लांसेट में प्रकाशित एक नई स्टडी के मुताबिक कोरोना (थूक या छींक की छोटी बूंदों के बजाय) हवा से अधिक फैल रहा है। अब तक के स्वास्थ्य संबंधी उपाय हवा से संक्रमण को ध्यान में रखकर नहीं किये गये हैं और लोगों के अधिक बीमार पड़ने के पीछे यह भी एक वजह है। इस रिसर्च को लिखने वाले 6 शोधकर्ताओं ने 10 सुबूतों के आधार पर कोरोना के हवा के माध्यम से फैलने की बात कही है। जानकार कहते हैं कि इससे स्पष्ट है कि जो लोग जितना अधिक प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं उन्हें यह बीमारी होने का ख़तरा भी उतना ही अधिक है।
वायु प्रदूषण से उद्योगों को सालाना 9500 करोड़ डॉलर का नुकसान
मुंबई स्थित दलबर्ग एडवाइजर्स, क्लीन एयर फंड और भारतीय उद्योग महासंघ (सीआईआई) के एक साझा अध्ययन में पता चला है कि हर साल इंडस्ट्री को वायु प्रदूषण के कारण 9500 करोड़ अमेरिकी डॉलर के बराबर नुकसान होता है। यह हानि देश में वसूले गये सालाना टैक्स के 50% के बराबर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश भर में मज़दूरों को वायु प्रदूषण से पैदा बीमारियों के कारण साल में कुल 130 करोड़ दिन छुट्टी लेनी पड़ती है जिससे 600 करोड़ डॉलर की हानि होती है। रिसर्च के मुताबिक प्रदूषित हवा का असर श्रमिकों की संज्ञानात्मक और शारीरिक प्रदर्शन पर पड़ता है जिसका असर उत्पादकता पर दिखता है।
राज्यों की जवाबदेही तय करने के लिये एनजीटी ने बनाई टास्क फोर्स
वायु प्रदूषण पर सरकारों की जवाबदेही तय करने के लिये देश की ग्रीन कोर्ट – नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल – ने 8 सदस्यों की नेशनल टास्क फोर्स गठित की है। यह कमेटी वायु प्रदूषण से निपटने के लिये उठाये कदमों को मॉनीटर करेगी। कोर्ट ने कहा कि ऊंचे पदों पर अधिकारियों को नागरिकों के प्रति संवैधानिक और क़ानूनी ज़िम्मेदारी निभाने के लिये एक ट्रस्टी की तरह काम करना चाहिये। कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्तमान ख़राब हालात से निपटने के लिये कोई जादुई छड़ी नहीं है। सांस की बीमारियों से होने वाली मौतों के मामले में भारत दुनिया में नंबर वन है।
अदालत के मुताबिक लापरवाही करने वाले और निर्देशों का पालन न करने वाले कर्मचारियों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में नोट और तनख्वाह से मुआवज़े की वसूली जैसे कदम अनिवार्य हैं। नेशनल टास्क फोर्स में पर्यावरण, शहरी विकास, कृषि और स्वास्थ्य मंत्रालय के अलावा पेट्रोलियम, ट्रांसपोर्ट और पावर मिनिस्ट्री के अधिकारी होंगे और केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों को इसमें शामिल किया जायेगा।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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