Vol 1, April 2022| धरती को विनाश से बचाया जा सकता है लेकिन…

Newsletter - April 11, 2022

बर्बादी के मुहाने पर: आईपीसीसी के मुताबिक ग्लोबल वॉर्मिंग के ख़तरे से बचने के लिये अब अगले 8 साल में इमीशन में भारी कटौती करनी होगी। फ़ोटो - Steve Buissinne, Pixabay

जीवाश्म ईंधन बन्द नहीं हुआ तो होगा विनाश: आईपीसीसी

जलवायु परिवर्तन के आंकलन के लिए संयुक्त राष्ट्र के वैज्ञानिकों के विशेषज्ञ निकाय जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी समिति (आईपीसीसी) ने अपनी एक रिपोर्ट में गंभीर चेतावनी दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक तापवृद्धि को पूर्व औद्योगिक स्तर की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक पर ही सीमित करना तब तक संभव नहीं होगा जब तक जीवाश्म ईंधन के बुनियादी ढांचे को शीघ्रता से समाप्त नहीं किया जाता और ऊर्जा के स्वच्छ और नवीकरणीय स्रोतों के लिए वित्त उपलब्ध नहीं कराया जाता है.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सभी क्षेत्रों में उत्सर्जन में तत्काल और भारी कटौती के बिना, वैश्विक ऊष्मता को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित करना पहुंच से बाहर है.

उत्सर्जन के मौजूदा रुझानों का आंकलन करते हुए आईपीसीसी की रिपोर्ट में इस सदी के अंत तक वैश्विक ऊष्मता को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए कार्बन डाईऑक्साइड और ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन में कटौती करने के तरीके सुझाए गए हैं. साल 2015 में 190 से अधिक देशों ने पेरिस समझौते के अंतर्गत यह लक्ष्य निर्धारित किया था. फिर भी, वर्तमान स्थिति बहुत गंभीर है और धरती को बचाने के लिए व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है.

इस ख़बर को विस्तार से यहां पढ़ा जा सकता है। 

ग्लोबल CO2 इमीशन बढ़ने की रफ्तार कम हुई पर उत्सर्जन अब भी  54 प्रतिशत अधिक  

आईपीसीसी की ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2019 में 1990 के मुकाबले 54 प्रतिशत अधिक कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन हुआ लेकिन उत्सर्जन के बढ़ने की दर पिछले एक दशक में घटी है। साल 2020 मानवता के इतिहास में सबसे अधिक गर्म वर्षों में एक रहा है। आईपीसीसी की रिपोर्ट एक ऐसे वक्त आई है जब इस साल मार्च के महीने में रिकॉर्ड गर्मी दर्ज की गई है और देश के कई हिस्सों में अप्रैल के पहले हफ्ते में लू के थपेड़े महसूस किये जा रहे हैं। आईपीसीसी ने चेतावनी दी है कि धरती की तापमान वृद्धि को डेढ़ डिग्री तक रोकने के लिये कार्बन इमीशन में 43% की कटौती करनी होगी।

अप्रैल के पहले हफ्ते में ही हीट वेव की चेतावनी 

मार्च की रिकॉर्ड गर्मी के बाद अब अप्रैल के पहले हफ्ते में आग बरसने लगी। मौसम विभाग ने 5 अप्रैल को राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के कई हिस्सों में लू की आशंका जताई। इसके अलावा अगले 5 दिनों में पश्चिमी यूपी, मध्य प्रदेश और गुजरात में भी हीटवेव की चेतावनी दी गई है। देश के कई राज्यों में इस असामान्य गर्मी से जल संकट की समस्या भी खड़ी हो सकती है। हालांकि मौसम विभाग ने उत्तर-पूर्व समेत देश के कुछ हिस्सों में बारिश की संभावना भी जताई है। 

