सेंचर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) का नया शोध बताता है कि कि एचएसबीसी बैंक की संपत्ति प्रबंधन शाखा एशिया और अफ्रीका में 73 कोयला बिजलीघरों में निवेश करेगी। बैंक पेरिस समझौते के तहत पूरी दुनिया में 2040 तक कोयले में निवेश खत्म करने के वादे के बावजूद ऐसा कर रहा है। अमेरिकी एचएसबीसी अपने बचाव में तकनीकी बहाने कर रही है लेकिन जो निवेश कोयले में किया जा रहा है वह लोगों के जीवन के लिये घातक होगा।
रिसर्च बताती हैं कि एचएसबीसी की वित्तीय मदद से बन रहे नये कोल प्लांट्स जब शुरू होंगे तो उनके धुंए से हर साल दुनिया में कम से कम 18,700 लोग मरेंगे। सीआरईए के शोध में पाया गया है कि मरने वालों में सबसे अधिक, सालाना 8,300 मौतें, भारत में होंगी। इससे चीन में 4,200, बांग्लादेश में 1,200 और इंडोनेशिया में सालाना 1,100 लोगों के मरने का अंदेशा जताया गया है।
इंडोनेशिया के सबसे बड़ी कंपनी कोयले से पल्ला झाड़ेगी लेकिन 35 गीगावॉट के बिजवलीघर बनाने के बाद
इंडोनेशिया की सबसे बड़ी कंपनी, पेरुसहान लिस्ट्रिक नगेरा (पीएलएन), ने कहा है कि वह कोई नया कोयला बिजलीघर नहीं बनायेगा लेकिन उससे पहले कंपनी 35 गीगावॉट के प्रस्तावित कोयला बिजलीघर लगायेगी। कंपनी का कहना है कि वह साफ ऊर्जा में निवेश करेगी और 2050 तक कार्बन न्यूट्रल हो जायेगी। इंडोनेशिया दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है और कोयला बिजलीघरों के मामले में पीएलएन दुनिया की 15वीं सबसे बड़ी कंपनी है।
साल 2015 में कंपनी ने 35 गीगावॉट के पावर प्लांट मंज़ूर किये थे जिनमें 15 गीगावॉट कोयले के हैं। जानकारों का कहना है कि मौजूदा घोषणा साफ क्लाइमेट की दिशा में अच्छा संकेत है लेकिन सवाल किया है कि प्रस्तावित कोयला बिजलीघरों को बनाने पर कंपनी क्यों ज़ोर दे रही है जबकि उसे कोयला खदानों और उससे जुड़े लोगों को अन्य क्षेत्रों में रोज़गार के लिये कुछ करने पर ज़ोर देना चाहिये।
सस्ते विकल्प होने पर कोयले, तेल के लिये कर्ज़ नहीं देगा एशियाई विकास बैंक
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने अपनी ड्राफ्ट पॉलिसी अपडेट में कहा है वह एशिया में तेल, कोयले या गैस के एनर्जी प्रोजेक्ट्स को कर्ज़ देना बन्द कर देगा। बैंक ने 2009-19 के बीच दक्षिण एशिया में ही 4250 करोड़ अमेरिकी डॉलर के जीवाश्म ईंधन प्रोजेक्ट में निवेश किया। बैंक की नई टाइम लाइन यह नहीं बताती कि वह अपनी घोषणा को कब तक लागू करेगा। बैंक ने कहा है कि वह साफ, सस्ते विकल्प को तरजीह देगा जब कि तक कि वहां कोई और ज़रिया उपलब्ध न हो।
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