सरकार ने पर्यावरण मंत्रालय का बजट पिछले साल के मुकाबले इस साल करीब सवा दो सौ करोड़ रूपये कम किया है। पिछले साल दिये गये 3,100 करोड़ रुपये के मुकाबले इस साल सरकार ने पर्यावरण मंत्रालय को 2,870 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं। पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस कटौती पर चिन्ता जताई है और सरकार के इरादों पर सवाल खड़े किये हैं। हालांकि सरकार का कहना है कि कई दूसरे मंत्रालयों के तहत पर्यावरण और सेहत से जुड़ा धन मिलाकर कई योजनायें शुरू की गई हैं जो हवा-पानी को साफ करने और पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे सेक्टरों में मूलभूत ढांचे को मज़बूत करने में मदद करेंगी।
केंद्र सरकार ने 10 लाख से अधिक आबादी वाले 42 शहरों के लिये अतिरिक्त 2,217 करोड़ रुपये दिये हैं लेकिन यह धन किस हिसाब से खर्च होगा यह अभी स्पष्ट नहीं है। यह धन नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम यानी एनसीएपी में दिये गये पैसे से अलग है। पर्यावरण मंत्रालय के बजट में एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट कमीशन के प्रशासनिक खर्चों के प्रशासनिक खर्चों के लिये 20 करोड़ रुपये रखा गया है। यह कमीशन दिल्ली-एनसीआर की हवा को साफ करने के मिशन के तहत बनाया गया है।
उधर कई ऑटोनोमस संस्थानों के बजट में कटौती की गई है। डाउन टु अर्थ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस साल ऑटोनोमस बॉडीज़ के दिया गया 305.5 करोड़ का बजट न केवल पिछले साल के (340 करोड़) के बजट से कम है बल्कि यह साल 2019-20 में सालाना खर्च (326.5 करोड़) से भी कम है। हालांकि 2020-21 के लिये लगाये गये संशोधित अनुमान ( 289.5 करोड़) से यह अधिक है।
जिन संस्थानों के बजट में कमी होगी उनमें अल्मोड़ा स्थित जी बी पन्त संस्थान, इंडियन काउंसिल फॉर फॉरेस्ट एंड रिसर्च, भारती वन प्रबन्धन संस्थान और वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया शामिल हैं।
वित्तमंत्री ने साफ हवा के लिये हाइड्रोज़न एनर्ज़ी मिशन की शुरुआत करने और स्वैच्छिक स्क्रैपिंग पॉलिसी का ऐलान किया। इसके तहत पुराने और प्रदूषण कर रहे वाहनों को सड़क से हटाया जायेगा। कमर्शियल वाहनों के लिये फिटनेस टेस्ट की सीमा 15 साल और निजी वाहनों के लिए 20 साल होगी।
इसके अलावा शहरी इलाकों में पब्लिक बस ट्रांसपोर्ट को बढ़ाने के लिये 18,000 करोड़ का ऐलान किया गया है। वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार वाहन जनित प्रदूषण को कम करने के लिये मेट्रो लाइन और सिटी बस सेवाओं को बढ़ायेगी। सरकार की योजना पब्लिक प्राइवेट भागेदारी के तहत 20,000 नई बसें चलाने की है। उज्ज्वला योजना के तहत काम साफ ईंधन के मिशन को सरकार ने जारी रखा है। वित्तमंत्री ने कहा कि अगले 3 साल में 100 नये ज़िलों को गैस नेटवर्क से जोड़ा जायेगा ताकि साफ रसोई गैस परिवारों को मुहैय्या की जा सके।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
उत्तर भारत में अचानक बढ़ रहा तापमान, ‘गायब’ हो रहा बसंत का मौसम: शोध
-
बेंगलुरु में अभूतपूर्व जल संकट, पलायन कर रहे लोग; पूरे देश के लिए चेतावनी
-
अल निनो प्रभाव, इस साल होगी फिर रिकॉर्डतोड़ गर्मी
-
वनों की 1996 की परिभाषा पर लौटने का आदेश सराहनीय, लेकिन नाकाफी: विशेषज्ञ
-
क्या सच में कीड़े प्रकाश की ओर आकर्षित होते हैं?