मॉनसून से पहले आने वाले चक्रवातों से बाढ़ की घटनायें कम 

एक नये अध्ययन में यह पाया गया है कि चक्रवातों के कारण होने वाली बारिश से कितना पानी भरेगा या बाढ़ की स्थिति होगी यह इस बात पर निर्भर है कि वहां नदी बेसिन पर नमी की क्या स्थिति है। वैज्ञानिकों ने 1981 से 2019 के बीच पूर्वी भारत में चार नदी बेसिनों पर चक्रवाती तूफानों के असर का अध्ययन किया और पाया कि मॉनसून-पूर्व सीज़न में तट से टकराने वाले मॉनसून कम बाढ़ लाते हैं क्योंकि तब ज़मीन शुष्क स्थितियां होती हैं। नदी तट और बेसिन पर सूखी मिट्टी के कारण ज़्यादातर बारिश सोख ली जाती है। बाढ़ तब अधिक आती है जब पहले से नदी में पर्याप्त पानी हो और वहां की मिट्टी में नमी हो।  विशेषज्ञों की सलाह है कि मिट्टी की स्थिति का लगातार अध्ययन होना चाहिये ताकि चक्रवाती तूफान के वक्त तट पर लोगों को यह जानकारी दी जा सके कि साइक्लोन से बाढ़ का कितना खतरा है। 

जंगल की आग से उठे धुंयें से बदल रहा बेज़ुबान जानवरों का व्यवहार 

क्या जंगल में लगने वाली आग से जानवरों के बच्चों का व्यवहार प्रभावित होता है? एक नये शोध में ऐसे ही दावे किये गये हैं। डाइन टु अर्थ में छपी ख़बर बताती है कि मादा बंदरों के गर्भ धारण के दौरान जंगल की आग के धुएं के संपर्क से उनके बच्चों के व्यवहार में अन्य जानवरों की तुलना में बदलाव देखा गया। यह अध्ययन कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस में कैलिफोर्निया नेशनल प्राइमेट रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है। 

पेड़ों के सहारे: सरकार ने क्लाइमेट लक्ष्यों को हासिल करने के लिये बड़ी संख्या में वृक्षारोपण का ऐलान किया है लेकिन इससे लोगों के अपनी ज़मीन पर मालिकाना हक पर चोट पहुंच सकती है। फोटो - Rajesh Balouri, Pixabay

जलवायु परिवर्तन लक्ष्य हासिल करने के लिये भारत 13 नदी बेसिनों पर बड़ी संख्या में लगायेगा पेड़

इस साल 14 मार्च को जारी हुई ओवरव्यू रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत देश के 13 नदियों के रिवर बेसिन और आसपास के क्षेत्र में बड़ी संख्या में पेड़ लगायेगा ताकि 2027 तक कार्बन सोखने के लिये जंगल लगाने के वैश्विक लक्ष्य को पूरा किया जा सके। भारत इस मुहिम के तहत कुल 4,68,222 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पेड़ लगायेगा। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने झेलम, चिनाब, रावी, व्यास, सतलुज, यमुना, ब्रह्मपुत्र, लुनी, नर्मदा, गोदावरी, महानदी, कृष्णा और कावेरी के लिये प्रोजेक्ट रिपोर्ट जारी की।     

इस वृक्षारोपण के तहत रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोग्राम, वृक्षारोपण और एग्रोफॉरेट्री के कार्यक्रम होंगे। इससे अगले 10 साल में 50.21 मिलियन कार्बन डाई ऑक्साइड और 20 साल में कुल 74.76 मिलियन टन CO2 सोखी जायेगी। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस वृक्षारोपण की आड़ में इन जगहों पर रह रहे लोगों को हटाने और भू-अधिकारों को छीनने का काम हो सकता है। 

भारत का फाइनेंस क्षेत्र जलवायु परिवर्तन की चुनौती के लिये तैयार नहीं, बैंकों और बीमा कंपनियों की रैंकिंग कमज़ोर 

