नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि पर्यावरण से जुड़े अपराधों में – 2016 और 2017 के बीच – 790% की बढ़ोतरी हुई। साल 2016 में जहां 4,732 अपराध दर्ज हुये थे वहीं 2017 में इनकी संख्या 42,143 रही। तमिलनाडु नंबर-1 राज्य रहा जहां कुल अपराधों के करीब 50% (21,914) दर्ज किये गये। इसके बाद राजस्थान (16%) और केरल (16%) का नंबर रहा। उत्पादकता प्रभावित हो रही है।
अपराधों में इस रिकॉर्ड वृद्धि के लिये सिगरेट और तंबाकू से जुड़े कानून (2003) के तहत अपराधों को पर्यावरणीय अपराध में शामिल किया जाना है। कुल अपराधों में 30% अपराध इसी कानून के अंतर्गत हैं। NCRB के आंकड़े एक साल की देरी से जारी हुये हैं और जानकारों का कहना है कि पर्यावरणीय अपराधों की गिनती के लिये जो तरीका अपनाया गया है उसमें मौलिक त्रुटियां हैं।
बिजली क्षेत्र में कुल 1 लाख करोड़ के NPA
पावर सेक्टर का हाल बद से बदतर होता जा रहा है। दिल्ली स्थित द एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टिट्यूट (TERI) मुताबिक अब तक पावर सेक्टर को दिये गये 1 लाख करोड़ रुपये के कर्ज़ एनपीए बन चुके हैं। यह पावर सेक्टर पर कुल कर्ज़ का 18% हैं। TERI ने इस हाल के लिये ज़िम्मेदार कारणों में पावर कंपनियों द्वारा 2010 से 2015 के बीच किया गया “बेवजह विस्तार” और 2012 के बाद मांग-वृद्धि ग्राफ में गिरावट प्रमुख कारण बताये हैं। ताज़ा RBI रिपोर्ट बताती है कि बैंकों के NPA लगातार बढ़ रहे हैं। बिजली मंत्री आर के सिंह के मुताबिक जल्द ही इस सेक्टर को दुरस्त करने के लिये कदम उठाये जायेंगे।
अमेरिका को पेरिस डील से हटाने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू
ट्रम्प प्रशासन आखिरकार अमेरिका को पेरिस समझौते से बाहर निकालने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर रहा है। पेरिस नियमों के तहत औपचारिक प्रक्रिया के शुरू होने के बाद अमेरिका को इस डील से बाहर आने में 1 साल का वक्त लगेगा। डोनाल्ड ट्रम्प कहते रहे हैं इस समझौते की “अत्यधिक पाबंदियों” से घरेलू उत्पादन बन्द हो जायेगा और “विदेशी उत्पादकों” की बल्ले-बल्ले होगी।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
हसदेव अरण्य में विरोध प्रदर्शनों के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने तीन माइनिंग प्रोजेक्ट्स पर ‘अनिश्चितकाल’ की रोक लगाई
-
COP27 की ज़मीन तैयार कर रहा है इन दिनों चल रहा 56वां बॉन सम्मेलन
-
हिमाचल में नदी प्रदूषण मामले में एनजीटी ने केंद्र की पुनर्विचार याचिका खारिज की
-
रेत का इस्तेमाल समझदारी से होना चाहिये: UNDP
-
[विश्लेषण] अंधाधुंध हो रही जंगलों की कटाई लेकिन इसकी वित्तीय कीमत बढ़ाने को लेकर परहेज