आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देश के 150 मुख्य जलाशयों की मॉनिटरिंग में पता चला है कि इनमें 39.765 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी बचा है, जो इन जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता का सिर्फ 22 प्रतिशत है।
पिछले हफ्ते इन जलाशयों में 23 प्रतिशत पानी बचा था। तापमान बढ़ने के साथ ही पिछले तीन महीनों में जलाशयों के स्तर में हर हफ्ते गिरावट देखी जा रही है।
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) का डेटा बताता है कि दक्षिणी क्षेत्र भारी नुकसान झेल रहा है और यहां केवल 13 प्रतिशत पानी बचा है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु सहित इस क्षेत्र में 53.334 बीसीएम की कुल क्षमता वाले 42 जलाशय हैं। इन जलाशयों में मौजूदा भंडारण 7.114 बीसीएम है, जो चिंताजनक रूप से कम है। पिछले साल इसी अवधि के दौरान इनमें 23 प्रतिशत पानी बचा था।
मॉनिटर किए गए 150 जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता 178.784 बीसीएम है, जो देश की कुल भंडारण क्षमता 257.812 बीसीएम का लगभग 69.35 प्रतिशत है। इस हफ्ते का लाइव स्टोरेज पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान उपलब्ध स्टोरेज का 79 प्रतिशत (50.549 बीसीएम) और दस साल के औसत (42.727 बीसीएम) का 93 प्रतिशत है।
असम, ओडिशा, झारखंड और गुजरात में पिछले साल की तुलना में बेहतर जल भंडारण दिखा। इसके विपरीत, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कई दक्षिणी राज्यों में भंडारण का स्तर गिरा है।
उधर कुछ हिस्सों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाने की स्थिति में राजधानी दिल्ली के कई इलाके भीषण जल संकट का सामना कर रहे हैं।
दिल्ली के पेयजल संकट को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज के माध्यम से 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी वजीराबाद बैराज में छोड़ा जाए।
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