जलवायु से जुड़े नुकसान की बात हो तो भारतीय बीमा कंपनियों का प्रदर्शन सबसे खराब है। दिल्ली स्थित क्लाइमेट ट्रेन्ड के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। साल 2020-21 में क्लाइमेट से जुड़ी आपदाओं को लेकर किये गये 70 प्रतिशत दावे (जिनकी कुल कीमत 2559 करोड़ रुपये हैं) अब तक लम्बित हैं यानी उनका भुगतान नहीं हुआ है। कोलंबिया, भारत, कज़ाकिस्तान, न्यूज़ीलैंड, रूस, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की कंपनियां सबसे खराब प्रदर्शन वाली हैं। 

उधर एक अन्य विश्लेषण के मुताबिक भारत का बैंकिंग सेक्टर जलवायु जनित आपदाओं के लिये लिये बिल्कुल तैयार नहीं दिखता।  रिपोर्ट में 34 बैंकों की रैंकिंग की गई और ज्यादातर की मार्केट रणनीति में जलवायु परिवर्तन के हिसाब से कुछ नहीं था। यस बैंक, इंडसइंड, एचडीएफसी और एक्सिस बैंक सूची में सबसे ऊपर थे जबकि देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक एसबीआई इस मामले में छठे नंबर पर था। 

अपवाद  के रूप में प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद ग्रीन क्लीयरेंस 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अपवाद स्वरूप कुछ मामलों में किसी प्रोजेक्ट को शुरू होने के बाद ग्रीन क्लीयरेंस दी जा सकती है। इससे उन उद्योगों या प्रोजेक्ट्स को चलते रहने की छूट मिलेगी जिन्होंने बिना हरित अनुमति लिये और संभावित पर्यावरण प्रभावों के बारे में बताये काम करना शुरू कर दिया। कानून के जानकारों का कहना है कि इस अनुमति से पर्यावरण कानून की मूल आत्मा खत्म हो गई है जो एहतियाती सिद्धांत की तरह है। अब  धड़ल्ले से इस नियम का दुरुपयोग होगा। 

बिगड़ती हवा: तीन साल तक वायु गुणवत्ता में कुछ सुधार के बाद भारत में वायु प्रदूषण का स्तर 2021 में फिर गिरा है। फोटो - Weather.com

सर्दियों का प्रदूषण: दिल्ली की हवा में 80% PM 2.5 गैर पराली प्रदूषकों से

सर्दियों में दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण को पराली दहन से जोड़ दिया जाता है लेकिन सेंट्रल फॉर साइंस एंड इन्वायरेंमेंट यानी सीएसई की एक ताज़ा रिसर्च में पाया गया है कि अक्टूबर और नवंबर के महीने में दिल्ली की हवा में औसतन प्रतिदिन 80% प्रदूषक ऐसे हैं जो पराली के अलावा दूसरे स्रोतों से आते हैं।  दिल्ली में दिसंबर के दूसरे पखवाड़े भी स्मोग के कारण भारी प्रदूषण (पीएम 250 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) रहता है जबकि उसमें पराली का कोई योगदान नहीं होता। दूसरी ओर अक्टूबर-दिसंबर के 52 दिनों में हवा में पराली के कारण पीएम 2.5 की सांध्रता 28 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी – जो कि बाकी स्रोतों के मुकाबले 25 प्रतिशत से भी कम है। 

वायु प्रदूषण से 2022 तक 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा लक्ष्य पर  फिरा पानी  

आईआईटी दिल्ली के नये अध्ययन में पाया गया है कि 2001 और 2018 के बीच भारत में वातावरण में व्याप्त प्रदूषण के कारण ही सौर ऊर्जा क्षमता का 29% नुकसान हुआ जो कि सालाना 83.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर के बराबर है। साफ ऊर्जा पर काम करने वाली फर्म मरकॉम के मुताबिक मार्च 2022 तक भारत अपने तय लक्ष्य के आधे (50 गीगावॉट) तक ही पहुंच पाया जबकि उसका लक्ष्य 100 गीगावॉट के पैनल लगाना था। 

