खुद ही कोतवाल: भारत में पहले ही प्रदूषण की निगरानी बहुत ढीली है और नये नियम कंपनियों और छूट देंगे। फोटो - Canva

नये नियम: कंपनियां खुद को देंगी प्रदूषण न करने का प्रमाण पत्र

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी नये नियमों के तहत कंपनियां अब खुद को “प्रदूषण लोड में बढ़ोतरी नहीं” सर्टिफिकेट देकर अपना काम और फैला सकती हैं। अंग्रेज़ी अख़बार हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक सरकार के नये नियमों के तहत कोल वॉशिंग, मिनरल प्रोसेसिंग, खाद, कीटनाशक, पेन्ट और पेट्रोकैमिकल के कारोबार में लगी कंपनियां इस सेल्फ सर्टिफिकेशन का फायदा उठा सकती हैं। 

जानकार कहते हैं कि जिस देश में मॉनिटरिंग काफी कमज़ोर हो वहां इस तरह का सेल्फ सर्टिफिकेशन नियमों की अवहेलना और अनदेखी का खुला आमंत्रण है। मंत्रालय का कहना है कि उन्हें प्रोसेसिंग, प्रोडक्शन और निर्माण क्षेत्र से बहुत सारी अर्जियां मिली थी जिसमें पर्यावरण क्लीयरेंस की पूरी प्रक्रिया के बगैर उत्पादन क्षमता बढ़ाने की अनुमति मांगी गई थी। 

दिल्ली-एनसीआर की प्रदूषण निगरानी के लिये फिर आयोग 

प्रदूषण निगरानी पर ढिलाई के लिये आलोचना से घिरी सरकार ने फिर से अध्यादेश के ज़रिये एयर क्वॉलिटी मैनेजमैंट कमीशन (सीएक्यूएम) को प्रभावी कर दिया है। यह आयोग दिल्ली और उससे लगे इलाकों में वायु प्रदूषण निगरानी के लिये है। सरकार इस कमीशन को गठित करने के 5 महीने बाद अध्यादेश को संसद से पास नहीं करा पाई थी जिससे कमीशन निष्प्रभावी हो गया था लेकिन अब एक बार फिर से अध्यादेश के ज़रिये ये प्रभावी है। 

पेट्रोलियम मंत्रालय के पूर्व सचिव और दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव रहे एमएम कुट्टी इस आयोग के चेयरमैन हैं। एयर पॉल्यूशन एक्शन ग्रुप के आशीष धवन इस पैनल में अकेल एनजीओ सदस्य हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव रमेश केजे इस आयोग में एकमात्र पूर्ण कालिक तकनीकी सदस्य हैं। इस ख़बर को यहां विस्तार से पढ़ा जा सकता है। 

नीतिगत विफलता: दिल्ली, कानपुर की हवा में NO2 और PM 2.5 का स्तर बढ़ा  

दिल्ली और कानपुर की हवा में पीएम 2.5 और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड का स्तर बढ़ रहा है। यह बात उपग्रह से मिले डाटा के विश्लेषण से पता चली है। यह एनालिसिस यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन ने किया। वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके पीछे बढ़ते वाहनों की संख्या, उद्योगों से उत्सर्जन और नियमों के पालन में ढिलाई के साथ वायु प्रदूषण नियंत्रण नीति को लागू करने में सुस्ती प्रमुख वजह हैं। शोध कहता है कि भारत के इन दो शहरों के उलट लंदन में पीएम 2.5 और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड का स्तर गिरा है क्योंकि वहां सोर्स (यानी उत्पादन के स्रोत)  पर प्रदूषण रोकने की नीति ठीक से लागू की गई।

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