मौसम विभाग (IMD) के लॉन्ग रेंज फोरकास्ट (LRF) के मुताबिक भारत में इस साल मॉनसून सामान्य रहेगा। IMD के मुताबिक मॉनसून की तीव्रता 95% से 104% तक रहेगी। जानकार कह रहे हैं कि कोराना महामारी और मार्च में हुई बरसात से नुकसान झेल चुके किसानों के लिये यह अच्छी ख़बर है। यहां यह जानना ज़रूरी है कि ‘सामान्य मॉनसून’ का मतलब बरसात का ‘सामान्य वितरण’ नहीं है। अभी का पूर्वानुमान बहुत सी जानकारियां नहीं देता। मई में आने वाले दूसरे लॉन्ग रेंज फोरकास्ट में इन बातों पर अधिक स्पष्टता होगी।
कार्बन इमीशन में कमी जलवायु संकट रोकने के लिये काफी नहीं
भले ही कोरोना महामारी के कारण ग्रीन हाउस गैसों के इमीशन(उत्सर्जन) में भारी गिरावट दर्ज की जा रही हो लेकिन यह ग्लोबल वॉर्मिंग से पैदा हुये संकट को रोकने के लिये काफी नहीं है। यह कहना है विश्व मौसम संगठन यानी WMO का। WMO के मुताबिक इमीशन में यह गिरावट अस्थायी है और इस महामारी का असल में जलवायु परिवर्तन से प्रभावित लोगों के जीवन स्तर पर बहुत खराब असर होने जा रहा है। WMO ने दुनिया की सभी सरकारों से अपील की है कि वह कोरोना से निपटने के लिये बनाये जा रहे राहत पैकेज में पर्यावरण के लिये कदम भी शामिल हों।
संयुक्त राष्ट्र की क्लाइमेट साइंस रिपोर्ट में हो सकते हैं कोराना के सबक
साल 2021-22 में प्रकाशित होने वाली यूएन क्लाइमेट साइंस रिपोर्ट में कोरोना वाइरस को लेकर कई सबक हो सकते हैं। विशेष रूप से इस पड़ताल को लेकर कि संसाधनों पर बढ़ते जनसंख्या दबाव का महामारी से क्या रिश्ता है। माना जा रहा है कि चीन के वुहान से निकला कोरोना वाइरस जानवरों (चमगादड़ों) से इंसान में पहुंचा।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट इस बात का अध्ययन करेगी की क्या बढ़ती जनसंख्या, अत्यधिक प्रदूषण और वन्य जीवों के बसेरों का विनाश होने से इस तरह के वाइरस जंतुओं से इंसान में पहुंच रहे हैं।
पोलैंड के जंगलों में भयानक आग से तबाही
जहां पोलैंड एक ओर पिछले कई दशकों के सबसे बड़े सूखे का सामना कर रहा है वहीं देश के उत्तर-पूर्व में बीएब्ज़ा नेशनल पार्क के दलदल जंगलों में लगी आग से खत्म हो रहे हैं। यह आग करीब 6,000 हेक्टेयर में फैली है। अधिकारियों का कहना है कि आग गैरकानूनी तरीके से घास जलाये जाने से लगी होगी। वैसे तो यहां जंगलों में आग लगती ही रहती है लेकिन इतनी बड़ी आग कई सालों बाद लगी है। पर्यावरण के जानकार इसके लिये जलवायु परिवर्तन को ज़िम्मेदार ठहराते हैं और पोलैंड में जल प्रबंधन नीतियों को दुरस्त करने की मांग कर रहे हैं।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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