी और 220 केवी केबल के 1,052 सर्किट किलोमीटर आवश्यक होंगें।
गुजरात और तमिलनाडु में 10 गीगावॉट अपतटीय पवन ऊर्जा की निकासी के लिए ट्रांसमिशन प्रणाली भी 280 अरब रुपयों की लागत से बनाई जाएगी। इस प्रणाली की स्थापना के बाद 2030 तक अंतर्क्षेत्रीय क्षमता वर्तमान 112 गीगावॉट से बढ़कर 150 गीगावॉट हो जाने की उम्मीद है।
केंद्र ने 2030 तक 51.5 गीगावॉट बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली स्थापित करने की योजना भी बनाई है।
वैश्विक नवीकरणीय क्षमता अगले पांच वर्ष में होगी दोगुनी: रिपोर्ट
आईईए की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा संकट ने वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापना को गति दी है, और इसकी कुल क्षमता अगले पांच वर्षों में लगभग दोगुनी हो जाएगी।
आईईए ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2025 तक, अक्षय ऊर्जा बिजली उत्पादन के सबसे बड़े स्रोत के रूप में कोयले से आगे निकल जाएगी, जिससे ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की संभावना को “जीवित रखने” में मदद मिलेगी।
रूस के यूक्रेन पर आक्रमण ने देशों को आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए तेजी से नवीकरणीय ऊर्जा — जैसे सौर और पवन — की ओर जाने को मजबूर किया है। आईईए की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022-2027 की अवधि में वैश्विक अक्षय ऊर्जा क्षमता 2,400 गीगावाट बढ़ने की उम्मीद है, जो आज चीन की संपूर्ण ऊर्जा क्षमता के बराबर है।
लगातार गिरावट के बाद 2010 के बाद पहली बार बढ़ी बैटरी की कीमतें: बीएनईएफ
2010 से लगातार गिरने के बाद, लिथियम-आयन बैटरी की औसत कीमतें इस वर्ष बढ़कर $151/किलोवाट ऑवर हो गई हैं, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 7% अधिक है। बीएनईएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि कीमतें 2024 में फिर से गिरना शुरू होंगी, और 2026 तक $100/किलोवाट ऑवर हो जाएंगी।
कीमतों में बढ़ोतरी के लिए कच्चे माल और बैटरी कंपोनेंट की लागत में बढ़ोतरी और बढ़ती महंगाई को जिम्मेदार ठहराया गया है। बैटरी की कीमतें सबसे कम चीन में ($127/केएचडब्ल्यू) हैं, जबकि अमेरिका में इनकी कीमत चीन की तुलना में 24% और यूरोप में 33% अधिक है।
जुलाई-सितंबर के दौरान भारत में ओपन एक्सेस सौर क्षमता 91% बढ़ी
मेरकॉम रिसर्च इंडिया के अनुसार, जुलाई-सितंबर की अवधि के दौरान भारत में ओपन एक्सेस सौर क्षमता 91 प्रतिशत बढ़कर 596 मेगावाट हो गई। मेरकॉम ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत ने एक साल पहले इसी अवधि में 312 मेगावाट सौर ओपन एक्सेस क्षमता स्थापित की थी।
ओपन एक्सेस सौर ऊर्जा एक ऐसी व्यवस्था है जहां एक बिजली उत्पादक सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करके उपभोक्ताओं को हरित ऊर्जा की आपूर्ति करता है।
साल 2022 के पहले नौ महीनों में भारत ने लगभग 1.9 गीगावॉट ओपन एक्सेस सौर क्षमता स्थापित की, जो 2021 के जनवरी-सितंबर में स्थापित 956 मेगावाट से 96 प्रतिशत अधिक है, रिपोर्ट ने कहा।
रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2022 तक ओपन एक्सेस सेगमेंट में कुल स्थापित सौर क्षमता 7 गीगावॉट से अधिक थी, जबकि विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से 5 गीगावॉट से अधिक क्षमता और स्थापित की जानी है।
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