बच्चों को चाहिये साफ हवा: शोध बताते हैं कि जहां डीज़ल अस्थमा के शिकार बच्चों की मुश्किल बढ़ाता है, वहीं स्कूलों में साफ हवा से बच्चों के सीखने की शक्ति बढ़ती है। फोटो - Canva

वायु प्रदूषण: डीज़ल बच्चों में अस्थमा बढ़ने के लिये ज़िम्मेदार

यूनाइटेड किंगडम में किया गया एक शोध बताता है कि डीज़ल के प्रयोग में बढ़ोतरी होने पर हफ्ते भर में ही अस्थमा के शिकार बहुत सारे बच्चों को तकलीफ होने लगी और उन्हें डॉक्टर के पास जाना पड़ा।  शोधकर्ता कहते हैं कि इस बीच चिकित्सकों द्वारा इन्हेलर की सिफारिशों का ग्राफ भी बढ़ा। हालांकि बच्चों पर इसकी सबसे बुरी मार पड़ी पर हर आयु वर्ग के लोगों पर इसका असर दिखा। इस शोध के लिये दक्षिण लंदन में डॉक्टरों के कोई 7.5 लाख नुस्खों का अध्ययन किया गया जो सांस की तकलीफ झेल रहे पांच साल से अधिक उम्र के मरीज़ों के लिये लिखे गये। 

पशु बाड़ों से प्रदूषण: अमेरिका में हर साल 18 हज़ार मौतें

अपनी तरह का यह पहला शोध बताता है कि कृषि और पशुपालन से जुड़ी गतिविधियों से हो रहा प्रदूषण अमरीका में हर साल करीब 18,000 लोगों की जान ले रहा है। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में कहा गया है कि खाद्य उत्पादन से जुड़े प्रदूषण के कारण 80% मौतें हो रही हैं। शोधकर्ता बताते हैं कि खाद और पशु आहार से जुड़ी गैसों में फेफड़ों को परेशान करने वाले कण होते हैं।  

साफ हवा में बढ़ती है बच्चों के सीखने की क्षमता

 यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर की रिसर्च के मुताबिक स्कूलों के आसपास वायु प्रदूषण के स्तर में 20% की गिरावट बच्चों की लरनिंग एबिलिटी (सीखने की क्षमता) 6.1% तक बढ़ा सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह हर साल 4 हफ्ते अधिक पढ़ाई करने और सीखने जैसा है। यह शोध उन 5 लाख बच्चों पर किया गया जो हानिकारक  प्रदूषण स्तर का सामना कर रहे हैं।

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