साल 2020 में भारत में सोलर पावर की दरों में गिरावट जारी रही। सबसे सस्ती दरों पर करार हाल में ही गुजरात ऑक्शन के दौरान हुय जिसमें 1.99 रुपये प्रति यूनिट पर नीलामी हुयी। इससे पहले नवंबर में राजस्थान में सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) की 1,070 मेगावॉट प्रोजेक्ट की बिडिंग में पहले के 2.36 रु प्रति यूनिट का रिकॉर्ड टूट गया। इस नीलामी में 2 रुपये प्रति यूनिट का दाम तय हुआ है। IEEFA के टिम बकले ने इस डील के बाद ट्वीटर पर कोयले के लिये “गेम ओवर” लिखा। नीलामी में 2 रु की दर पर सिंगापुर की कंपनी ने 400 मेगावॉट और सऊदी अरब की कंपनी ने 200 मेगावॉट का ठेका हासिल किया। बचा हुआ 470 मेगावॉट का ठेका एनटीपीसी को 2.01 रु की दर पर मिला।
कोल इंडिया का मेगा सोलर प्लान
भारत की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी अब सोलर पावर के क्षेत्र में प्रवेश कर रही है। कोल इंडिया 3,000 मेगावॉट के सोलर प्लांट्स में 5,650 करोड़ रुपये निवेश कर रही है। कोल इंडिया अभी देश की सबसे बड़ी ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जक कही जाती है लेकिन उसका इरादा साल 2023-24 तक नेट ज़ीरो इमीशन कंपनी बनना है। अभी देश की 55% से अधिक बिजली कोयला बिजलीघरों से आती है और कुल बिजली स्थापित (installed capacity) क्षमता (373 GW) का केवल 10% (36 GW) ही सोलर पावर है। हालांकि स्थापित क्षमता में कुल साफ ऊर्जा – जिसमें सोलर के साथ पवन, हाइड्रो, न्यूक्लियर आदि भी शामिल है – का हिस्सा 25% है।
ACME ने राजस्थान में 200 मेगावॉट के प्लांट से पल्ला झाड़ा
देश के 12 राज्यों में काम कर रही साफ ऊर्जा कंपनी ACME ने राजस्थान में सरकारी कंपनी सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन के साथ किया करार तोड़ दिया है। यह करार रिकॉर्ड बिजली दरों (₹ 2.44 प्रति यूनिट) पर किया गया था। ACME ने प्रोजेक्ट के लिये ज़मीन मिलने में देरी और कोरोना संकट से चीन से सप्लाई के संकट की वजह से यह फैसला किया है।
UAE और सऊदी अरब में सौर ऊर्जा भारत से सस्ती
IEEFA और JMK की रिसर्च के मुताबिक संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब में सौर ऊर्जा एक रुपये प्रति यूनिट से सस्ती है जो कि भारत के (2.36 रु प्रति यूनिट) मुकाबले काफी सस्ती है। असल में किसी देश में सौर ऊर्जा की दरें इस बात पर निर्भर हैं कि वहां टैक्स कितना है और सरकार की नीति क्या है। इन दोनों ही देशों में लंबी अवधि के लिये सस्ते कर्ज़ की व्यवस्था है और वहां कॉर्पोरेट टैक्स नहीं है। इसके अलावा ज़मीन भी काफी कम कीमत पर उपलब्ध है। जानकार कहते हैं कि अगर सरकार चीन से आने वाले उपकरणों पर बेसिक कस्टम ड्यूटी जारी रखती है तो यूएई और सऊदी जैसे देशों के मुकाबले भारत की सोलर दरों ऊंची होती जायेंगी।
पावर कंपनियां साफ ऊर्जा के बजाय तेल, कोयले में कर रहीं निवेश
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ताज़ा रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि दुनिया की हर 10 बिजली कंपनियों में से केवल एक ही जीवाश्म ईंधन के बजाय साफ ऊर्जा में निवेश कर रही है। इस रिसर्च के तहत दुनिया की 3,000 पावर कंपनियों पर शोध किया गया और पता चला कि 90% पावर कंपनियां तेल, कोयले और गैस जैसे प्रदूषण करने वाले ईंधन में ही निवेश कर रही हैं और इन पावर प्लांट्स को प्रमोट भी कर रही हैं।
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