इस स्टडी के लेखकों में से एक साग्निक डे  के मुताबिक हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर, धूल, धुंध और धुंआं के कारण सोलर पैनल पर पड़ने वाली सूरज की रोशनी काफी प्रभावित होती है और बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र लगाते समय इस बात को ध्यान में रखा जाना चाहिये। 

वैज्ञानिकों के मुताबिक पैनल पर जमा होने वाले एरोसॉल से उत्पन्न “सॉइलिंग इफेक्ट” के कारण भी सोलर प्रोजेक्ट फेल हो रहे हैं। दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है इसलिये इन प्रभावों का खयाल रखा जाना ज़रूरी है। 

2021 में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा, तीन साल हो रहे सुधार का क्रम टूटा  

साल 2021 में देश के 31 शहरों में पीएम 10 का स्तर साल 2020 के मुकाबले बढ़ा है। सरकार ने संसद में यह सूचना दी है। कुल 132 शहरों में किये गये विश्लेषण से पता चलता है कि इन महीन कणों (पार्टिकुलेट मैटर) का स्तर 96 शहरों में कम हुआ है और 4 शहरों में इनके स्तर में कोई बदलाव नहीं आया।  

इस बीच स्विस फर्म आई-क्यू एयर द्वारा जारी वर्ल्ड एयर क्वॉलिटी रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन साल तक वायु गुणवत्ता में सुधार के बाद   वायु प्रदूषण का स्तर 2021 में फिर गिरा है। जानलेवा पीएण 2.5 का औसत स्तर 58.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से 10 गुना अधिक ख़राब है। दिल्ली में 2020 के मुकाबले 15% अधिक प्रदूषण दर्ज किया गया और वह लगातार चौथे साल दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनी रही। 

बिहार: पटना में डीज़ल वाहनों पर पाबंदी, 12,000 ऑटो और 200 बसें सड़कों से हटाईं गईं 

बिहार सरकार ने वायु प्रदूषण के खिलाफ क़दम उठाते हुये एक अप्रैल से पटना और इससे सटे दानापुर, खगौल और फुलवारीशरीफ में व्यवसायिक  डीज़ल वाहनों पर रोक लगा दी। हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक करीब 12,000 ऑटो और 200 बसें सड़कों से हटने के कारण यात्रियों को परेशानी हुई। ऑटोचालकों का कहना है कि सीएनजी किट की भारी कीमतों (ऑटोचालकों के मुताबिक पटना में यह किट 75 हज़ार रुपये की है) के कारण वह इन्हें नहीं लगा पा रहे। बिहार सरकार ने 2019 में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुये डीज़ल वाहनों को हटाने का फैसला किया था लेकिन वह कोरोना महामारी के कारण लागू नहीं हो पाया। 

रिपोर्ट के अनुसार जांच में पाया गया कि फ्लोरोबैकशीट का निर्यात भारत को सामान्य मूल्य से कम कीमत पर किया गया था| फ़ोटो: Dimitris Vetsikas, Pixabay

चीनी फ्लोरो बैकशीट आयात पर लग सकता है एंटी-डंपिंग शुल्क

चीन से फ्लोरो बैकशीट आयात पर सरकार एंटी-डंपिंग शुल्क लगा सकती है। भारतीय मॉड्यूल निर्माता रिन्यूसिस इंडिया ने शिकायत की थी कि चीनी फ्लोरोबैकशीट भारत में निर्मित फ्लोरोबैकशीट जैसी ही है, जिसके बाद व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने एंटी-डंपिंग जांच शुरू की। 

मरकॉम की रिपोर्ट के अनुसार जांच में पाया गया कि फ्लोरोबैकशीट का निर्यात भारत को सामान्य मूल्य से कम कीमत पर किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप बड़े मार्जिन पर डंपिंग हुई थी। डीजीटीआर ने कहा कि जांच की अवधि के दौरान घरेलू उद्योग घाटे में चल रहा था।

