भारत ने इलैक्ट्रिक वाहनों को बढ़ाने और बैटरी स्टोरेज उपकरणों का आयात घटाने के लिये 18,100 करोड़ का इंसेंटिव प्लान मंज़ूर किया है जो बेहतर उत्पादन को उत्साहित करेगा। हर साल भारत बैटरी स्टोरेज सुविधा के लिये 20,000 करोड़ के उपकरण आयात करता है।
इस योजना के तहत आधुनिक कैमिस्ट्री सेल पर आधारित 50 गीगावॉट-घंटा की स्टोरेज और 50 गीगावॉट-घंटा की ‘नीश’ एसीसी प्रोडक्शन घंटा को प्रोत्साहित किया जायेगा। सरकार ने कहा है कि कैमिकल सेल बैटरी स्टोरेज के नेशनल प्रोग्राम के तहत 45,000 करोड़ का और निवेश किया जायेगा। यह इंसेंटिव उन उत्पादकों को दिया जायेगा जो 5 से 20 गीगावॉट-घंटा की स्टोरेज लगायेंगे और 5 साल के भीतर 60% घरेलू वैल्यू एडिशन को सुनिश्चित करेंगे।
एंटी डम्पिंग: चीन, विएतनाम और थाइलैंड से आयात की जांच
इंडियन सोलर मैन्युफेक्चरर्स (आईएसएमए) की याचिका पर सरकार ने तय किया है कि चीन, थाइलैंड और विएतनाम से आयातित सोलर सेलों की एंटी डम्पिंग नियमों के तहत जांच शुरू होगी। सोलर मॉड्यूल बनाने के लिये सोलर सेल पहली ज़रूरत होते हैं और चीनी उत्पाद 15 से 20% सस्ते हैं। डायरेक्टर जनरल ऑफ ट्रेड रेमिडीज़ (डीजीटीआर) ने पहली नज़र में इन देशों के खिलाफ जांच का आधार पाया है। वैसे आईएसएमए की याचिका पर जुलाई, 2017 में शुरू की गई एक ऐसी ही जांच मार्च, 2018 में रोक दी गई थी।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस के मुताबिक चीन और मलेशिया से आयात पर सेफगार्ड ड्यूटी (आयात को हानि पहुंचने से रोकने के लिये टैक्स) लगा दिये जाने के बाद 2018 और 2020 के बीच वियेतनाम और थाइलैंड से आयात का ग्राफ तेज़ी से बढ़ा। इनमें 800% और 5,750% का उछाल दर्ज किया गया। वियेतनाम से 136 करोड़ डॉलर और थाइलैंड से 11.7 करोड़ डॉलर का आयात हुआ। इसी दौर में चीन से आयात 60% घटकर 130 करोड़ हो गया।
बाइडेन ने समुद्र में पहले बड़े पवन ऊर्जा फार्म को मंज़ूरी दी
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने व्यवसायिक स्तर पर पहले पवन ऊर्जा संयंत्र को मंज़ूरी दी है जो समुद्र में लगेगा। विनयार्ड विन्ड प्रोजेक्ट नाम के इस संयंत्र में अटलांटिक महासागर में 84 टर्बाइन लगाई जायेंगी जो तट से 12 नॉर्टिकल मील की दूरी पर होंगी। न्यूयार्क टाइम्स के मुताबिर इससे 800 मेगावॉट बिजली बनेगी जो 4,00,000 घरों के लिये पर्याप्त होगी। अमेरिका अपने पूर्वी तट पर करीब 2,000 टर्बाइन लगाने की योजना बना रहा है।
महत्वपूर्ण है कि ट्रम्प प्रशासन ने इस प्रोजेक्ट को अनुमति रद्द कर दी थी। अब बाइडेन ने 2030 तक 30,000 मेगावॉट ऑफ-शोर पवन ऊर्जा के लक्ष्य के तहत इसे हरी झंडी दी है। व्हाइट हाउस का कहना है कि इस प्रोजेक्ट से सालाना 1,200 करोड़ डॉलर का निवेश होगा और दस साल में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 77,000 नौकरियां मिलेंगी।
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