अमीर की सज़ा ग़रीबों को: भारत में समृद्ध लोग गरीबों के मुकाबले 7 गुना अधिक इमीशन कर रहे हैं | Photo: Johnny Miller/Unequal Spaces

भारत के अमीरों का उत्सर्जन ग़रीबों से 7 गुना अधिक

भारत के सबसे अधिक खर्च करने वाले 20% लोग, देश के 140 रुपये से कम में गुज़ारा करने वाले गरीबों के मुकाबले 7 गुना अधिक इमीशन के लिये ज़िम्मेदार हैं।  यह बात जापान स्थित रिसर्च इंस्टिट्यूट फॉर ह्यूमैनिटी एंड नेचर के एक शोध में सामने आयी है। भारतीयों का औसत कार्बन फुट प्रिंट 0.56 टन प्रति वर्ष है लेकिन जहां गरीबों के लिये यह आंकड़ा 0.19 टन है वहीं अमीरों के लिये 1.32 टन है। भारत इमीशन के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर है। देश का सालाना इमीशन 246 करोड़ टन है जो दुनिया के कुल इमीशन का 6.8% है। हालांकि भारत का प्रति व्यक्ति इमीशन 1.84 टन ही है जबकि अमेरिका का 16.21 टन है।

बेहतर पूर्वानुमान के लिये मौसम विभाग अपनायेगा नई तकनीक

मॉनसून के बेहतर पूर्वानुमान के लिये मौसम विभाग इस साल पहली बार एक मल्टी मॉडल असेम्बल फोरकास्ट तकनीक इस्तेमाल करेगा। मौसम विभाग सिंचाई के लिये पूरी तरह बारिश पर निर्भर इलाकों के लिये अलग से विशेष पूर्वानुमान जारी करेगा। साल 2020 में बारिश के पूर्वानुमान सही न होने के बाद अब मौसम विभाग ने यह नई तकनीक का प्रयोग करने का फैसला किया है जिसमें कई मॉडलों के मिश्रण से एक पूर्वानुमान दिया जाता है जिसके अधिक सटीक होने की संभावना है।

पेड़ काटने और खनन के कारण आयी इंडोनेशिया में बाढ़?

पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि इंडोनेशिया के दक्षिण बोर्नियो क्षेत्र में हाल में आयी बाढ़ का रिश्ता पाम ऑयल ट्री प्लांटेशन के लिये बड़े स्तर पर पेड़ों के कटान और कोयला खनन है। जनवरी के पहले हफ्ते में आई बाढ़ से 1 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा था और कम से कम 21 लोग मारे गये थे। इंडोनेशिया अंतरिक्ष एजेंसी के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 10 साल में बरीतो नदी के आसपास लंदन के क्षेत्रफल के दुगने आकार में फैले वृक्ष काट डाले गये हैं। ग्रीनपीस के द्वारा किये एक दूसरे विश्लेषण में इसी प्रान्त की मलूका नदी के जलागम क्षेत्र में खनन के लिये बड़े स्तर पर पेड़ काटे गये हैं। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि इतने बड़े स्तर पर वृक्ष कटने से इस क्षेत्र में जंगलों के पानी को सोखने और बाढ़ रोकने की क्षमता पर बड़ा असर पड़ा।

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