लुका-छुपी: भारत प्रदूषित देशों की सूची में नंबर वन है फिर भी देश के आधे राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड रियल टाइम डाटा सार्वजनिक नहीं कर रहे। Photo: The Hindu

लगभग आधे प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड जनता को नहीं बताते आंकड़े

देश में सभी राज्यों ने भले ही प्रदूषण को रियल टाइम नापने के लिये (CEMS डाटा) उपकरण लगा लिये हों लेकिन देश के करीब आधे राज्यों के प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (SPCB) या प्रदूषण नियंत्रण कमेटियां  (PCC)  ही अपना CEMS डाटा जनता को बताती हैं। दिल्ली स्थिति सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरेंमेंट (CSE) की ताज़ा रिपोर्ट में यह बात कही गई है जिसमें 19 अक्टूबर तक के डाटा रिकॉर्ड किये गये हैं । की जानकारी नापी गई।  

CEMS उपकरण हर 15 मिनट में डाटा प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को भेजते हैं जो बोर्ड के साथ साथ उद्योगों को भी प्रदूषण नियंत्रित करने में मदद करते हैं। देश में अभी कुल 30 राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और 5 प्रदूषण कंट्रोल समितियां हैं लेकिन इस डाटा को केवल 17 बोर्ड/कमेटियां ही पब्लिक डोमेन में डाल रही थी। 

वायु प्रदूषण लेता है हर साल 5 लाख बच्चों की जान 

यह बात किसी से छुपी नहीं है कि वायु प्रदूषण का असर सबसे अधिक छोटे बच्चों और बुज़ुर्गों पर पड़ता है। स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SoGA) की ताज़ा रिपोर्ट कहती है कि पिछले साल दुनिया भर में 5 लाख बच्चों की मौत दूषित हवा के कारण हुई। रिपोर्ट के मुताबिक हवा में मौजूद ज़हरीले प्रदूषक मां के गर्भ में ही बच्चे पर हमला कर रहे हैं। इसकी वजह से बच्चे वक्त से पहले (प्रीमैच्योर) पैदा हो रहे हैं, उनका वजन सामान्य से कम दर्ज किया जा रहा है औऱ मृत्यु दर काफी बढ़ रही है। महत्वपूर्ण है कि पांच लाख में से दो-तिहाई बच्चों की मौत के पीछे वजह इनडोर पॉल्यूशन है। दक्षिण एशिया में सबसे अधिक 1.86 लाख बच्चों की मौत वायु प्रदूषण से हुई। 

चीन ने कैसे किया वायु प्रदूषण पर नियंत्रण 

स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SoGA) की रिपोर्ट यह भी बताती है कि चीन ने वायु प्रदूषण से लड़ने में बड़ी कामयाबी हासिल की है। यह जहां भारत को वायु प्रदूषण के मामले में पहले नंबर पर रखती है वहीं चीन 29वें नंबर पर है। हालांकि दुनिया में वायु प्रदूषण से हर साल होने करीब 58% इन दो देशों में हो रही हैं। चीन में मरने वालों की संख्या 12.4 लाख है तो भारत में सालाना मौतों का आंकड़ा 9.8 लाख है। फिर भी चीन ने हवा में पीएम 2.5 कणों को पिछले 9 साल में 30% कम किया है।  चीन ने साल 2013 में ही एक व्यापक प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रण शुरू किया और अपने कई बिजलीघरों को कोयला आधारित ईंधन से हटाकर गैस पर चलाना शुरू किया है। इसके अलावा मॉनिटरिंग और नियमों को लागू करने में चीन ने काफी चुस्ती दिखाई है। 

दिल्ली में अगले आदेश तक डीज़ल जेनरेटरों पर पाबंदी दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (DPCC) ने अगले आदेश तक राजधानी में डीज़ल जनरेटरों पर पाबंदी लगा दी है। वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुये यह कदम ग्रेडेड रेस्पोंस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत उठाया गया है। GRAP प्रदूषण बढ़ने की स्थिति में लिये गये आपातकालीन कदम हैं जिन्हें 2017 में लागू किया था।  सरकारी आदेश के बाद 15 अक्टूबर से ज़रूरी और आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर किसी भी अन्य कार्य के लिये डीज़ल जेनरेटरों पर पाबंदी लगा दी गई है। ज़रूरी सेवाओ में लिफ्ट, अस्पताल, रेलवे और एयरपोर्ट जैसी सेवायें शामिल हैं।

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