फिर खानापूरी: राज्यों के झूठे आश्वासनों के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने चार राज्यों के प्रमुखों को तलब किया है | Photo: Financial Express

पराली जलाने पर सुप्रीम कोर्ट ने 4 राज्यों के मुख्य सचिवों को तलब किया

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा, यूपी और पंजाब के मुख्य सचिवों को शुक्रवार को तलब किया है। ये अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिये कोर्ट के सामने हाज़िर होंगे। कोर्ट ने पराली जलाने के मामले में राज्यों की ओर से बार-बार दिये गये झूठे आश्वासन के बाद यह आदेश जारी किया है। राज्य कहते रहे हैं कि इस मामले में फसल की खुंटी को उखाड़ने के लिये उपकरण से लेकर उसे निष्पादित करने तक के सारे इंतज़ाम कर लिये गये हैं लेकिन सेटेलाइट की तस्वीरें लगातार बता रही हैं कि किसान खेतों में फसल जला रहे हैं।

केजरीवाल कैबिनेट ने ट्री-ट्रांसप्लांट नीति को मंज़ूरी दी

दिल्ली में कैबिनेट ने राजधानी में पेड़ बचाने के उद्देश्य से ‘ट्री ट्रासप्लांटेशन पॉलिसी’ यानी वृक्ष प्रत्यारोपण नीति को हरी झंडी दे दी है। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि किसी भी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की ज़द में आने वाले कम से कम 80% पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया जायेगा और इन ट्रासप्लांट किये गये पेड़ों में 80% को बचना चाहिये।   

ट्रांसप्लांट यानी किसी भी पेड़ को काटने के बजाये उसे जड़ समेत मशीनों द्वारा उखाड़ कर किसी दूसरी जगह लगाया जाये। इस काम के लिये संबंधित एजेंसियों का पैनल बनेगा और ट्रांसप्लांट किये गये पेड़ों की निगरानी के लिये एक ट्री –  ट्रांसप्लांटेशन सेल होगी जिसमें सरकारी कर्मचारियों के साथ नागरिक शामिल होंगे लेकिन वेबसाइट डी डब्लू हिन्दी में छपी ख़बर बताती है कि यह नीति बिना किसी स्टडी या अनुभव के लाई जा रही है और इसलिये कई जानकार इसका विरोध कर रहे हैं।

जानकारों का कहना है कि 10-15 साल पुराने पेड़ों को तो ट्रांसप्लांट किया जा सकता है लेकिन दिल्ली में 100-150 साल या इससे भी पुराने पेड़ हैं जिन्हें प्रत्यारोपित नहीं किया जा सकता। पर्यावरण कार्यकर्ता मुंबई मेट्रो के लिये रेल ट्रैक की मिसाल दे रहे हैं जहां यह प्रयोग पूरी तरह असफल रहा। 

दिल्ली: वायु प्रदूषण से निपटने के लिये ग्रीन वॉर रूम

केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिये एक ‘ग्रीन वॉर रूम’ बनाया है। इसके ज़रिये राजधानी की एयर क्वॉलिटी और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से हुये धुंए को मॉनीटर करेगी। इस वॉर रूम को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दो वैज्ञानिकों की अगुवाई में कुल 10 लोगों की टीम चलायेगी जो सेटेलाइट की तस्वीरों के ज़रिये पराली और अन्य प्रदूषण का विश्लेषण करेगी। इन प्रदूषण स्तरों को देखते हुए तत्काल इमरजेंसी और सामान्य कदम उठाये जायेंगे।

उधर केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने बताया कि 7 अक्टूबर को पहली बार इस सीज़न में दिल्ली की एयर क्वॉलिटी “पूअर” रिकॉर्ड की गई और हालात आगे और खराब होने की आशंका है। महत्वपूर्ण है कि जाड़ों में क्लाइमेट और पराली जैसे कारणों से वायु प्रदूषण बहुत अनियंत्रित हो जाता है। जानकारों ने चेतावनी दी है कि घने प्रदूषण में कोरोना वायरस का प्रकोप और बढ़ सकता है। 

भारत SO2 उत्सर्जन में अब भी सबसे आगे

ग्रीनपीस इंडिया और वायु प्रदूषण पर नज़र रखने वाली संस्था क्रिया (CREA) के मुताबिक साल 2019 में भारत के सल्फर डाइ ऑक्साइड (SO2) इमीशन करीब 6% गिरे जो कि एक बड़ा आंकड़ा है। इसके बावजूद भारत दुनिया में इस ज़हरीली गैस का सबसे बड़ा उत्सर्जक रहा। विश्व के कुल SO2 इमीशन के 21%  के लिये भारत ज़िम्मेदार था। SO2 मूलत: कोयला बिजलीघरों की चिमनियों से निकलने वाली ज़हरीली गैस है जो फेफड़ों के कैंसर, हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी समस्याओं का कारण बनती है। दुनिया में रूस दूसरे नंबर का SO2 उत्सर्जन है लेकिन उसका इमीशन भारत के आधे से भी कम है।

Website | + posts

दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.