2010 के बाद से, नवीकरणीय ऊर्जा लागत में 85% की गिरावट आई है: आईपीसीसी रिपोर्ट

आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्षय ऊर्जा स्रोतों —  सौर और पवन ऊर्जा, साथ ही स्टोरेज बैटरी — की लागत में भारी गिरावट आई है, जिससे वह लगभग गैस और कोयले के बराबर (और कुछ मामलों में, सस्ते) हो गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2010 के बाद से लागत में ‘85% तक की निरंतर कमी’ देखी गई है। अधिक किफायती नवीकरण से जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम करने में आने वाली लागत से जुड़ी बाधाएं दूर करने में सहायता मिलनी चाहिए। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने, नवीकरणीय ऊर्जा को प्राथमिकता देने वाली नवीन तकनीक को अपनाने के साथ-साथ कार्बन कैप्चर और स्टोरेज का उपयोग भी आवश्यक होगा। कृषि और वानिकी में भूमि उपयोग परिवर्तन वातावरण से कार्बन को हटाने में मदद कर सकते हैं, लेकिन अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उत्सर्जन में कटौती के बिना यह बदलाव पर्याप्त नहीं होगा।

IEEFA: बेहतर भू-उपयोग के लिये सौर ऊर्जा से बैटरी वाहन चार्ज करना कारगर   

आईफा की नई रिपोर्ट के मुताबिक बेहतर भू-उपयोग के लिये एथनॉल क्रॉप उगाने के बजाय सोलर पावर से विद्युत वाहनों की चार्जिग करना अपेक्षाकृत बढ़िया विकल्प है। भारत ने 2025 तक 20% एथनॉल की ब्लैंडिंग का लक्ष्य रखा है। 

रिपोर्ट कहती है कि एक हेक्टेयर में लगे सोलर पैनल से चार्ज हुये इलैक्ट्रिक वाहन द्वारा तय की गई दूरी की बराबरी करने के लिये 251 हेक्टेयर पर गन्ना उगाना होगा या फिर 187 हेक्टेयर पर मक्का चाहे इस प्रक्रिया में इलैक्ट्रिक ट्रांसमिशन में होने वाला नुक़सान, बैटरी चार्जिंग या ग्रिड शॉर्टेज को शामिल कर भी लिया जाये। 

बड़ी समस्या : विद्युत वाहनों में एक के बाद एक हो रही आग की घटनाओं के कारण भारत में यह सवाल अहम हो गया है कि यहां के ऊंचे स्थानीय तापमान में लीथियम आयन बैटरियों का प्रयोग कितना उचित है| फ़ोटो -Autobizz

ईवी में आग लगने से पिता-पुत्री की मौत, भारत में हुईं कई घटनाएं

भारत के वेल्लोर में एक पिता और पुत्री की दम घुटने से मौत हो गई जब उनका ई-स्कूटर चार्ज करते समय आग की लपटों में घिर गया और घर में धुंआ फैल गया। वाहन को कथित तौर पर एक पुराने सॉकेट में प्लग किया गया था और घटना का कारण शॉर्ट-सर्किट बताया गया है। ई-स्कूटर का निर्माण ओकिनावा ने किया था।

यह त्रासदी भारत में पुणे और चेन्नई में हाल ही में घटी ऐसी ही घटनाओं में से एक है जिनमें ई-स्कूटर में आग लग गई। देश में उच्च परिवेश वायु तापमान को इनका संभावित कारण माना जा रहा है। प्रभावित वाहनों के निर्माताओं में ओला भी है, जिसने 2021 में भारत में दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक स्कूटर सुविधा का अनावरण करने के बाद सुर्खियां बटोरीं थीं। हालांकि, एक अन्य प्रभावित निर्माता प्योर ईवी ने कहा है कि वास्तव में आग लगने से पहले उनके ई-स्कूटर का बैटरी पैक विभिन्न चरणों से गुजरा था। कंपनी ने कहा की उसने अपने ग्राहकों को लिथियम-आयन बैटरी तकनीक की पेचीदगियों पर विस्तृत मैनुअल प्रदान किया है। 

