Photo: Dainik Jagran

उत्तराखंड: जंगलों में आग पर अदालत ने शीर्ष वन अधिकारी को तलब किया

उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग पर हाई कोर्ट  ने प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) को बुधवार को कोर्ट में पेश होने को कहा और राज्य सरकार द्वारा आग पर नियंत्रण के लिए तैयारियों का ब्योरा भी मांगा है। कोर्ट ने एक जनहित  जनहित याचिका के बाद पर संज्ञान लिया है। पीसीसीएफ राज्य के सबसे बड़े वन अधिकारी होते हैं जिनका ओहदा मुख्य सचिव और राज्य पुलिस महानिदेशक के बराबर है। 

इस वक्त उत्तराखंड नैनीताल, अल्मोड़ा, टिहरी और पौड़ी जिले आग से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं और राज्य सरकार ने स्थिति को नियंत्रण करने के लिये वायुसेना को हेलीकॉप्टरों का सहारा लिया है। उत्तराखंड के मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि राज्य में 964 स्थानों पर आग लगी है| 

कितना हुआ नुकसान और सरकार ने क्या कदम उठाये 

आग के  कारण अब तक 4 की मौत हो गई  है। इसके साथ ही  37 लाख रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई है और कम से कम 7 जानवरो की मृत्यु हो गई है ।

बागेश्वर रेंज, गंखेट रेंज, कपकोट रेंज, धरमघर रेंज में आग की सूचना मिली है। रुद्रप्रयाग में केदारघाटी से भी जंगल की आग की सूचना मिली है। कुछ इलाकों में आग जंगलों से सटे गांवों तक भी पहुंच गई है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने रविवार को आग पर काबू पाने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए एक उच्च स्तरीय आपात बैठक की और केंद्र से मदद मांगी। 

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दो भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर भेजे जिन्हें अग्निशमन अभियानों में तैनात किया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ट्वीट के मुताबिक रावत द्वारा उन्हें स्थिति के बारे में जानकारी दी गई है और आवश्यक उपकरण और कर्मियों को भेजने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं।

आग का क्या कारण हैं?

फरवरी और जून के बीच हर साल उत्तराखंड में जंगल की आग एक नियमित घटना है। आमतौर पर, उत्तराखंड में जंगल की आग फरवरी के मध्य में शुरू होती है और मध्य जून में मानसून की शुरुआत तक रहती है। तकरीबन सभी आग मानवजनित होती हैं। चारे की समस्या और जंगलों में सामुदायिक भागेदारी की कमी को आग के फैसले की वजह बताया जाता है। पिछले कुछ सालों में पूरे देश में आग का ग्राफ बढ़ रहा है और उत्तराखंड में विशेष रूप से आग की घटनायें हो रही हैं। 

इस साल जनवरी से राज्य में जंगल की आग की 983 घटनाएं हुई हैं, जिससे 1,292 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई है । जबकि 2020 में आग की 170 से अधिक घटनाओं में 172 हेक्टेयर क्षतिग्रस्त हुई थी। अकेले मार्च में, राज्य में वन आग के 278 मामले दर्ज किए गए।

आमतौर पर, आग इतनी गंभीर नहीं होती है क्योंकि बारिश, सर्दियों के दौरान, पत्तियों को नम करती है। हालांकि, पिछले साल कम बारिश और सूखे मौसम के कारण पिछले 6 महीनों से आग लगी हुई है। जानकार इसके पीछे जलवायु परिवर्तन को एक वजह मान रहे हैं। 

वर्तमान स्थिति क्या है?

उग्र आग को काबू करने के लिए, उत्तराखंड सरकार ने 12,000 वन विभाग के कर्मियों को तैनात किया है। राज्य ने 1300 फायर स्टेशन भी स्थापित किए हैं।

वन अधिकारियों और जिला अधिकारियों को निर्देश दिया हैं की जब तक हालत स्थिर नहीं हो जाते तब तक कोई भी कर्मचारी  छुट्टी न लें और स्थिति पर कड़ी नजर रखें। केंद्र राष्ट्रीय आपदा राहत बल (NDRF) की एक टीम भेजने के लिए भी तैयार है।

इस बीच, भारतीय वायु सेना द्वारा भेजे गए दो Mi-17 हेलीकॉप्टर भी उत्तराखंड पहुंच गए हैं और 5,000 टैंक की मदद से आग से लड़ना शुरू कर दिया है। एक हेलीकॉप्टर कुमाऊं क्षेत्र में परिचालन में मदद कर रहा है जबकि अन्य गढ़वाल क्षेत्र में तैनात किया गया है। सरकार ने लोगों की मदद के लिये एक हेल्पलाइन – 1800-180-4141 बनाई है। 

+ posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

कार्बन कॉपी
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.