IEEFA और JMK की रिसर्च के मुताबिक संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब में सौर ऊर्जा एक रुपये प्रति यूनिट से सस्ती है जो कि भारत के (2.36 रु प्रति यूनिट) मुकाबले काफी सस्ती है। असल में किसी देश में सौर ऊर्जा की दरें इस बात पर निर्भर हैं कि वहां टैक्स कितना है और सरकार की नीति क्या है। इन दोनों ही देशों में लंबी अवधि के लिये सस्ते कर्ज़ की व्यवस्था है और वहां कॉरर्पोरेट टैक्स नहीं है। इसके अलावा ज़मीन भी काफी कम कीमत पर उपलब्ध है। जानकार कहते हैं कि अगर सरकार चीन से आने वाले उपकरणों पर बेसिक कस्टम ड्यूटी जारी रखती है तो यूएई और सऊदी जैसे देशों के मुकाबले भारत की सोलर दरों ऊंची होती जायेंगी।
पावर कंपनियां साफ ऊर्जा के बजाय तेल, कोयले में कर रहीं निवेश
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ताज़ा रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि दुनिया की हर 10 बिजली कंपनियों में से केवल एक ही जीवाश्म ईंधन के बजाय साफ ऊर्जा में निवेश कर रही है। इस रिसर्च के तहत दुनिया की 3,000 पावर कंपनियों पर शोध किया गया और पता चला कि 90% पावर कंपनियां तेल, कोयले और गैस जैसे प्रदूषण करने वाले ईंधन में ही निवेश कर रही हैं और इन पावर प्लांट्स को प्रमोट भी कर रही हैं।
NTPC ने साफ ऊर्जा के लक्ष्य के लिये बनाई अलग कंपनी
सरकारी कंपनी एनटीपीसी ने साफ ऊर्जा के बिजनेस के लिये अपनी एक अलग कंपनी बनाने का फैसला किया है। इसके लिये उसे नीति आयोग और डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक असेट मैनेजमेंट (डीआईपीएएम) से हरी झंडी भी मिल गई है। इस नई कंपनी का नाम होगा एनटीपीसी रिन्यूएबिल एनर्जी बिजनेस। एनटीपीसी पहले ही 1100 मेगावॉट साफ ऊर्जा का उत्पादन कर रही है। भारत का लक्ष्य है कि वह 2032 तक 39,000 मेगावॉट साफ ऊर्जा पैदा करे। एनटीपीसी ने इसके 30% उत्पादन का लक्ष्य रखा है और यह नई कंपनी इसी उद्देश्य से बनाई गई है।
चीन में सोलर मॉड्यूल की बढ़ती कीमतों का असर पड़ेगा भारत पर
भारत में सोलर उपकरणों का बड़ा हिस्सा चीन से आयात होता है। अंग्रेज़ी अख़बार इकोनोमिक टाइम्स में छपी ख़बर के मुताबिक 2017 के बाद से पहली बार चीन में सोलर उपकरणों के बढ़ते दामों से भारत के प्रोजेक्ट प्रभावित हो सकते हैं। इसकी दो वजह हैं। पहली , चीन की फैक्ट्री जीसीएल पोली में हुआ धमाका। यहीं से दुनिया को होने वाली सोलर मॉड्यूल सप्लाई का एक तिहाई भेजा जाता है। दूसरी वजह है कि दक्षिण-पूर्व चीन में बाढ़ के कारण वहां जीसीएल के अलावा एक बड़ी पोली-सिलिकॉन उत्पादक कंपनी को काम रोकना पड़ा है। इससे भारत के कारोबार पर असर पड़ रहा है क्योंकि 85% सोलर उपकरण चीन से आते हैं। जानकार कहते हैं कि इससे भारतीय कंपनियों की आमदनी गिरेगी।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
40% आयात शुल्क के कारण एक्मे-स्कैटेक ने 900 मेगावाट की सौर परियोजना रोकी
-
हरित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारत को सकल घरेलू उत्पाद का 11% खर्च करना होगा, 40% खर्च नवीकरणीय ऊर्जा में होना चाहिए: मैकिन्से
-
भारत साफ ऊर्जा के संयंत्रों को ग्रिड से जोड़ने के लिये लगाएगा 161 करोड़ डॉलर
-
मिशन 500 गीगावॉट और नेट ज़ीरो वर्ष का हुआ ऐलान पर व्यवहारिक दिक्कतें बरकार
-
साफ ऊर्जा बढ़ाने के लिये भारत की “मिशन 500 गीगावॉट” की योजना