वहीं भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान (DRDO) सेंटर फॉर फायर एक्सप्लोसिव एंड एनवायरनमेंट सेफ्टी (CFEES) ने घटनाओं की जांच का आदेश दिया है और इस समस्या के समाधान के लिए ‘जल्दी कार्रवाई’ करने का निर्देश दिया है।

लिथियम, कोबाल्ट खदानों के लिए भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच समझौता

भारत ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार के साथ उनके लिथियम और कोबाल्ट भंडारों का पता लगाने के लिए  2022 के अगले छह महीनों में $6 बिलियन ($600 करोड़) का निवेश करने की प्रतिबद्धता पर हस्ताक्षर किए हैं। इस सौदे पर ऑस्ट्रेलिया के क्रिटिकल मिनरल्स फैसिलिटेशन ऑफिस (CMFO) के साथ हस्ताक्षर किए गए और इसमें हिंदुस्तान कॉपर और नेशनल एल्युमीनियम कंपनी सहित भारत में कुछ सबसे बड़ी सरकारी स्वामित्व वाली संस्थाओं के साथ ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड साइटों की खोज शामिल है। यह सौदा चिली, अर्जेंटीना और बोलीविया में भंडार सुरक्षित करने के भारत के प्रयासों का विस्तार है।

अडानी समूह लगायेगा 1,500 चार्जिंग स्टेशन, एथर ने ईवी वित्तपोषण के लिए बैंकों के साथ की साझेदारी

ऊर्जा समूह अदानी ने अपनी शहरी गैस वितरण इकाई अदानी टोटल गैस के माध्यम से घोषणा की है कि वह पूरे भारत में 1,500 ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित करेगी। कंपनी ने पहला चार्जर अपने अहमदाबाद के मणिनगर सीएनजी स्टेशन पर लगाया था। इसके अलावा, भारत के सबसे लोकप्रिय इलेक्ट्रिक दोपहिया निर्माताओं में से एक, एथर एनर्जी ने घोषणा की है कि उसने अपने ग्राहकों के वित्तपोषण का खर्च उठाने के लिए आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचडीएफसी बैंक के साथ साझेदारी की है। ऋण कम ब्याज दरों पर तुरंत वितरित किए जाएंगे। यह पेशकश ऐसे समय में आई है जब टाटा मोटर्स ने बताया है कि लिथियम की मांग और कीमतों में वैश्विक उछाल के कारण ली-आयन बैटरी की कीमतों में 20% की वृद्धि हुई है।

भारत सरकार ने पीएलआई एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी स्टोरेज योजना के विजेताओं की घोषणा की

सरकार भारत सरकार ने एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी स्टोरेज पर अपनी प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना के विजेताओं की सूची जारी की है, जिसके अनुसार रिलायंस न्यू एनर्जी सोलर लिमिटेड, हुंडई ग्लोबल मोटर्स कंपनी लिमिटेड, ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड और राजेश एक्सपोर्ट्स लिमिटेड संचयी रूप से भंडारण क्षमता में 50गीगावॉट ऑवर का निर्माण करेंगे। विनिर्माण इकाइयां अगले दो वर्षों के भीतर बन जानी चाहिए और सरकार घरेलू बैटरी निर्माण की लागत को धीरे-धीरे कम करने के लिए $18,000 करोड़ के बजट के साथ उत्पादन में सहायता करेगी।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चयनित फर्म अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रौद्योगिकी और कच्चे माल को चुनने के लिए स्वतंत्र होंगी।

समय की मांग: जर्मनी चासंलर ने कहा है कि उनके देश को रूस से आयात होने वाले कोयले की निर्भरता खत्म करने के लिए 4 महीने चाहिये | फ़ोटो: Reddit

