Photo: World Economic Forum

वायु प्रदूषण घटने से बढ़ता है सौर उर्जा उत्पादन

ऊपर वाला अगर एक हाथ कुछ लेता है तो एक हाथ कुछ देता भी है। जैसे दुनिया को उसने अगर कोविड का कहर दिया, तो साथ ही लॉकडाउन के नतीजे की शक्ल में साँस लेने को बेहतर हवा भी दी।

कोविड को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन की वजह से हमारे पर्यावरण पर बेहतरीन असर हुए। इतने बेहतरीन की शायद हमने अपने शहरों के आसमान को पहली बार इतना साफ़ देखा और पहली बार शहर की हवाओं में ताज़गी महसूस की। इस लॉक डाउन का असर कुछ ऐसा हुआ कि वायु प्रदूषण में शानदार कमी आयी। इतनी कमी, कि दिल्ली में लगे सोलर पैनलों ने आठ फ़ीसद ज़्यादा बिजली पैदा की।

यह कोई कपोल कल्पना नहीं, वैज्ञानिक तथ्य है। और इस बात की जानकारी दुनिया के शीर्ष तकनीकी शिक्षा संस्थानों में से एक, मैसेश्युसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (एमआईटी), के ताज़ा शोध से मिलती है। बीती जुलाई के आख़िरी हफ़्ते में जारी किये गए इस शोध पर प्रतिक्रिया देते हुए एम आई टी के शोधकर्ता कहते है कि ऐसा नहीं है कि यह नतीजे अप्रत्याशित हैं, लेकिन यह पहला अध्ययन है जो न सिर्फ़ सौर ऊर्जा उत्पादन पर वायु प्रदूषण के विपरीत प्रभाव को प्रदर्शित करता है, बल्कि इसकी मात्रा भी निर्धारित करता है।

यह शोध एमआईटी के मेकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफ़ेसर, टोनियो बुओनासिसी के नेतृत्व में, उनके रिसर्च असिस्टेंट इअन मरिउस पीटर्स के साथ सिंगापुर और जर्मनी में बसे तीन और साथियों ने मिल के किया और इन निष्कर्षों का प्रकाशन एमआईटी के जूल नामक जर्नल में हुआ है।

दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है और प्रोफ़ेसर टोनियो 2013 से ही दिल्ली के सोलर पैनलों के आउटपुट का डेटा जुटा रहे थे। उन्होंने लॉकडाउन के पहले मिले आंकड़ों पर किये शोध में पाया कि प्रदूषण के चलते दिल्ली में सौर ऊर्जा के आउटपुट में लगभग 10 फ़ीसद की गिरावट थी। मतलब अगर प्रदूषण का स्तर वैसा नहीं होता तो ऊर्जा उत्पादन दस फ़ीसद ज़्यादा हो सकता था।  

कहने को यह महज़ दस फ़ीसद की गिरावट थी, लेकिन इसका आर्थिक पहलू इतना बड़ा है कि भारत जैसी दाम को लेकर संवेदनशील अर्थव्यवस्था में इसे नकारा नहीं जा सकता। और अब, जब वैज्ञानिक रूप से यह सिद्ध हो गया है कि वायु प्रदूषण में लगभग पचास फीसद की कमी की वजह से दिल्ली में सौर ऊर्जा उत्पादन में आठ फ़ीसद की बढ़त दर्ज की गयी है, तब इसे भारत में सौर ऊर्जा की अर्थ व्यवस्था पर एक सकारात्मक प्रभाव के रूप में देखना चाहिए। ख़ास तौर से इस लिए क्योंकि यह शोध शानदार संभावनाओं को बल देते हैं। जब दिल्ली के वायु प्रदूषण में औसत 50 प्रतिशत की कमी नापी गयी, तब सौर ऊर्जा उत्पादन में आठ फ़ीसद की बढ़त दर्ज की गयी। मतलब उतनी ही लागत में लगभग दस फ़ीसद ज़्यादा उत्पादन।

इसे समझाते हुए टोनियो बुओनासिसी कहते हैं, “यह बढ़त देखने में कम लग सकती है, लेकिन यह असल में बहुत है क्योंकि इस इंडस्ट्री में प्रॉफिट मार्जिन काफ़ी कम होते हैं। सोचिये अगर कोई सोलर कंपनी 100 परसेंट के आउटपुट में से 2 परसेंट के मुनाफ़े की सोचती थी और अचानक उसका आउटपुट 108 परसेंट हो जाये तो उसके मुनाफ़े में तो पांच गुना का इज़ाफ़ा हुआ न?” वाक़ई, इस निष्कर्ष का आर्थिक पक्ष बेहद महत्वपूर्ण है जिसे नकारा नहीं जा सकता। इसको दूसरी नज़र से देखें तो बाज़ारवाद के इस दौर में यह शोध वायु प्रदूषण कम करने के लिए एक ज़बरदस्त आर्थिक प्रलोभन भी देता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.