दिल्ली में हर साल की तरह इस साल भी जाड़ों की शुरुआत में वायु प्रदूषण आसमानी ऊंचाई पर पहुंच गया। पिछली 3 नवंबर को वायु गुणवत्ता का सूचकांक (AQI) 999 (मिलीग्राम प्रति घनमीटर) को पार कर गया। कई उड़ानें रद्द करनी पड़ी और राजधानी में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित करनी पड़ी और सड़क पर कारों की संख्या घटाने के लिये ऑड-ईवन स्कीम लागू कर दी गई। हालांकि प्रदूषण के लिये कई कारण ज़िम्मेदार हैं लेकिन तात्कालिक हालात के लिये राजधानी के पड़ोसी राज्यों (पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी) में जलाई जा रही पराली का अहम रोल है। प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों के साथ दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों ने वीडियो कांफ्रेंस की लेकिन कुछ खास होता नहीं दिख रहा है। हालांकि वायु प्रदूषण को काबू में करने के लिये 300 टीमें जगह जगह तैनात की गई हैं और सारा ध्यान औद्योगिक इकाइयों पर कड़ी नजर रखने में है।
वायु प्रदूषण: केंद्र और राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
उत्तर भारत में दमघोंटू हवा वाले हालात पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को फटकार सुनाई है। कोर्ट की फटकार तब पड़ी जब अधिकारियों ने वायु प्रदूषण के लिये किसानों को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि खुंटी (पराली) जलाने से हवा इतनी प्रदूषित हो गई है। “… यह सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह किसानों के हितों का खयाल रखे।” कोर्ट ने कहा। अदालत ने कहा कि सरकार के पास पराली को लेकर कोई नीति नहीं है। कुछ करने के बजाय वह “शीशमहल” में बैठी और उसने लोगों को “मरने के लिये छोड़ दिया है”। लेकिन यह कहने के साथ अदालत ने “पूरी पुलिस मशीनरी” को काम पर लगाने के लिये भी कहा ताकि पराली जलाने से किसानों को रोका जा सके।
NGT: वायु प्रदूषण एक दिन में नहीं खड़ा हुआ, लगातार अनदेखी का नतीजा
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने कहा है कि प्रदूषित हवा की समस्या एक दिन में खड़ी नहीं हुई बल्कि यह केंद्र और राज्य सरकारों की लगातार अनदेखी और उदासीनता के कारण है। NGT ने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी एक दिन हुई और वायु प्रदूषण हर रोज़ हो रहा है। पहले कोई समाधान नहीं सोचा गया और अब सरकार “यहां-वहां भाग रही है।” उत्तर भारत में मची त्राहि-त्राहि के बाद NGT ने दिल्ली सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी और केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों को तलब किया था। उधर दक्षिण भारत में भी हवा बेहद खराब हो गई जब चेन्नई में 9 नवंबर को वहां PM 2.5 “बहुत खराब” (Very Poor) स्तर पर पहुंच गया। शहर के मनाली इलाके में AQI 358 माइक्रोग्राम/घन मीटर नापा गया।
AQI: महाराष्ट्र ने पहली बार रियल-टाइम डाटा दिये, दिवाली में शोलापुर की हवा सबसे ख़राब
महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) ने पहली बार पूरे राज्य में एयर क्वॉलिटी को लेकर रियल टाइम और मैन्युअल डाटा जारी किये। महाराष्ट्र ने 15 महीने पहले एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों का उद्घाटन किया था। जानकार कहते हैं कि अगले साल से MPCB इस बात को पहले ही बता पायेगा कि किन इलाकों में प्रदूषण स्तर अधिक रहने वाला है जिससे वहां पर एहतियाती कदम उठाये जा सकें। इस साल दिवाली पर जहां मुंबई की एयर क्वॉलिटी 92 पर “संतोषजनक” रिकॉर्ड की गई वहीं शोलापुर सबसे खराब 115 “मॉड्रेट” पर था।
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