यूरोपीय संघ रूसी कोयला आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने पर कर रहा है विचार, जापान करेगा अनुसरण

रूस पर प्रतिबंधों का शिकंजा और कसते हुए यूरोपीय संघ कथित तौर पर रूसी कोयले के आयात को पूरी तरह से बंद करने पर विचार कर रहा है। इसे यूक्रेन के बुका में रूस के कथित युद्ध अपराधों के खिलाफ एक कड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है।     ईयू प्रत्येक वर्ष 4 अरब यूरो के रूसी कोयले का आयात करता है। यूक्रेन युद्ध के बाद बदलती राजनैतिक स्थिति के परिणामस्वरूप यूरोपीय संघ के देशों में पहले से ही ऊर्जा लागत बहुत बढ़ गई है। लेकिन उसके बावजूद यह निर्णय पारित किया जा सकता है। रूसी कोयले का आयात पूरी तरह बंद करने के बाद रूस निर्मित रसायन, रबर, तेल और गैस जैसे अन्य सामानों पर और प्रतिबंध लगाए जाने की भी संभावना है। 

जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने भी इस संभावित प्रतिबंध का समर्थन किया और कहा कि उनके देश को आयात पूरी तरह रोकने के लिए लगभग चार महीने (120 दिन) का समय लगेगा, भले ही ऐसा करने से थोड़े दिनों के लिए कोयले की कमी का सामना करना पड़ सकता है। 

इसके अलावा, जापान भी जल्द ही यूक्रेन में रूस की सैन्य आक्रामकता के खिलाफ अपने राजनयिक रुख के कारण रूसी कोयले के आयात पर प्रतिबंध लगा सकता है। हालाँकि इसकी समय-सीमा की घोषणा नहीं की गई है क्योंकि जापान की कोयले की खपत का 13% रूस से आता है।

चीन ने 97 साल तक चलने वाली नई कोयला खदान को दिया लाइसेंस

चीनी सरकार ने ऑर्डोस, इनर मंगोलिया में एक नई कोयला खदान — बैजियाहैज़ी — के लिए लाइसेंस प्रदान किया है जो अनुमानतः 96.8 वर्षों तक हर साल 15 मिलियन टन कोयले का उत्पादन कर सकती है। खदान का परिचालन 2019  में शुरू हुआ था लेकिन लाइसेंस देकर इसे वैध अब बनाया गया है। इस खदान में 2.03 बिलियन टन ईंधन है। वार्षिक कोयला उत्पादन के मामले में यह चीन का सबसे बड़ा क्षेत्र है और 2022 के अंत तक 1.18 बिलियन टन ईंधन निकालने की राह पर है।

भारत: कोयले की मांग 2030 तक 63% बढ़ सकती है, लेकिन सरकार कोयला बिजली को 30% तक कम करेगी

भारत के नए मसौदा आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 से पता चला है कि देश में कोयले की मांग 2030 तक 63% बढ़कर सालाना 1.3-1.5 बिलियन टन तक पहुंच सकती है, जिसका अर्थ यह है कि निकट भविष्य में कोयला उपयोग समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है। सर्वेक्षण के निष्कर्ष राज्य सभा में प्रस्तुत किए गए थे। लेकिन साथ ही ऊर्जा मंत्रालय 2030 तक देश के ऊर्जा मिश्रण में कोयला ऊर्जा की हिस्सेदारी को (52% से घटाकर) 32% तक करने का प्रयास करेगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब ऊर्जा मंत्रालय कथित तौर पर बहुत कम टैरिफ (सौर ऊर्जा के लिए रु 1.99 प्रति किलोवाट ऑवर) पर नवीकरणीय ऊर्जा के लिए समर्थन बढ़ा रहा है, और देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती संख्या को साफ़ ऊर्जा प्रदान करने के लिए ‘गो इलेक्ट्रिक’ अभियान को बढ़ावा दे रहा है।

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