तमाम देशों में लॉकडाउन की वजह से दुनिया के कुल कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन में इस साल 5% की गिरावट होने की संभावना है। वैज्ञानिकों के नेटवर्क ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट के मुताबिक यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद ईमीशन में सबसे बड़ी गिरावट है। वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि जीवनशैली और ऊर्जा उत्पादन के तौर तरीकों में बदलाव नहीं किये गये तो उत्सर्जन फिर उसी स्तर पर पहुंच सकतें हैं जहां यह कोरोना महामारी से पहले थे। जानकार कहते हैं कि साल 2030 तक प्रति वर्ष 6% इमीशन घटें तभी धरती की तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री के नीचे रखा जा सकेगा।
आसमान हुआ साफ, जालंधर से दिखे धौलाधर के शिखर
इधर भारत के तमाम प्रदूषित शहरों में धुंआं कम हुआ है। जालंधर से पिछले दिनों लोगों को धौलाधर रेंज साफ दिखाई दी। धौलाधर की पहाड़ियां हिमालय पर्वत श्रंखला का हिस्सा हैं और जालंधर से करीब 160 किलोमीटर दूर हैं। पिछले कई दशकों में पंजाबवासियों ने अपने घरों की छत से यह खूबसूरत नज़ारा देखा। पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (पीपीसीबी) ने कहा कि जालंधर का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 52 मिलीग्राम प्रति घन मीटर था रहा जो कि पिछले 10 सालों का रिकॉर्ड है। कोरोना के कारण लॉकडाउन लागू होने से पहले यहां एक्यूआई 120 से 140 के बीच था।
खरीदार गायब, ऑटोमेकर को बेहद सस्ते बेचने पड़ रहे हैं BS6 वाहन
कोरोना वायरस के हमले पहले ही कार और दुपहिया वाहन निर्माताओं के लिये ग्राहक ढूंढना मुश्किल था लेकिन इस वायरस का संक्रमण फैलने के बाद हाल और बिगड़ गये हैं। अब कार निर्माता नये BS6 से चलने वाले वाहनों को पुराने वाहनों (BS4) की कीमत के आसपास ही बेच रहे हैं। पहली अप्रैल से नया ईंधन लागू हुआ है लेकिन महामारी ने ऑटोकंपनियों के हाल बहुत खराब कर दिये हैं। खरीदारों की कमी के कारण टोयोटा ने अपने नये BS6 वाहनों की कीमत 50% गिरा दी है।
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